पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करने 5 करोड़ की प्रॉपर्टी की दान, डॉक्टर ने दान कर दी 5 करोड़ की संपत्ति, जानिए दिल छू लेने वाली प्रेम कहानी....
हमीरपुर 15 जनवरी 2022। हिमाचल के हमीरपुर जिले नादौन उपमंडल गांव धनेटा के रहने वाले सेवानिवृत्त सीनियर मेडिकल आफिसर डा. राजेंद्र कंवर ने अपने जीवन की पूरी चल-अचल संपत्ति की बसीयत सरकार के नाम कर दी है. ऐसा इसलिए इन्होंने किया क्योंकि उनकी पत्नी की अंतिम इच्छा थी. बताया जा रहा है कि डॉक्टर की कोई संतान नहीं थी, इसलिए 5 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति उन्होंने दान कर दी. पूरे इलाके में डॉक्टर की वसीयत चर्चा का विषय बनी हुई है.
यही नहीं, डा. कंवर ने अपना अंगदान करने का भी फैसला लिया है. पंचायत जोलसप्पड़ के गांव सनकर के 72 वर्षीय डा. राजेंद्र कंवर के नाम 10 करोड़ से भी अधिक की संपत्ति है जिसे सरकार के नाम कर दिया है. 33 वर्ष स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करने के बाद भी दुखी, गरीब मरीजों का मुफ्त उपचार अपनी ओपीडी में कर रहे हैं.
नादौन के जोलसप्पड़ गांव सनकर के रहने वाल 72 साल के डॉक्टर राजेंद्र कंवर स्वास्थ्य विभाग से और उनकी पत्नी कृष्णा कंवर शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुईं थीं. एक वर्ष पूर्व उनकी पत्नी का देहांत हुआ था. दोनों की इच्छा थी कि कोई संतान न होने के चलते वो अपनी चल-अचल संपत्ति सरकार के नाम वसीयत कर देंगे. पत्नी की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए रिश्तेदारों के साथ बैठकर उन्होंने यह निर्णय लिया और चल-अचल संपत्ति को सरकार के नाम करने पर फैसला लिया.
पत्रकारों से बातचीत के दौरान डॉ. कंवर ने बताया कि करीब 5 करोड़ की संपत्ति को सरकार के नाम वसीयत की है, क्योंकि पत्नी की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए बाकी रिश्तेदारों के साथ बैठ कर यह निर्णय लिया है. उन्होंने संपति को सरकार के नाम करने पर संतुष्टि जाहिर की है. डॉ. राजेन्द्र कंवर ने बताया कि जिन लोगों को घर में जगह नहीं दी जाती है और वृद्वावस्था में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं. ऐसे लोगों के लिए मेरे करोड़ों के घर में सरकार रहने का बंदोबस्त करे. उन्होंने बताया कि सरकार के साथ वसीयतनामे में यह शर्त रखी गई है.
डॉक्टर राजेन्द्र कंवर ने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि सीनियर सिटीजन के साथ हमेशा लगाव रखें और आदर करें. उन्होंने बताया कि घर के अलावा नेशनल हाइवे के किनारे लगती पांच कनाल भूमि और गाड़ी को भी वसीयत सरकार के नाम की है. उन्होंने बताया कि 23 जुलाई 2021 को सरकार के नाम वसीयत करवा दी है और अब अकेले ही जीवन-बसर कर रहे हैं.
डॉ. कंवर का जन्म 15 अक्तूबर, 1952 को माता गुलाब देवी और पिता डॉ. अमर सिंह के घर गांव धनेटा में हुआ था. 1974 में एमबीबीएस की पढ़ाई इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज तत्कालीन समय में स्नोडेन अस्पताल शिमला से पूरी की. उसके उपरांत इंटर्नशिप पूरी करके 3 जनवरी, 1977 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भोरंज में बतौर चिकित्सक ज्वाइन किया.नौकरी के दौरान उन्होंने सेवा भाव के जज्बे के चलते पदोन्नति को भी दरकिनार किया. डॉ. कंवर अभी भी प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों के स्वास्थ्य की देखभाल कर रहे हैं. वह एक नामी डॉक्टर (कांगू वाले डॉक्टर) के नाम से और समाजसेवी की हैसियत से जाने जाते हैं.