Raipur-Visakhapatnam Sixlane Expressway: DFO साब...ठेकेदार को सूली पर लटका दीजिए मगर 22 हजार करोड़ की पहली सिक्स लेन एक्सप्रेसवे में रोड़ा तो मत लगाइये

रायपुर-विशाखापत्तनम सिक्स लेन ग्रीन कारिडोर (Raipur-Visakhapatnam Sixlane Expressway)के बन जाने से रायपुर से विशाखापटनम की दूरी 14 घंटे से घटकर सात घंटे हो जाएगी। ऐसी महत्वपूर्ण सड़क निर्माण पर डीएफओ के ब्रेक लगाने से नेशनल हाईवे के प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने धमतरी कलेक्टर को पत्र लिखकर आग्रह किया है वे इस मामले में हस्तक्षेप करें

Update: 2023-03-05 07:44 GMT

Raipur-Visakhapatnam Six lane Expressway: रायपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे लोकप्रिय साप्ताहिक स्तंभ तरकश में रायपुर-विशाखापत्तनम सड़क निर्माण पर ब्रेक की खबर छपने के बाद हड़कंप मंच गया है। हालांकि, धमतरी के फॉरेस्ट आफिसर अपनी सफाई में कई तर्क दे रहे हैं। वहां के डीएफओ ने अपने अधिकारियों को रिपोर्ट किया है कि रेवेन्यू एरिया में जेसीबी इसलिए उन्होंने जब्त किया कि वह परिवहन कार्य में लगा था। डीएफओ साब को अब कौन बताए कि जेसीबी से परिवहन भी होता है। रेवेन्यू अधिकारी भी नाराज हैं कि वन महकमा उनके इलाके में कार्रवाई कैसे कर सकता है। दिलचस्प यह है कि वन महकमा जेसीबी तो जब्त कर लिया है मगर महीने भर बाद भी अभी तक मामला पंजीबद्ध नहीं किया है। धमतरी डीएफओ पूरा ठीकरा निर्माण एजेंसी पर फोड़ रहे हैं। मगर उन्हें समझना चाहिए कि रायपुर-विशाखापत्तनम सिक्स लेन ग्रीन कारिडोर, जिसकी मानिटरिंग भारत सरकार से होती है...राज्य के चीफ सिकरेट्री भी इसकी समय-समय पर समीक्षा करते हैं...उसे उन्होंने कैसे रोक दिया। ठेकेदार ने अगर गलती किया है तो उसे वे जुर्माना करें, जेल भिजवा दें...सड़क निर्माण को रोकना क्यों? वो भी जब कलेक्टर ने पेड़ काटने की अनुमति दे दी है।

डीएफओ की कार्रवाई पर उठते सवाल...

1. अगर राजस्व भूमि में कोई ग़लत काम हुआ तो वन विभाग को कार्रवाई के लिए राजस्व को लिखना चाहिए था। राजस्व विभाग जांच उपरांत कार्रवाई करता। वन विभाग सीधे कार्रवाई कैसे कर सकता है?

2. कलेक्टर धमतरी ने 20 दिसंबर 2022का को वृक्ष काटने की अनुमति दी है तो वृक्ष का मालिक नेशनल हाईवे हुआ। नेशनल हाईवे ने भी पत्र लिखकर बताया कि कुछ किसान पेड़ काट रहे हैं। वन महकमा ने इस पर तुरंत कार्रवाई न कर कलेक्टर की अनुमति को डस्टबीन में क्यों डाल दिया?

3. मिट्टी में काम कर रही नेशनल हाईवे की ज़मीन पर वन विभाग जेईसीबी ज़ब्त करके 20 दिन खड़ा रखता है बिना किसी पी ओ आर काटे ??

अब जस्टिफिकेशन देने के लिए जेसीबी को ही परिवहन वाहन साबित किया जा रहा है।

जानिये इस ग्रीन कारिडोर के बारे में

तीन राज्यों से गुजरा रहा यह प्रोजेक्ट राज्य और केंद्र का मामला है। पेड़ काटने के लिए कलेक्टर की अनुमति मिल गई है तो वन विभाग कटवा सकता है। पेड़ अगर कम हैं उस पर राजस्व विभाग कार्रवाई करेगा। वृक्षों की कटाई नहीं होने से 12 किमी से अधिक का काम रुक गई है।

464 किलोमीटर रायपुर-विशाखापत्तनम आर्थिक गलियारा (म्बवदवउपब ब्वततपकवत) (एनएच-130सीडी जिसे रायपुर-विशापाटनम एक्सप्रेसवे के नाम से भी जाना जाता है, छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश से गुजरने वाली नियंत्रित सड़क का निर्माण हो रहा है। छत्तीसगढ़ में 124 किमी, ओडिशा में 240 किमी और आंध्र प्रदेश में 100 किमी से गुजरता है। 464 किलोमीटर लंबा यह खंड रायपुर के पास अभनपुर से शुरू होगा और विशाखापत्तनम के बाहरी इलाके में सब्बावरम तक जाएगा और मेगा रोड वर्ष 2025 के अंत तक चालू होने की उम्मीद है।

छत्तीसगढ़ की यह पहली परियोजना है जो 6 लेन पूरी तरह दोनों तरफ से बंद होगी किसी प्रकार का जानवर या अन्य कोई प्रवेश नहीं कर पायेगा। इस रोड पर प्रवेश के लिए जहां रास्ता बनाया जायेगा उसी स्थल से ही प्रवेश हो पायेगा। तैयार होने पर रायपुर से विशाखापटनम की दूरी 590 किमी से घटकर 464 किमी हो जाएगी और यात्रा का समय 14 घंटे से घटकर लगभग 7 घंटे हो जाएगा। वर्तमान में विशाखापत्तनम और छत्तीसगढ़ के बीच में लगभग 3 लाख मीट्रिक टन माल का आना जाना होता है। यह रोड बनने से समुद्री मांग से आने वाले माल की ढुलाई आसान होगी जिससे व्यापर बढ़ने की उम्मीद है।

कुल अनुमानित लागतः 22,000 करोड़ रुपये

परियोजना की कुल लंबाईः 464.662 किमी

लेनः 6

समय सीमाः 2025

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