झटका: ट्रेजरी से लौटने लगा कर्मचारियों का वेतन बिल... हड़ताल की कटौती का आदेश...कर्मचारी संगठन नाराज

Update: 2022-08-01 13:33 GMT

रायपुर। 25 जुलाई से लेकर 29 जुलाई तक छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले हड़ताल करने वाले कर्मचारियों को अब वेतन के लिए भी इंतजार करना पड़ सकता है क्योंकि जो बिल ट्रेजरी में लग चुके थे अब उन्हें भी ट्रेजरी से लौट आए जाने की खबरें सामने आ रही है अलग-अलग जिलों से जो खबरें निकल कर आ रही है उसके मुताबिक ट्रेजरी से लगे हुए बिल को वापस लौटाया जा रहा है और कर्मचारियों की जानकारी मांगी जा रही है कि वह हड़ताल में शामिल थे या नहीं और उसी के मुताबिक बिल भी तैयार किए जाने का निर्देश दिया जा रहा है।

आमतौर पर कर्मचारियों का वेतन गणना पत्रक पिछले माह के 15 या 20 तारीख से लेकर वर्तमान माह के 15 या 20 तारीख तक का बनता है और यही वजह है कि उन्हें हर माह के अंतिम दिन पेमेंट भी हो जाता है यही वजह है कि कर्मचारी संगठन ने सोचा था कि कम से कम इस माह वेतन कटौती का आदेश लागू नहीं होगा और अगले माह तक सरकार से चर्चा हो जाएगी लेकिन ऊपर से दिए गए निर्देश के मुताबिक लगातार ट्रेजरी से बिल लौटाए जाने की खबरें सामने आ रही है और इसे लेकर सोशल मीडिया में कर्मचारियों के ग्रुप में जबरदस्त नाराजगी भी सामने आ रही है कुल मिलाकर कर्मचारी और सरकार के बीच इस आदेश और इसके क्रियान्वयन तल्खी बढ़ाने का ही काम किया है और यदि सोशल मीडिया पर नजर डालें तो कर्मचारी इसके विरुद्ध और अधिक लामबंद होने जा रहे हैं क्योंकि अभी तक तो 22 तारीख से हड़ताल की बात कही जा रही थी लेकिन यदि सच में कटौती हो जाती है तो यह मान कर चलिए कि फिर स्थिति कुछ और ही होगी।

इस विषय पर सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे का कहना है कि

"ट्रेजरी में लगे हुए बिल को इस प्रकार लौटाना सीधे तौर पर तानाशाही है क्योंकि 20 तारीख के आसपास बिल लगाया जाता है और कर्मचारियों के कार्य दिवस की गणना पिछले माह की 21 तारीख से लेकर वर्तमान माह के 19 तारीख तक आमतौर पर किया जाता है यदि कटौती करनी ही थी तो वह अगले माह के वेतन में होनी थी हड़ताल 25 तारीख से शुरू हुई थी ऐसे में इस माह ट्रेजरी से बिल लौटाए जाने का कोई औचित्य ही नहीं है लेकिन सिर्फ और सिर्फ कर्मचारियों को परेशान करने के उद्देश्य से यह किया जा रहा है जो कि निंदनीय और कर्मचारियों के गुस्से की आग में घी डालने जैसा है । एक तो कर्मचारी का मूलभूत अधिकार छीना जा रहा है और फिर दूसरी तरफ इस प्रकार से दमनात्मक कार्यवाही..... यदि प्रशासन की इस प्रकार की कार्यवाही जारी रही तो आने वाले दिनों में शासन को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा" ।

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