PM Narendra Modi: PM नरेंद्र मोदी ने कहा - नया संसद भवन एक भारत श्रेष्ठ भारत का उदाहरण, यहां बने कानून भारत को विकसित राष्ट्र बनाएंगे...
PM Narendra Modi : नई दिल्ली ब्यूरो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन के उद्धाटन समारोह में कहा कि नया संसद भवन एक भारत श्रेष्ठ भारत का श्रेष्ठ उदाहरण है. यहां बने कानून भारत को विकसित राष्ट्र बनाएंगे.
पीएम मोदी ने कहा... आज 28 मई ऐसा ही शुभ अवसर है. देश आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है. इस अमृत महोत्सव में भारत के लोगों ने भारतीय लोकतंत्र के इस स्वर्णिम क्षण की बहुत बहुत बधाई देता हूं.
यह सिर्फ एक भवन नहीं है. 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है. यह विश्व को भारत के दृढ़ संकल्प का हमारे लोकतंत्र का मंदिर है. यह नया संसद भवन योजना को यथार्थ से नीति को निर्माण से इच्छाशक्ति को क्रियाशक्ति से संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा. यह नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा. यह नया भवन आत्म निर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा. यह नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा. यह नया भवन नूतन और पुरातन के सह अस्तित्व का भी आदर्श है.
साथियों, नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं. अाज नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है. नए रास्ते गढ़ रहा है. नया जोश है, नया उमंग है. नया सफर है. नई सोच है. दिशा नया है, दृष्टि नई है. संकल्प नया है, विश्वास नया है. आज फिर एक बार पूरा विश्व भारत को भारत के संकल्प की दृढ़ता को भारतवासियों की प्रखरता को भारतीय जनशक्ति की जीजिविशा को आदर और उम्मीद के भाव से देख रहा है. जब भारत आगे बढ़ता है, तो विश्व आगे बढ़ता है. संसद का यह नया भवन भारत के विकास से विश्व के विकास का आह्वान करेगा. आज इस ऐतिहासिक अवसर पर पवित्र सेंगोल की भी स्थापना हुई है.
महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्य पथ का सेवा पथ का राष्ट्र पथ का प्रतीक माना जाता था. राजाजी और आदिनम के संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था. तमिलनाडु से विशेष तौर पर आए हुए आदिनम के संत संसद में हमें आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित हुए थे. मैं उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं.
पिछले दिनों मीडिया में इसके इतिहास से जुड़ी जानकारी उजागर हुई है. मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता लेकिन मैं मानता हूं कि यह हमारा सौभाग्य है कि इस पवित्र सेंगोल को हम उसकी गरिमा लौटा सके हैं. उसकी मान मर्यादा लौटा सके हैं. जब भी इस संसद भवन में कार्यवाही शुरू होगी यह सेंगोल हमें प्रेरणा देता रहेगा. साथियों भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है. भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का भी बहुत बड़ा आधार है. लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ एक व्यवस्था नहीं, एक संस्कार एक विचार है. एक परंपरा है. हमारे वेद हमें सभाओं और समितियों के लोकतांत्रिक आदर्श सिखाते हैं. महाभारत में गणों और गणतंत्रों का उल्लेख मिलता है. हमने वैशाली जैसे गणतंत्र को जीकर दिखाया है.
तमिलनाडु में मिला 900 ईस्वी का शिलालेख हर किसी को हैरान कर देता है. हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है. इस प्रेरणा इस संकल्प की सबसे श्रेष्ठ प्रतिनिधि कोई है तो यह हमारी संसद है. यह संसद देश की जिस समृद्ध संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है, उसका उद्घाेष करती है. जो रुक जाता है, उसका भाग्य भी रुक जाता है, लेकिन जो चलता रहता है, उसी का भाग्य आगे बढ़ता है, बुलंदियों को छूता है, इसलिए चलते रहो. गुलामी के बाद हमारे भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी नई यात्रा शुरू की थी. वह यात्रा कितने की उतार चढ़ावों से होते हुए कितनी ही चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृत काल में प्रवेश कर चुकी है. यह अमृतकाल विरासत को सहेजते हुए विकास के नए आयाम गढ़ने का अमृत काल है.
