फिर निकला शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण का जिन्न: पिछली सरकार में भी इस पर मचा था घमासान, हाईकोर्ट से शिक्षकों को मिली थी राहत

Update: 2022-07-12 05:41 GMT

रायपुर। प्रदेश के मुखिया ने अपने निवास कार्यालय में आज छत्तीसगढ़ जनजाति सलाहकार परिषद की बैठक ली और बैठक के बाद जैसे ही यह बात निकलकर सामने आई कि स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों का युक्तियुक्तिकरण होगा वैसे ही सोशल मीडिया में शिक्षकों के ग्रुप में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। दरअसल युक्तियुक्तकरण शब्द शिक्षकों के लिए कोई नया शब्द नहीं है बल्कि भाजपा सरकार के कार्यकाल के मध्य में शिक्षक इससे बुरी तरह प्रताड़ित हो चुके हैं और उसकी टीस उन्हें आज तक सता रही है । युक्तियुक्तिकरण के तहत जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं होते हैं उन स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था की जाती है और इसके लिए जिन स्कूलों में शिक्षक अधिक मात्रा में होते हैं यानी स्वीकृत पद से अधिक शिक्षक कार्य करते रहते हैं जिन्हें अतिशेष शिक्षक भी कहते हैं को उन स्कूलों से हटाकर जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है वहां भेजा जाता है । स्वाभाविक बात है कि जो शिक्षक किसी स्कूल में अतिशेष होने पर भी जमे हुए हैं वह किसी न किसी कारणवश उन स्कूलों में अपनी जगह बनाए हुए हैं फिर या चाहे विभाग की गलती हो या फिर शिक्षकों की अपनी सुविधा ऐसे में युक्तियुक्तकरण में उनका ट्रांसफर दूरदराज के स्कूलों में हो जाएगा। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता की युक्ति युक्तिकरण से बचाने के नाम पर जमकर लेनदेन होता है और उस प्रक्रिया में भी कुल मिलाकर शिक्षक ही प्रताड़ित होते हैं ।

भाजपा शासनकाल में मामला पहुंचा था कोर्ट

भाजपा शासनकाल में भी शिक्षकों की कमी को देखते हुए युक्ति युक्त करण करने का निर्णय लिया गया था जिसमें हजारों की संख्या में शिक्षक प्रभावित हुए थे कुछ जिलों से मामला न्यायालय भी पहुंचा था जिसमें प्रमुख रुप से रायगढ़ के रायगढ़ के शिक्षकों ( शिक्षाकर्मियों) को कवर्धा भेज दिया गया था बाद में उन्होंने इसके विरुद्ध उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और उन्हें जीत भी मिली थी जिसके बाद शासन को शिक्षकों को उस अवधि की राशि का भुगतान भी करना पड़ा जबकि शिक्षकों ने न तो रायगढ़ में सेवाएं दी थी न कवर्धा में और अपना आदेश भी रद्द करना पड़ा।

इस बार क्यों है मामला अलग !

दरअसल पिछली बार शिक्षकों के नाम पर बहुतायत शिक्षाकर्मी ही थे जिनका युक्तियुक्तकरण किया गया था , शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति संबंधित जिला पंचायत और जनपद पंचायत द्वारा की जाती थी ऐसे में उनके ट्रांसफर का कोई प्रावधान नहीं था, शिक्षकों के आवेदन पर जिला या जनपद पंचायत की आपसी सहमति से ही ट्रांसफर किया जा सकता था और इसी को आधार बनाकर शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी जिसमें उनकी जीत भी हुई लेकिन अब शिक्षाकर्मियों का रेगुलराइजेशन हो चुका है और वह शिक्षा विभाग के स्थाई कर्मचारी हो चुके हैं ऐसे में उनका स्थानांतरण उनके पद के हिसाब से आसानी से सरकार द्वारा किया जा सकता है और इसमें कहीं कोई रोक नहीं है। सहायक शिक्षक जिला के, शिक्षक संभाग के और व्याख्याता राज्य के कर्मचारी हैं ऐसे में इसी के आधार पर सहायक शिक्षकों का जिले के अंदर, शिक्षकों का संभाग के अंदर और व्याख्याताओं का राज्य के अंदर कहीं पर भी स्थानांतरण किया जा सकता है । यही वजह है कि युक्तियुक्तकरण शब्द के सामने आते ही शिक्षकों में चर्चाएं शुरू हो गई है ।

नई भर्ती से भी नहीं सुधर सकी व्यवस्थाएं

कांग्रेस सरकार ने भी बड़ी तादाद में शिक्षकों की भर्ती की है उसके बाद भी स्कूलों में शिक्षक का न होने का एक बहुत बड़ा कारण यह भी है कि शिक्षकों की पदस्थापना सही तरीके से नहीं हो सकी है , सरकार की तरफ से यह प्रावधान बनाए गए थे की जो शिक्षक एकल शिक्षक की है और जहां शिक्षकों की कमी है वही शिक्षकों की पदस्थापना की जाएगी लेकिन पदस्थापना करते समय बड़ी संख्या में गड़बड़ी हुई है , जिन स्कूलों में शिक्षक पर्याप्त मात्रा में है वही शिक्षकों को नियुक्त कर दिया गया है , कई शिक्षकों का तो ऐसे स्कूलों में पदस्थापना हुआ है जहां पर शिक्षक पहले से अतिशेष थे , वहीं प्रदेश के सैकड़ों ऐसे एकल शिक्षकीय स्कूल है जो अभी भी एकल शिक्षकीय बने हुए हैं ।

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