President Draupadi Murmu's visit to Ratanpur Mahamaya Mandir: राष्‍ट्रपति कल करेगीं रतनपुर महामाया मंदिर में दर्शन, जानिए...क्‍यों प्रसिद्ध है यह मंदिर

President Draupadi Murmu's visit to Ratanpur Mahamaya Mandir: छत्‍तीसगढ़ के दौरे पर आई राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुुर्मू गुरुवार 01 सितंबर को बिलासपुर के पास स्थित रतनपुर में महामाया मंदिर दर्शन करने जाएगीं।

Update: 2023-08-31 12:41 GMT

President Draupadi Murmu's visit to Ratanpur Mahamaya Mandir: बिलासपुर। छत्‍तीसगढ़ के दो दिवसीय दौरे पर आईं राष्‍ट्रपति द्रोपदी मुर्मू अपने प्रवास के दूसरे और अंतिम दिन 1 सितंबर को पूजा अर्चना करने रतनपुर स्थित महामाया मंदिर जाएगीं। 11वीं शताब्‍दी में बने इस मंदिर का माता सती से संबंध हैं। यह मंदिर हिंदु धर्म के 51 शक्ति पीठों में शामिल हैं।

राष्‍ट्रपति मुर्मू धार्मिक प्रवृत्ति की महिला हैं। रायपुर पहुंचते ही वे सबसे पहले गजन्‍नाथ मंदिर दर्शन करने गईं। कल 1 सितंबर को अपने प्रवास के दूसरे दिन वे महामाया माता के दर्शन करने जाएगीं। रतनपुर स्थित महामाया मंदिर शक्ति पीठों में शामिल हैं। देश-विदेश से श्रद्धालु वहां दर्शन करने आते हैं। एनपीजी की इस विशेष रपट में पढि़ए माता महमाया की पूरी कहानी।

महामाया मंदिर छत्‍तीसगढ़ की न्‍यायधानी बिलासपुर से करीब 26 किलोमीटर दूर रतनपुर में है। इस मंदिर का निर्माण कल्‍चुरी वंश के राजा रत्‍नदेव प्रथम ने कराया था। बताया जाता है कि तुम्‍मान खोल के राजा रत्‍नदेव प्रथम शिकार पर निकले थे। शिकार खेलते-खेलते वे रतनपुर पहुंच गए। यह बात सन 1045 के आसपास की बताई जाती है। शिकार की तलाश में निकले राजा को समय का पता ही नहीं चला और रात में उन्‍हें अभी जहां मंदिर हैं वहीं रुकना पड़ा। वन्‍यजीवों के भय से राजा वहां एक वट वृक्ष पर चढ़ कर सो गए। रात में अचाकन उनकी आंख खुली तो उसी वट वृक्ष के नीचे तेज प्रकाश देखा। वहां आदि शक्ति महामाया देवी की सभा लगी हुई थी। यह देखकर राजा अपना होश खो बैठे। सुबह पर राजा को होश आया तो राजा अपनी राजधानी लौट गए और वहां जाकर रतनपुर को अपनी नई राजधानी बनाने का फैसला किया।

बताया जाता है कि 1050 के आसपास राजा रत्‍नदेव ने रतनपुर को अपनी राजधानी बना लिया। वर्तमान में मंदिर परिसर में एक वट का वृक्ष मौजूद है। वहां पर एक कुंड भी है। जनश्रुतियों के अनुसार राजा रत्‍नदेव ने दूसरा मंदिर बनाकर महामाया माता से वहां चलने की विनती की। उसी रात राजा को एक स्‍वप्‍न आया, जिसमें देवी ने उनसे कहा कि मैं तुम्‍हारे बनवाए मंदिर में अवश्‍य जाउंगी, लेकिन पहले बलि का प्रबंध करो। बताया जाता है कि देवी ने कहा कि मैं एक पग बढ़ाउंगी तो 1008 बलि देनी होगी। राजा ने सहर्ष स्‍वीकार कर लिया। इस प्रकार नए मंदिर में मां महामाया की स्‍थापना हुई। इसके पहले तक मंदिर में नरबलि होता था। जिसे राजा बहारसाय ने बंद करा दिया। तब से पशु की बलि दी जाने लगी। अब वह भी बंद हो चुका है।

आदिशक्ति मां महामाया देवी मंदिर का निर्माण मंडप नगार शैली में हुआ है। मंदिर 16 स्‍तंभों पर टिका है। मंदिर के गर्भगृह में मां महामाया की साढ़े 3 फीट ऊंची प्रतिमा है। मां महामाया के पीछे (पृष्‍ठ भाग) में माता सरस्‍वती की प्रतिमा होने की बात कही जाती है, लेकिन वह विलुप्‍त है।

जन मान्‍यताओं के अनुसार यहां माता सती का दाहिना स्‍कंध गिरा था। हिंदु मान्‍यताओं के अनुसार भगवान शिव जब माता सती के मृत शरीर को लेकर तांडव कर करते हुए ब्रम्‍हांड में भटक रहे थे तब भगवान विष्‍णु ने शिव को इस वियोग से मुक्‍त कराने के लिए सुदर्शन चक्र से सती के मृत शरीर पर चला दिया था। इससे माता सती के शरीर के अलग-अलग हिस्‍से विभिन्‍न स्‍थानों पर गिरा जिसे अब शिक्‍त पीठ के रुप में पूजा जाता है।