आजादी का यह अमृत काल देश को नई दिशा देने का अमृत काल है. अनंत सपनों को असंख्य आकांक्षााअें ाके पूरा करने का अमृतकाल है. इस अमृतकाल का आह्वान है, मुक्त मातृभूमि को नवीन प्राण चाहिए. नवीन गीत के लिए नवीन प्राण चाहिए. इसलिए भारत के भविष्य को उज्जवल बनाने वाली इस कार्यस्थली को भी उतना ही नवीन होना चाहिए. आधुनिक होना चाहिए. एक समय था, जब भारत दुनिया के सबसे समृद्ध और वैभव शाली राष्ट्रों में गिना जाता था. नगरों से लेकर महलों तक मंदिरों से लेकर मूर्तियाें तक भारत का वास्तु, भारत की विशेषज्ञता का उद्घोष करता था. सिंधु सभ्यता से लेकर मौर्य कालीन स्तूपों तक चोल साम्राज्य के मंदिरों से लेकर भारत का कौशल विश्व भर से आने वाले यात्रियों को हैरान कर देता था.
सैकड़ों साल की गुलामी ने हमसे हमारा गौरव छीन लिया. ऐसा भी समय आ गया जब हम दूसरे देशों में हुए निर्माण को लेकर मुग्ध होते गए. 21वीं सदी का नया भारत बुलंद हौसले से भरा हुआ भारत अब गुलामी की उस सोच को पीछे छोड़ रहा है. आज भारत प्राचीन कला की उस गौरवशाली धारा को एक बार फिर अपनी तरफ मोड़ रहा है. संसद की यह नई इमारत इस प्रयास का जीवंत प्रतीक बनी है. आज नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है. इस भवन में विरासत भी है, वास्तु भी है. कला भी है, कौशल भी है. संस्कृति भी है और संविधान के स्वर भी हैं. लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पक्षी मोर पर आधारित है. राज्यसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है. प्रांगण में हमारा राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है. हमारे देश के अलग अलग हिस्सों की जो विविधता है, नए भवन ने सबको समाहित किया है. राजस्थान से ग्रेनाइट और बलुआ पत्थर लगाए गए हैं. लकड़ी महाराष्ट्र से आई है. यूपी में भदोही के कारीगरों ने कालीनों को बुना है. भवन के कण कण में हमें एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के दर्शन होते हैं.
संसद के पुराने भवन में सभी के लिए अपने कार्यों को पूरा करना इतना मुश्किल हो रहा था, यह हम सभी जानते हैं. तकनीकी से जुड़ी समस्याएं थीं. बैठने से जुड़ी चुनौती थी इसलिए डेढ़ दो दशकों से चर्चा लगातार हो रही थी कि देश को नए संसद भवन की आवश्यकता है. यह भी देखना होगा कि आने वाले समय में सीटों की संख्या बढ़ेगी. सांसदों की संख्या बढ़ेगी तो वे लोग कहां बैठते? यह समय की मांग थी कि संसद की नई इमारत का निर्माण किया जाए. मुझे खुशी है कि भव्य इमारत आधुनिक सुविधाओं से पूरी तरह लैस है. आप देख रहे हैं कि इस समय भी इस हॉल में सूरज का प्रकाश सीधे आ रहा है. बिजली कम से कम खर्च हो. हर तरफ लेटेस्ट गैजेट्स हों, इन सभी का ध्यान रखा गया है.
आज सुबह श्रमिकों के समूह से मिला हूं. 60 हजार श्रमिकों को रोजगार देने का काम किया है. उन्होंने इस नई इमारत के लिए अपना पसीना बहाया है. मुझे खुशी है कि इनके श्रम को समर्पित डिजिटल गैलरी संसद में बनाई गई है. संसद के निर्माण में उनका योगदान भी अमर हो गया है. साथियों कोई भी एक्सपर्ट अगर पिछले 9 वर्षों का आंकलन करे तो पाएगा कि यह 9 साल भारत में नव निर्माण के रहे हैं. गरीब कल्याण के रहे हैं. आज हमें संसद की नई इमारत के निर्माण का गर्व है तो मुझे 9 साल में गरीबों के चार करोड़ घर बनने का संतोष है. आज जब हम भव्य इमारत को देखकर अपना सिर ऊंचा कर रहे हैं तो मुझे पिछले 9 साल में बने 11 करोड़ शौचालय का संतोष है, जिन्होंने महिलाओं की गरिमा की रक्षा की. उनका सिर ऊंचा कर दिया. आज जब हम इस संसद भवन में सुविधाओं की बात कर रहे हैं तो मुझे संतोष है कि हमें गांवों को जोड़ने के लिए चार लाख किलोमीटर से ज्यादा सड़कों का निर्माण किया. हमने पानी की एक एक बूंद बचाने के लिए 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों का निर्माण किया. हमने देश में 30 हजार से ज्यादा नए पंचायत भवन भी बनाए हैं. यानी पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक हमारी निष्ठा एक ही है. हमारी प्रेरणा एक रही. देश का विकास देश के लोगों का विकास.
