Online Land Registry: CS साब, संज्ञान लीजिए...छत्तीसगढ़ में सरकार गठन के पहले गुपचुप तरीके से रजिस्ट्री कंपनी का तीसरी बार ठेका बढ़ाने की तैयारी

Online Land Registry: छत्तीसगढ़ में रजिस्ट्री के लिए बिल्ट ऑपरेट ट्रांसफर आधार पर झारखंड की कंपनी को ठेका दिया गया था। इसके पांच साल का पीरियड 2021 में पूरा हो गया। फिर भी कंपनी ने विभाग को सिस्टम हैंड ओवर नहीं किया और न ही अफसरों ने कोई कार्रवाई की। अलबत्ता, आंख-कान मूंद कर मोटी रिश्वत की बदौलत सरकार में बैठे लोग किश्त-किश्त में दो साल से ठेका बढ़ाए जा रहे हैं। कल कंपनी का एक्सटेंशन खतम होने जा रहा है। सुना है, चुपके से फिर उसे एक्सटेंशन देने की तैयारी है।

Update: 2023-12-05 08:11 GMT

Online Land Registry: रायपुर। बीजेपी सरकार ने 2016 में बीओटी के आधार पर झारखंड की आईटी सौल्यूशन कंपनी को पांच साल के लिए रजिस्ट्री आफिस का ठेका दिया था। कायदे से पांच साल पूरा होने के बाद कंपनी को पूरा सिस्टम पंजीयन विभाग को हैंड ओवर कर देना था। मगर हैंड ओवर तो किया नहीं, उल्टे कंपनी उसी दर से छत्तीसगढ़ के लोगों से रजिस्ट्री शुल्क लूटे पड़ी है। जबकि, मोदी सरकार ने एक राष्ट्र, एक रजिस्ट्री की महत्वाकांक्षी योजना एनजीडीएस की घोषणा किया था। तीन जिलों के रजिस्ट्री ऑफिस में सफलता पूर्वक तीन सालों से यह योजना चल रही है। लेकिन इस योजना को आगे बढ़ाने में अधिकारियों ने कोई रुचि नहीं ली। क्योंकि सभी जिलों में इस योजना को लागू कर दिया गया तो कंपनी को बोरिया बस्ता बांधना पड़ जाएगा

छत्तीसगढ़ में रजिस्ट्री विभाग के कंप्यूटरीकरण का काम करने वाली कंपनी का ठेका बार-बार बढ़ाया जाने के बावजूद 5 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। छत्तीसगढ़ के तीन रजिस्ट्री ऑफिस में विभाग विगत 2 साल से खुद के सॉफ्टवेयर से रजिस्ट्री का सफलतापूर्वक संचालन कर रही है। विभाग के अधिकारी चाहते तो इन तीन रजिस्ट्री ऑफिस के संचालन का कार्य पूरे राज्य में बढ़ा सकते थे। इससे आईटी सॉल्यूशन को जो भुगतान किया जा रहा है वह बच जाता। छत्तीसगढ़ में ई रजिस्ट्री प्रणाली का बिल्ट ऑपरेट ट्रांसफर मॉडल पर प्राइवेट कंपनी को काम सौंपा गया था। प्राइवेट कंपनी का कार्यकाल 2021 में पूरा हो गया इसके बाद इस कंपनी को ई पंजीयन प्रणाली को विभाग को सौंप देना था। लेकिन इस कंपनी का ई पंजीयन प्रणाली किसी काम का नहीं है लेकिन विभाग के अधिकारियों ने चार बार कंपनी के ठेके का कार्यकाल बढ़ा दिया।

विभाग ने अभनपुर महासमुंद और धमतरी में 2021 में जेनेरिक सॉफ्टवेयर से रजिस्ट्री का संचालन शुरू किया जहां या विगत 2 साल से सफलतापूर्वक चल रहा है लेकिन जानबूझकर इसे अन्य ऑफिस में लागू भी नहीं किया गया। अब सुनते हैं की नए सॉफ्टवेयर के लिए फिर से ठेका होने वाला है। प्रश्न पैदा होता है कि जब बीओटी आधार पर ई पंजीयन प्रणाली के विकास के लिए प्राइवेट कंपनी को अरबों रुपए का भुगतान किया गया है, तो इसी सॉफ्टवेयर को विभाग अपने हाथों में लेकर संचालन क्यों नहीं करते। तीन जगह में भारत सरकार के जेनेरिक सॉफ्टवेयर से संचालन का पायलट प्रोजेक्ट क्यों करना पड़ा। भारत के 18 राज्यों ने इस जेनेरिक सॉफ्टवेयर को अपना लिया है।

पायलट प्रोजेक्ट के सफलता पूर्वक संचालित होने के बावजूद अन्य कार्यों में यह जेनेरिक सॉफ्टवेयर क्यों लागू नहीं किया गया। जब प्राइवेट ठेकेदार का पंजीयन सॉफ्टवेयर इतना अच्छा है कि उसे और वह रुपए भुगतान किया जा चुका है तो नए सॉफ्टवेयर के लिए फिर से नया ठेका लेने की जरूरत क्यों पड़ रही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में विप्रो कंपनी ने पंजीयन प्रणाली सॉफ्टवेयर का विकास किया 2 साल तक संचालन किया और विभाग को सौंप दिया।उसके बाद विगत 6 साल से विभाग इसका संचालन कर रही है। अन्य राज्यों में भी विभाग ही इसका संचालन कर रही है। सुनते हैं कि इस मामले में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी हो रही है। बताते हैं, आईजी पंजीयन कार्तिकेय गोयल ने बीओटी कंपनी पर शिकंजा कसना शुरू किया था, तो ढाई साल पहले उन्हें पंजीयन से हटा दिया गया था।

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