सेलरी घोटालाः छत्तीसगढ़ में चीफ सिकरेट्री के बराबर DGM की सेलरी और कलेक्टर के बराबर ड्राईवर की, खजाने पर 140 करोड़ की चोट, सिकरेट्री बोले...कार्रवाई होगी

देश का यह नायाब घोटाला होगा...अपेक्स और जिला सहकारी बैंकों के खटराल अधिकारियों ने रजिस्ट्रार से मिलकर चुपके से सेलरी दोगुनी करवा ली। बेसिक तीगुना बढ़ाया गया तो डीए 200 परसेंट से अधिक। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नाराजगी के बाद चार सदस्यीय जांच टीम की जांच शुरू। पता चला है, सेलरी स्ट्रक्चर बढ़वाने अधिकारियों और कर्मचारियों से डेढ़ करोड़ चंदा कर सीनियर अफसरों को पहुंचाया गया। देखिए जांच के आदेश और अपेक्स बैंक की सेलरी चार्ट के वो तीन पन्ने, जिसे देखकर आपका माथा चकरा जाएगा अधिकारियों, कर्मचारियों की तनख्वाह सूदखोरों के ब्याज की तरह किस कदर बढ़ गई।

Update: 2022-12-23 14:32 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस घोटाले को आरगेनाइज ढंग से अंजाम दिया गया। सरकार को पता चला और न ही वित विभाग को। अपेक्स और सहकारी बैंकों के बोर्ड से वेतन वृद्धि का प्रस्ताव पास करवा कर रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाइटी को भेज दिया गया। आईएएस रजिस्ट्रार ने आश्चर्यजनक रूप से उसे हरी झंडी दे दी। सहकारिता एक्ट में सहकारी बैंकों के बोर्डों को असीमित पावर दिया गया है। मगर उसके उपर रजिस्ट्रार का सिस्टम रखा गया है ताकि, गड़बड़ियों पर वे नजर रख सकें। रजिस्ट्रार आईएएस का कैडर पोस्ट है और हमेशा आईएएस को ही इस पद पर बिठाया जाता है। रजिस्ट्रार को इतना अधिकार दिया गया है कि सहकारी संस्थाओं के कर्मचारी को अगर कोई संपत्ति या गाड़ी खरीदनी हो, उसकी भी अनुमति रजिस्ट्रार से लेनी होती है। मगर इस केस में पता नहीं रजिस्ट्रार ने कैसे आंख मूंद कर सहमति दे दी।

अफसरों ने सिस्टम की आंख में धूल झोंककर वेतनवृद्धि का ऐसा खाका तैयार किया कि अपेक्स और सहकारी बैंकों का वेतन दोगुना बढ़ गया। एनपीजी न्यूज को अपेक्स बैंक रायपुर मुख्यालय के सीनियर अफसरों का एक वेतन चार्ट मिला है। उसको देखकर आप दंग रह जाएंगे। अपेक्स बैंक हेडक्वार्टर में जीएम का पद खाली है। भूपेश चंद्रवंशी फिलवक्त डीजीएम हैं यानी बैंक के सबसे बड़े अधिकारी। 2016 में डीजीएम की बेसिक सेलरी थी 32830 रुपए और ग्रॉस सेलरी 121299 रुपए। मगर वेतन रिवाइज होने के बाद 2017 में बेसिक हो गई 62770 रुपए और ग्रॉस सेलरी 148182 रुपए। याने एक साल में बेसिक डबल हो गई। और पांच साल बाद नवंबर 2022 याने पिछले महीने का सुनिये। डीजीएम का बेसिक 32830 से बढ़कर 91870 और ग्रॉस सेलरी 121299 से बढ़कर 293830 रुपए हो गई। उनका डीए है 182990 रुपए। याने बेसिक सेलरी का 200 परसेंट।

इस गड़बड़झाले की जानकारी सरकार को तब हुई, जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपेक्स और जिला सहकारी बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए अगस्त में अधिकारियों की बैठक ली। अफसरों ने मुख्यमत्री को बताया कि अपेक्स बैंक और जिला सहकारी बैंकों ने सेलरी दोगुने से अधिक बढ़ जाने की वजह से बैंकों की वर्किंग कैपिटल की स्थिति लड़खड़ा रही है। तब मुख्यमंत्री को वस्तुस्थिति का पता चला कि किस तरह सेलरी दोगुनी करने का खेल किया गया। बताते हैं, बैंकों के सेटअप निर्धारण करने के लिए सहकारित सचिव हिमषिखर गुप्ता ने जब डिटेल मंगवाया तो सेलरी का पेपर देखकर वे हैरान रह गए। यहीं से मामला खुला।

