छत्तीसगढ़ की दो सबसे प्रभावशाली महिलाएंः 15 घंटे काम करने वालीं राज्यपाल अनसुईया उइके और सीएम सचिवालय की पहली महिला अफसर सौम्या चौरसिया

Update: 2022-03-08 07:40 GMT

रायपुर, 8 मार्च 2022। आमतौर पर राज्यपालों को रबर स्टैम्प माना जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनसुईया उइके ने अपनी मेहनत और सक्रियता से लोगों की धारणा बदल दी है। सुबह से देर शाम तक लोगों से मेल-मुलाकात, लोगों की समस्याओं को सुनना और उसका समाधान निकालने की उनकी कोशिश बताती है कि औरों की तरह वे रबर स्टैम्प नहीं हैं।

राज्यपाल 24 घंटे में से 15 घंटे से ज्यादा काम करती हैं। सुबह अखबार पढ़ने के साथ वे अफसरों से दिन भर के कार्यक्रमों के बारे में आवश्यक फीडबैक। फिर तैयार होकर 11 बजे उनका लोगों से मेल-मुलाकात। आधे घंटे के लिए वे लंच ब्रेक लेती हैं। प्रतिनिधिमंडल से भेंट के साथ ही सरकारी फाइलें भी निबटाती रहती हैं।

अनसुईया उइके ने राज्यपाल बनने के बाद राजभवन का गेट आमलोगों के लिए खोल दिया। वरना, उंची चाहरदिवारी से घिरा राजभवन पहले आमलोगों के लिए किसी तिलिस्म से कम नहीं था। राजभवन में प्रवेश सुलभ होने का ही नतीजा है कि कोरोना के बावजूद दो साल में 20 हजार से अधिक लोगों ने राज्यपाल से मुलाकात की है। ये अपने-आप में एक रिकार्ड है। देश के किसी राजभवन में दो साल में शायद ही इतने लोग राज्यपाल से मिले होंगे। सुश्री अनसुईया मध्यप्रदेश के उस छिंदवाड़ा इलाके की रहने वाली हैं, जहां कमलनाथ जैसे कांग्रेस के छत्रप का बरसों से एकछत्र प्रभुत्व रहा है। बावजूद इसके सुश्री अनसुईया ने अपनी सियासी जमीन मजबूत की और वहां से वे न केवल विधानसभा का चुनाव जीतकर मध्यप्रदेश में मंत्री बनीं बल्कि राज्यसभा के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर कई भूमिकाओं को निर्वहन किया। परिश्रम और संघर्ष के रास्ते उन्होंने बीजेपी के केंद्रीय नेताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा। वे अटलबिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य और फिर राज्यसभा सदस्य नामित हो गई थीं। मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाकों के लिए किए जा रहे उनके कामों का ही नतीजा था कि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने उन्हें छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाया। वे देश की पहली राज्यपाल होंगी जो 62 की उम्र में इस पद पर पहुंच गई।

किसी भी सूबे का सीएम सचिवालय सर्वाधिक ताकतवर माना जाता है। ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की डिप्टी सिक्रेटरी सौम्या चौरसिया स्वाभाविक तौर प्रभावशाली तो हैं हीं, उन्होंने अपनी प्रशासनिक क्षमता से खुद को साबित भी किया है। सौम्या छत्तीसगढ़ की पहली महिला अधिकारी हैं, जिन्हें राज्य बनने के बाद सीएम सचिवालय में पोस्टिंग मिली। मुख्यमंत्री के फैसलों को तेज गति से क्रियान्वयन कराने का काम वे बखूबी करती हैं। सिस्टम पर उनकी पैनी निगाहें होती हैं। हर अहम फाइलों को वॉच करती हैं और सीएम को जरूरी फीडबेक देती हैं। सीएम की अहम मीटिंगों का एजेंडा सौम्या स्वयं देखती हैं। कैबिनेट जैसी अहम बैठकों को छोड़ दें, तो वे फोकस में नहीं रहतीं, लेकिन अफसरों के लिए उनका एक लाइन का व्हाट्सएप संदेश काफी मायने रखता है। सौम्या कहतीं हैं, सीएम साब के निर्देशों का पालन कराना मेरी ड्यूटी है, इसके अलावा कुछ और नहीं।

Tags:    

Similar News