PM लाल किले से live: पीएम मोदी बोले- हम आज जहां हैं अपने लाखों करोड़ों स्वाधीनता सेनानियों के त्याग और बलिदान के कारण हैं
गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर 400 रुपए का सिक्का और डाक टिकट जारी
रायपुर, 21 अप्रैल 2022। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार रात को लाल किले से देश के नाम संबोधन दिया। उन्होंने गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर 400 रुपए का सिक्का और डाक टिकट जारी किया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले से संबोधित करते हुए कहा कि गुरु तेग बहादुर साहब के 400वें प्रकाश पर्व को समर्पित इस भव्य आयोजन में आप सभी का भव्य स्वागत करता हूं। आज मुझे गुरु को समर्पित स्मारक डाक टिकट और सिक्के के विमोचन का सौभाग्य मिला। इसे हमारे गुरुओं की विशेष कृपा मानता हूं। इससे पहले 2019 में हमें गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व और 2017 में गुरु गोविंद सिंह का 350 प्रकाश पर्व मनाने का सौभाग्य मिला था। मुझे खुशी है कि आज हमारा देश पूरी निष्ठा के साथ हमारे गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है। मैं इस पुण्य अवसर पर सभी 10 गुरुओं के चरणों में नमन करता हूं।
ये लाल किला कितने ही अहम कालखंडों का साक्षी रहा। इस किले ने गुरु तेग बहादुर साहब की शहादत को देखा है और देश के लिए मर मिटने वाले लोगों के हौसले को परखा है। आजादी के बाद के 75 वर्षों में भारत के कितने ही सपनों की गूंज यहां से प्रतिध्वनित हुई है। इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान लाल किले पर हो रहा यह आयोजन विशेष हो गया है। हम आज जहां हैं अपने लाखों करोड़ों स्वाधिनता सेनानियों के त्याग और बलिदान के कारण हैं। आजाद हिंदुस्तान अपने फैसले खुद करने वाला हिंदुस्तान दुनिया में परोपकार का संदेश फैलाने वाला हिंदुस्तान ऐसे हिंदुस्तान के सपने देखने वाले कोटि कोटि लोगों ने खुद को खपा दिया। भारत भूमि हमारी महान विरासत है। इसे हमारे ऋषियों मुनियों गुरुओं ने विचारों से सींचा है।
इसी परंपरा की पहचान के लिए दसों गुरुओं ने अपना जीवन समर्पित कर दिया था। सैकड़ों काल की गुलामी से मुक्ति को, भारत की आजादी को, भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा से अलग कर नहीं देखा जा सकता इसलिए आज देश आजादी के अमृत महोत्सव को और गुरु तेग बहादुर साहब के 400वें प्रकाश पर्व को एक साथ मना रहा है। हमारे गुरुओं ने हमेशा ज्ञान और आध्यात्म के साथ ही समाज और संस्कृति की जिम्मेदारी निभाई है। उन्होंने शक्ति को सेवा का माध्यम बनाया।
तेग बहादुर जी के सुमिरन से सभी सिद्धियां अपने आप मिल जाती हैं। उनका ऐसा व्यक्तित्व था, जहां लाल किले के पास यहीं पर गुरु तेग बहादुर के बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारी महान संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर का बलिदान हुआ था। उस समय मजहबी आंधी आई थी। धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा हो गई थी। उस समय गुरु तेग बहादुर के रूप में आशा की किरण दिखी। औरंगजेब के काल में चट्टान बनकर खड़े हो गए। इतिहास गवाह है कि औरंगजेब और उसके जैसे अत्याचारियों ने भले ही अनेकों सिरों को धड़ से अलग किया, लेकिन हमारी आस्था को हमसे अलग नहीं कर सका।
गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान ने भारत की अनेकों पीढ़ियों को संस्कृति की रक्षा के लिए जीने और मर मिटने की प्रेरणा दी। बड़े बड़े तूफान शांत हो गए लेकिन भारत आज भी अमर खड़ा है। आगे बढ़ रहा है। आज फिर दुनिया भारत की ओर देख रही है। पथ प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है। गुरु तेग बहादुर जी का निर्वाण हम हर ओर महसूस कर सकते हैं। हर कालखंड में जब-जब नई चुनौतियां खड़ी होती हैं, तब कोई न कोई महान आत्मा नए रास्ते दिखाकर दिशा देती है। भारत का हर कोना हमारे गुरुओं के प्रभाव और ज्ञान से रौशन रहा है। गुरुनानक देव जी ने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया। गुरु तेग बहादुर जी के अनुयायी हर तरफ हुए।
मैं अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि उसे गुरुओं की सेवा करने के लिए इतना कुछ करने का अवसर मिल रहा है। पिछले साल सरकार ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय किया। सिख परंपरा के तीर्थों को जोड़ने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। जिस करतार पुर कॉरिडोर की प्रतीक्षा की जा रही थी। हमारी सरकार ने निर्माण कर गुरु के प्रति प्रतिबद्धता जताई है। हम स्वदेश दर्शन योजना के जरिए पंजाब में आनंदपुर साहब और अमृतसर साहब को जोड़कर तीर्थ सर्किट बना रहे हैं। हेमकुंड साहब के लिए रोपवे बन रहा है। जब अफगानिस्तान में संकट पैदा होता है, गुरु ग्रंथ साहब को लाने की चुनौती आती है तो सरकार पूरी ताकत झोंक देती है। नागरिकता संशोधन कानून ने पड़ोसी देशों से आए सिख और अन्य अल्पसंख्यक परिवारों की मुश्किलें दूर की हैं।
प्रेम और सौहार्द्र हमारे संस्कारों का हिस्सा है। हमारे गुरुओं की वाणी है। ज्ञानी वही है जो न किसी को डराए न किसी से डरे। भारत ने कभी किसी के लिए खतरा पैदा नहीं किया। हम आज भी विश्व कल्याण की बात करते हैं। भारत विश्व में योग का प्रसार करता है तो पूरे विश्व के स्वास्थ्य और शांति की कामना करता है। अब भारत विश्व के कोने कोने तक पारंपरिक चिकित्सा का लाभ पहुंचाएगा। आज का भारत वैश्विक द्वंद्वों के बीच भी स्थिरता के साथ काम करता है। भारत अपने देश की सुरक्षा के लिए दृढ़ता से अटल है। हमारे सामने गुरुओं की महान सिख परंपरा है। पुरानी सोच को हटाकर गुरुओं ने नए विचार रखे।
आजादी के अमृत महोत्सव में आज देश का भी यही संकल्प है। हमें अपनी पहचान पर गर्व करना है। हमें लोकल पर गर्व करना है। आत्म निर्भर भारत बनाना है। ऐसा भारत बनाना है, जिसका सामर्थ्य दुनिया देखे। देश की प्रगति हम सब का कर्तव्य है। सबके प्रयास की जरूरत है। गुरुओं के आशीर्वाद से भारत अपने गौरव के शिखर पर पहुंचेगा। जब हम आजादी के 100 साल मनाएंगे तो नया भारत सामने होगा। हम सभी मिलकर देश को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।