सीएस और कलेक्टर के बराबर सेलरी

गवर्नमेंट में प्रदेश में मुख्य सचिव की सेलरी सबसे अधिक होती है। सीएस को अभी तीन लाख के आसपास वेतन मिल रहा होगा। इसमें 85 हजार डीए होगा। वहीं, अपेक्स बैंक के डीजीएम भी उनके बेहद करीब हैं, 293830 रुपए मिलता है उन्हें। एनपीजी ने देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अफसरों से इस संबंध में बात की। एसबीआई के डीजीएम को 190000-2 लाख के करीब ग्रॉस वेतन मिलता है। ये उन डीजीएम की सेलरी है, जो दस-से-पंद्रह बरस सर्विस कर चुके हैं। इसी तरह अपेक्स और सहकारी बैंकों के पुराने ड्राईवरों का वेतन नए कलेक्टरों के बराबर मिल रहा है। 2016 बैच के कलेक्टरों का एक लाख रुपए के आसपास वेतन होगा। इन बैंकों के ड्राईवर भी इसी के करीब सेलरी पा रहे हैं। क्लास तो यह है कि सरकार के अधिकारी अपेक्स बैंक में एमडी अपाइंट होते हैं, उन्हें एक लाख 45 हजार वेतन मिलता है और बैकिंग सर्विस के डीजीएम को उनसे दुगुने से अधिक 2 लाख 93 हजार रुपए। जबकि, पोस्ट में एमडी बड़े होते हैं।

140 करोड़ की चोट

वेतन दुगुना करने का नतीजा है कि हर साल बैंकों पर लगभग 140 करोड़ का भार बढ़ गया है। अपेक्स और राज्य भर के सहकारी बैंकों में करीब दो हजार अधिकारी-कर्मचारी हैं। राज्य के इन बैंकों के कर्मचारियों, अधिकारियों का दिसंबर का वेतन करीब 260 करोड़ बना। सेलरी रिवाइज होने से पहले करीब 120 करोड़ वेतन बनता था। याने 140 करोड़ का लगभग शुद्ध चोट। वो भी तक जब सहकारी बैंकों की स्थिति बेहद खराब है। कई बैंकों की स्थिति यह है कि कभी भी ताले लग सकता है। गनीमत है, धान खरीदी के एवज में मार्कफेड से मिलने वाले कमीशन से बैंक चल रहे हैं।

सहकारिता सचिव हिमशिखर गुप्ता बोले...

इस मामले में एनपीजी न्यूज ने सहकारिता सचिव हिमशिखर गुप्ता से बात की। उन्होंने बताया, मुख्यमंत्री के निर्देश पर चार सदस्यीय कमेटी मामले की जांच कर रही है। रिपोर्ट आने पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने ये भी कहा कि प्रयास किया जा रहा कि सरकार को निर्धारित वेतन स्ट्रक्चर के हिसाब से बैंकों में भी सेलरी मिले। जाहिर है, मध्यप्रदेश की तुलना में छत्तीसगढ़ में दुगुनी तनख्वाह मिल रही है। स्टेट बैंको के अधिकारी भी छत्तीसगढ़ के अपेक्स और सहकारी बैंकों के वेतन के आसपास नही फटकते।

ये अधिकारी कर रहे जांच

सीएम हाउस की बैठक में मुख्यमंत्री की सख्त नाराजगी के अगले दिन ही सहकारिता विभाग ने चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी। इनमें अपर पंजीयक एचके दोशी, संयुक्त पंजीयक पीएस सर्पराज, संयुक्त पंजीयक केएन कांडे और सहाकय पंजीयक विश्वदीप महोबे शामिल हैं। जांच आदेश में लिखा है...मुख्यमंत्रीजी के संज्ञान में यह बात आई है कि अपेक्स और सहकारी बैंकों में अन्य राज्यों की तुलना में अत्यधिक वेतनमान मिल रहा है....।

पिछली सरकार के अधिकारी लपेटे में

चार सदस्यीय जांच के घेरे में पिछली सरकार के अधिकारी हैं। जाहिर है, बैंकों का सेलरी रिवाइज 2016 और 2017 के बीच किया गया। उस समय के अधिकारी जांच दल के राडार पर हैं।


पहला वेतन चार्ट 2016 


दूसरा वेतन चार्ट 2017 


तीसरा वेतन चार्ट 2022



 


 


 



Tags:    

Similar News