Power of SDM: एसडीएम का पद पावरफुल क्यों होता है, क्या होती है उनकी शक्तियां, जानिये उनके बारे में सब कुछ...

Power of SDM: एसडीएम को एसडीओ राजस्व भी कहा जाता है। लॉ एंड आर्डर के दौरान एसडीओ दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं। इसलिए उन्हें एसडीएम कहा जाता है। दंडाधिकारी की शक्तियां होने की वजह से एसडीएम अपने अनुविभाग में सबसे ताकतवर होता है। वह शांति भग करने की दशा में किसी को भी जेल भेज सकता है।

Update: 2024-02-12 08:52 GMT

Power of SDM: रायपुर। जिलों के प्रशासनिक ढांचों में एसडीएम की भूमिका अहम होती है। एक जिले में कई अनुविभाग होते हैं। उन सभी अनुविभागों में एक अनुविभागीय अधिकारी याने सब डिवीजनल आफिसर होता है। अनुविभाग के मुखिया एसडीओ के पास दंडाधिकारी पावर होते हैं। लिहाजा, उसे एसडीएम याने सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट भी कहा जाता है।

एसडीएम के पावर

एसडीएम अपने अनुविभाग का दंडाधिकारी भी होता है। शांति भंग करने की स्थिति में वह किसी को भी दंडाधिकारी शक्तियों का इस्तेमाल कर जेल भेज सकता है। वहीं, शांति भंग जैसी 151 की धाराओं में उसे जमानत देने की शक्तियां भी हासिल होती है। इसके अलावा अवैधानिक गतिविधियां चलाने के आरोप में वह किसी भी संस्थान को सील कर सकता है। थानों का आकस्मिक निरीक्षण के अलावा अपने अनुविभाग में बने जेलों का भी निरीक्षण एसडीएम कर सकता है। राजस्व वसूली की समीक्षा के अलावा अनुविभाग के सभी शासकीय कार्यालयों के निरीक्षण, शासकीय अधिकारी कर्मचारियों के कामों का समन्वय व समीक्षा एसडीएम कर सकता है। राजस्व विभाग के अलावा कृषि, पशुपालन, सहकारिता, स्वास्थ्य विभाग, खाद्य विभाग की समीक्षा कर सकता है। क्षेत्र के पेट्रोल पंपों , राइस मिलों, शासकीय, अशासकीय स्कूलों का निरीक्षण कर सकता है।

जमीन डायवर्सन के अधिकार

नगरीय निकाय चुनावों, विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में एसडीएम निर्वाचन अधिकारियों की भूमिका निभाते हैं। इस तरह से वे नामांकन दाखिले से लेकर निरस्तीकरण, वोटिंग के अलावा चुनाव ड्यूटी लगाने तक की सारी व्यवस्थाएं करने की शक्ति रखते हैं। भूमि डायवर्सन की शक्तियां एसडीएम के पास होती है। जमीन के पुराने खसरे नक्शे में त्रुटि सुधार की शक्ति एसडीएम के पास है। भूमि अर्जन की कार्यवाही व मुआवजा वितरण की कार्यवाही एसडीएम कार्य है। तहसीलदार व नायब तहसीलदार के फैसलों की अपील एसडीएम सुनता है। अनुविभाग के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायतों के पंच-सरपंच को भ्रष्टाचार या गड़बड़िया करने पर धारा 40 के तहत पद से निष्कासित करने की शक्ति एसडीएम के पास होती है। एसडीएम ग्रामीण विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुविभाग के अंतर्गत आने वाले कई प्रसिद्ध मंदिरों व ट्रस्ट के प्रशासक के रूप में एसडीएम काम करता है।

कलेक्टर को रिपोटिंग

जिस तरह जिलों में सरकार का प्रतिनिधि कलेक्टर होता है, उसी तरह अनुविभागों में कलेक्टर का प्रतिनिधि एसडीएम होता है। एसडीएम की पोस्टिंग भी कलेक्टर करते हैं। राज्य सरकारें राज्य प्रशासनिक अफसरो ंकी पोस्टिंग जिले में कर देती है, मगर किसे एसडीएम बनाना है, यह उस जिले का कलेक्टर तय करता है। चूकि कलेक्टर पूरे जिले का मुखिया होता है। सो, जिले में सुचारु तौर पर कार्य संचालन के लिए एसडीएम की नियुक्ति में कलेक्टरों को पूरा अधिकार दिया गया है।

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