15 अगस्त को लाल किले से मैंने कहा था कि यही समय है सही समय है. हर देश के इतिहास में ऐसा समय आता है, तब देश की चेतना नए सिरे से जागृत होती है. भारत में आजादी के 25 साल पहले ऐसा ही समय आया था. गांधीजी के असहयोग आंदोलन ने पूरे देश को एक विश्वास से भर दिया था. गांधीजी ने स्वराज के संकल्प से हर भारत वासी को जोड़ दिया था. यह वह दौर था, जब हर भारतीय आजादी के लिए जी जान से जुट गया था. इस नतीजा हमने 1947 में भारत की आजादी के तौर पर देखा. आजादी का यह अमृतकाल भी भारत के इतिहास का ऐसा ही पड़ाव है. आज से 25 साल बाद भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा. हमारे पास भी 25 वर्ष का अमृतकाल है. इन 25 वर्षों में हमें मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है.
लक्ष्य बड़ा है. लक्ष्य कठिन भी है, लेकिन हर देशवासी को आज इसके लिए जी जान से जुटना ही है. नए प्रण लेने हैं, नए संकल्प लेने हैं, नए गति लेनी है. इतिहास गवाह है कि हम भारतीय का विश्वास भारत तक ही सीमित नहीं रहता. हमारी आजादी की लड़ाई ने दुनिया के कई देशों में चेतना विकसित की. भारत के साथ कई देश आजादी की राह पर चल पड़े. भारत के विश्वास ने दूसरे देशों को दूसरे देशों के विश्वास को सहारा दिया था, इसलिए भारत जैसा विविधता से भरा देश इतनी बड़ी आबादी वाला देश इतनी सारी चुनौतियों से लड़ने वाला देश जब एक विश्वास के साथ आगे बढ़ता है, तब दुनिया के अनेक देशों को प्रेरणा भी मिलती है.
भारत की हर सफलता आने वाले दिनों में दुनिया के अलग अलग भूभाग में अलग अलग देशों की सफलता की प्रेरणा का कारण बनने वाली है. आज यदि भारत तेजी से गरीबी दूर करता है तो कई देशों को गरीबी से बाहर आने की प्रेरणा देता है. भारत के विकसित होने का संकल्प कई और देशों का संबल बनेगा, इसलिए भारत की जिम्मेदारी बड़ी हो जाती है. सफलता की पहली शर्त सफल होने का विश्वास ही होती है. यह नया संसद भवन इस विश्वास को नई बुलंदी देने वाला है. यह विकसित भारत के इतिहास में नई प्रेरणा बनेगा. हर भारतीय के कर्तव्य भाव को जागृत करेगा. जो जनप्रतिनिधि बैठेंगे वे नई प्रेरणा के साथ लोकतंत्र को नई दिशा देने का प्रयास करेंगे. हमें नेशन फर्स्ट की भावना से आगे बढ़ना होगा. इदं राष्ट्राय इदं नमम. कर्तव्यमेव कर्तव्यम. हमें अपने व्यवहार से उदाहरण प्रस्तुत करना होगा.
हमें निरंतर खुद में सुधार करते रहना होगा. हमें अपने नए रास्ते खुद बनाने होंगे. हमें खुद को खपाना होगा, तपाना होगा. हमें लोक कल्याण को ही अपना जीवन मंत्र बनाना होगा. जब संसद के नए भवन में हम अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करेंगे तो देशवासियों को प्रेरणा मिलेगी. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को नई संसद नई ऊर्जा और मजबूती प्रदान करेगी. हमारे श्रमिकों ने अपने पसीने इस संसद भवन को इतना भव्य बना दिया है. अब हम सभी सांसदों का दायित्व है कि अपने समर्पण से और ज्यादा दिव्य बनाएंगे. 140 करोड़ भारतीयों का संकल्प ही नई संसद की प्राण प्रतिष्ठा है. यहां होने वाला हर निर्णय आने वाले सदियों को सजाने संवारने वाला है. यहां होने वाला हर निर्णय आने वाली पीढ़ियों को सशक्त करने वाला है.