राष्‍ट्रपति बोलीं-छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ के दौरे पर आई राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज यहां शांति सरोवर मे आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्‍होंने अपने भाषण की शुरुआत ‘जय जोहार’ से की। उन्‍होंने कहा कि मैं यहां पहले भी आ चुकी हूं, ये जगह मेरे लिए नई नहीं है. मुझे फिर से यहां बुलाने के लिए आप सभी का धन्यवाद। एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है कि ‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’। राष्‍ट्रपति मुर्मू ने ब्रह्मकुमारी परिवार के काम की सराहना करते हुए कहा कि पूरी मानवता के कल्याण के लिए ब्रह्मकुमारी परिवार बहुत अच्छा कार्य कर रहा है। मैं इसके लिए बधाई देती हूं। सकारात्मक परिवर्तन को लेकर ओडिशा में यह कार्यक्रम शुरू हुआ है और मैं आज यहाँ आप सभी के बीच में भी हूं।

उन्‍होंने कहा कि मैं यहाँ पहले ही आ चुकी हूँ। फिर से बुलाने के लिए आप सभी को धन्यवाद। छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया। राष्‍ट्रपति ने कहा कि एक ओर हमारा देश नित-नई ऊंचाइयों को छू रहा है, चांद पर तिरंगा लहरा रहा है या विश्वस्तर खेल में कीर्तिमान रच रहा है। हमारे देशवासी अनेक नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। दूसरी ओर एक अत्यंत गम्भीर विषय है कुछ दिन पहले नीट की तैयारी कर रहे दो विद्यार्थियों ने अपने जीवन, अपने सपनों अपने भविष्य का अंत कर दिया। ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए बल्कि हमें प्रतिस्पर्धा को सकारात्मक रूप से लेना चाहिए हार-जीत तो होती रहती है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि बच्चों का कांपिटिशन का प्रेशर है जितना जरूरी उनका करियर है। उतना ही जरूरी है कि वे जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें। मुझे लगता है कि इस पाजिटिव थीम की सहायता से हम उन बच्चों की मदद कर सकते हैं जो बच्चे आधी-अधूरी जिंदगी जी कर चले जाते हैं। हर बच्चे में अपनी विशिष्ट प्रतिभा है। अपनी रुचि को जानकर इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

उन्‍होंने कहा कि यह युग साइंटिफिक युग है। अभी के बच्चे बहुत शार्प माइंड के होते हैं। थोड़ा धैर्य कम होता है। हमारे ब्रह्मकुमारी परिवार के सदस्य कई बरसों से इस दिशा में काम कर रहे हैं। मेरी आध्यात्मिक यात्रा में भी ब्रह्मकुमारी संस्था ने मेरा बहुत साथ दिया है। जब मेरे जीवन में कठिनाई थी तब मैं उनके पास जाती थी। उनका रास्ता कठिन है पर कष्ट सहने से ही कृष्ण मिलते हैं इसलिए धैर्य का जीवन जीना चाहिए। कष्ट सहकर ही हम सफलता हासिल कर सकते हैं। ब्रह्मकुमारी का रास्ता मुझे बहुत अच्छा लगा। आप सहजता से काम करते हुए आप अपनी जिंदगी को बेहतर तरीके से जी सकते हैं। जिंदगी जीने की कला वो सिखाते हैं। आत्मविश्वास ही ऐसी पूंजी है जिससे हम अपना रास्ता ढूँढ सकते हैं। हम सभी टेक्नालाजी के युग में जी रहे हैं।राष्‍ट्रपति ने कहा कि बच्चे आर्टिफिशियल इंजीनियरिंग की बात कर रहे हैं लेकिन यह भी जरूरी है कि दिन का कुछ समय मोबाइल से दूर रहकर भी बिताएं। साइंस और टेक्नालाजी के साथ आध्यात्मिकता को भी जोड़े तो जीवन आसान हो जाएगा। जिंदगी को कैसे सफलता से जीये, किस तरह सुख से जीवन जिये, इसका रास्ता बहुत सरल है। हम केवल एक शरीर नहीं हैं। हम एक आत्मा हैं। परम पिता परमात्मा का अभिन्न अंग है। धैर्य सुख का रास्ता है। यह कठिन है लेकिन अभ्यास से यह रास्ता भी सहज हो जाता है। मैं सभी से कहना चाहती हूं कि अपनी रुचि के साथ सकारात्मक कार्य करते रहिये। ऐसे लोगों के साथ रहिये जो आपको सही रास्ता दिखा सके।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि ब्रह्मकुमारी में सब लोग भारत में ही नहीं दुनिया भर में शांति के लिए कार्य कर रहे हैं। सब शांति के विस्तार के लिए प्रयास कर रहे हैं। प्रबल शक्ति से किये गये कार्य से सफलता मिलती है। ये दुनिया को बेहतर बनाने में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ में आपने जो काम आरंभ किया है मैं उसके लिए आपको बधाई देती हूँ। स्वर्णिम युग का स्वप्न जो हम देख रहे हैं रामराज्य के लिए हमें राम बनना होगा, सीता बनना होगा। रीरिक और मानसिक तत्व के लिए ये बहुत जरूरी है। यह केवल ब्रम्हकुमारी में सिखाया जाता है।

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