PM Narendra Modi Speech Today देश में बढ़ेगी सांसदों की संख्या, दक्षिण भारत पर फोकस, 25 साल की कार्ययोजना तैयार, जानें पीएम नरेंद्र मोदी के संबोधन की खास बातें...

Update: 2023-05-28 08:31 GMT

PM Narendra Modi Speech Today 

नई दिल्ली ब्यूरो. पीएम नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन से अपने पहले संबोधन में देश के 25 वर्षों की कार्ययोजना की ओर भी इशारा किया. साथ ही, यह संदेश दे दिया कि आने वाले समय में सांसदों की संख्या बढ़ेगी. उन्होंने नए संसद भवन को पूरे देश से जोड़ने वाला बताया. दक्षिण भारत पर उनका खास फोकस था. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार के बाद दक्षिण भारत में किसी भी राज्य में भाजपा की सरकार नहीं है. इन बिंदुओं के जरिए समझें पीएम नरेंद्र मोदी के संबोधन की खास बातें...

स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, नया संसद भवन सिर्फ एक भवन नहीं है, बल्कि 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है. यह विश्व को भारत के दृढ़ संकल्प का हमारे लोकतंत्र का मंदिर है. यह नया संसद भवन योजना को यथार्थ से, नीति को निर्माण से, इच्छाशक्ति को क्रियाशक्ति से, संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा. यह नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा. यह नया भवन आत्म निर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा. यह नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा. यह नया भवन नूतन और पुरातन के सह अस्तित्व का भी आदर्श है.

सेंगोल से दक्षिण भारत कनेक्शन

अपने संबोधन में पीएम ने कहा, आज इस ऐतिहासिक अवसर पर पवित्र सेंगोल की भी स्थापना हुई है. महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्य पथ का, सेवा पथ का, राष्ट्र पथ का प्रतीक माना जाता था. राजाजी और आदिनम के संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था. तमिलनाडु से विशेष तौर पर आए हुए आदिनम के संत संसद में हमें आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित हुए थे. मैं उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं. मैं मानता हूं कि यह हमारा सौभाग्य है कि इस पवित्र सेंगोल को हम उसकी गरिमा लौटा सके हैं. उसकी मान मर्यादा लौटा सके हैं. जब भी इस संसद भवन में कार्यवाही शुरू होगी यह सेंगोल हमें प्रेरणा देता रहेगा.

तमिलनाडु में मिला 900 ईस्वी का शिलालेख हर किसी को हैरान कर देता है. हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है. इस प्रेरणा इस संकल्प की सबसे श्रेष्ठ प्रतिनिधि कोई है तो यह हमारी संसद है. यह संसद देश की जिस समृद्ध संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है, उसका उद्घाेष करती है. जो रुक जाता है, उसका भाग्य भी रुक जाता है, लेकिन जो चलता रहता है, उसी का भाग्य आगे बढ़ता है, बुलंदियों को छूता है, इसलिए चलते रहो. गुलामी के बाद हमारे भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी नई यात्रा शुरू की थी. वह यात्रा कितने की उतार चढ़ावों से होते हुए कितनी ही चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृत काल में प्रवेश कर चुकी है. यह अमृतकाल विरासत को सहेजते हुए विकास के नए आयाम गढ़ने का अमृत काल है.

सिंधु सभ्यता से चोल साम्राज्य

पीएम ने कहा, आजादी का यह अमृत काल देश को नई दिशा देने का अमृत काल है. अनंत सपनों को असंख्य आकांक्षााअें ाके पूरा करने का अमृतकाल है. इसलिए भारत के भविष्य को उज्जवल बनाने वाली इस कार्यस्थली को भी उतना ही नवीन होना चाहिए. आधुनिक होना चाहिए. एक समय था, जब भारत दुनिया के सबसे समृद्ध और वैभवशाली राष्ट्रों में गिना जाता था. नगरों से लेकर महलों तक मंदिरों से लेकर मूर्तियाें तक भारत का वास्तु, भारत की विशेषज्ञता का उद्घोष करता था. सिंधु सभ्यता से लेकर मौर्य कालीन स्तूपों तक चोल साम्राज्य के मंदिरों से लेकर भारत का कौशल विश्व भर से आने वाले यात्रियों को हैरान कर देता था.

सैकड़ों साल की गुलामी ने हमसे हमारा गौरव छीन लिया. ऐसा भी समय आ गया जब हम दूसरे देशों में हुए निर्माण को लेकर मुग्ध होते गए. 21वीं सदी का नया भारत बुलंद हौसले से भरा हुआ भारत अब गुलामी की उस सोच को पीछे छोड़ रहा है.

नए भवन में मोर, कमल और बरगद

लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पक्षी मोर पर आधारित है. राज्यसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है. प्रांगण में हमारा राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है. हमारे देश के अलग अलग हिस्सों की जो विविधता है, नए भवन ने सबको समाहित किया है. राजस्थान से ग्रेनाइट और बलुआ पत्थर लगाए गए हैं. लकड़ी महाराष्ट्र से आई है. यूपी में भदोही के कारीगरों ने कालीनों को बुना है. भवन के कण कण में हमें एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के दर्शन होते हैं.

आने वाले समय में बढ़ेगी संख्या

पीएम मोदी ने कहा, संसद के पुराने भवन में सभी के लिए अपने कार्यों को पूरा करना इतना मुश्किल हो रहा था, यह हम सभी जानते हैं. तकनीकी से जुड़ी समस्याएं थीं. बैठने से जुड़ी चुनौती थी, इसलिए डेढ़ दो दशकों से चर्चा लगातार हो रही थी कि देश को नए संसद भवन की आवश्यकता है. यह भी देखना होगा कि आने वाले समय में सीटों की संख्या बढ़ेगी. सांसदों की संख्या बढ़ेगी तो वे लोग कहां बैठते? यह समय की मांग थी कि संसद की नई इमारत का निर्माण किया जाए. मुझे खुशी है कि भव्य इमारत आधुनिक सुविधाओं से पूरी तरह लैस है. आप देख रहे हैं कि इस समय भी इस हॉल में सूरज का प्रकाश सीधे आ रहा है. बिजली कम से कम खर्च हो. हर तरफ लेटेस्ट गैजेट्स हों, इन सभी का ध्यान रखा गया है.

श्रमिकों के सम्मान में डिजिटल गैलरी

पीएम ने बताया कि उन्होंने आज सुबह संसद भवन का निर्माण करने वाले श्रमिकों के समूह से मिले. संसद भवन ने 60 हजार श्रमिकों को रोजगार देने का काम किया है. उन्होंने इस नई इमारत के लिए अपना पसीना बहाया है. मुझे खुशी है कि इनके श्रम को समर्पित डिजिटल गैलरी संसद में बनाई गई है. संसद के निर्माण में उनका योगदान भी अमर हो गया है. साथियों कोई भी एक्सपर्ट अगर पिछले 9 वर्षों का आंकलन करे तो पाएगा कि यह 9 साल भारत में नव निर्माण के रहे हैं. गरीब कल्याण के रहे हैं. आज हमें संसद की नई इमारत के निर्माण का गर्व है तो मुझे 9 साल में गरीबों के चार करोड़ घर बनने का संतोष है. आज जब हम भव्य इमारत को देखकर अपना सिर ऊंचा कर रहे हैं तो मुझे पिछले 9 साल में बने 11 करोड़ शौचालय का संतोष है, जिन्होंने महिलाओं की गरिमा की रक्षा की. उनका सिर ऊंचा कर दिया. आज जब हम इस संसद भवन में सुविधाओं की बात कर रहे हैं तो मुझे संतोष है कि हमें गांवों को जोड़ने के लिए चार लाख किलोमीटर से ज्यादा सड़कों का निर्माण किया. हमने पानी की एक एक बूंद बचाने के लिए 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों का निर्माण किया. हमने देश में 30 हजार से ज्यादा नए पंचायत भवन भी बनाए हैं. यानी पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक हमारी निष्ठा एक ही है. हमारी प्रेरणा एक रही. देश का विकास देश के लोगों का विकास.

25 साल में विकसित राष्ट्र का संकल्प

पीएम मोदी ने कहा, 15 अगस्त को लाल किले से मैंने कहा था कि यही समय है, सही समय है. हर देश के इतिहास में ऐसा समय आता है, तब देश की चेतना नए सिरे से जागृत होती है. भारत में आजादी के 25 साल पहले ऐसा ही समय आया था. गांधीजी के असहयोग आंदोलन ने पूरे देश को एक विश्वास से भर दिया था. गांधीजी ने स्वराज के संकल्प से हर भारत वासी को जोड़ दिया था. यह वह दौर था, जब हर भारतीय आजादी के लिए जी जान से जुट गया था. इस नतीजा हमने 1947 में भारत की आजादी के तौर पर देखा. आजादी का यह अमृतकाल भी भारत के इतिहास का ऐसा ही पड़ाव है. आज से 25 साल बाद भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा. हमारे पास भी 25 वर्ष का अमृतकाल है. इन 25 वर्षों में हमें मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है.

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