Leap year 2024: जानें क्या होता है लीप ईयर? ये फरवरी 29 दिन का कैसे? पढ़िए चार साल में कैसे आता है लीप ईयर...

Leap Year 2024: वर्ष 2024 लीप ईयर है। लीप ईयर में फरवरी महीना 29 दिनों का होता है। पृथ्वी के सूर्य का चक्कर लगाने में लगने वाले समय के चलते लीप ईयर बनाता है।

Update: 2024-02-21 09:59 GMT

Leap year 2024: हर चार साल में एक बार आने वाला लीप ईयर इस बार फिर चर्चा में है। क्योंकि 2024 में 365 दिन की बजाय 366 दिन होंगे। लोगों में अक्सर यह उत्सुकता रहती है कि लीप ईयर में साल 365 की बजाय 366 दिन का क्यों होता है और फरवरी 29 दिन की क्यों होती है। दरअसल यह खगोलीय गणना के चलते होती है। आइए जानते हैं क्या होता है लीप ईयर, कैसे चार साल में एक बार फरवरी में 29 दिनों का हो जाता है महीना और कब से हुई इसकी शुरुआत।

दरअसल लीप ईयर की घटना खगोलीय घटना के चलते होती है। आप सभी जानते है कि चंद्रमा जिस तरह पृथ्वी की परिक्रमा करता है ठीक उसी तरह पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में पृथ्वी को 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 46 सेकेंड का समय लगता है। इस तरह से सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में पृथ्वी को 365 दिन 6 घंटे यानी की एक साल 6 घंटे लगते हैं। सूर्य पंचांग यानी की सन कैलेंडर के अनुसार जब पृथ्वी सूर्य की चार परिक्रमा करता है तब पृथ्वी को इसके लिए 4 वर्ष 24 घंटे लगते हैं इसलिए प्रत्येक 4 वर्ष में 1 वर्ष 365 की जगह 366 दिन का होता है। एक सामान्य वर्ष की अवधि 365 दिन होती है। अधिक समय को ध्यान में रखते हुए 6 घंटे तक पृथ्वी अधिक घूमता है तो 4 साल में यहां 24 घंटे हो जाता है 24 घंटे मतलब पूरा एक दिन इसलिए हर 4 साल में एक दिन अधिक जोड़ दिया जाता है।

फरवरी में ही क्यों जोड़ा गया अतिरिक्त दिन–

साल में 12 महीने होते हैं अक्सर लोगों के मन में यह जिज्ञासा होती है कि जो 4 वर्षों में एक अतिरिक्त दिन सूर्य की पृथ्वी के परिक्रमा से उत्पन्न होता है उस अतिरिक्त दिन को 12 महीनों में से किसी भी महीने में क्यों नहीं जोड़ा गया। केवल फरवरी में ही क्यों जोड़ा गया। इसका जवाब यह है कि ग्रेगोरियन से पहले जूलियन कैलेंडर था जिससे दिनों का निर्धारण होता था। इसे 45 ईसा पूर्व में पेश किया गया था लेकिन इस प्रणाली में लीप वर्ष के लिए कैलेंडर अलग होता था। जूलियन कैलेंडर रोमन सौर कैलेंडर था। जूलियन कैलेंडर में साल का पहला महीना मार्च और आखिरी फरवरी था। इस कैलेंडर में लीप ईयर की व्यवस्था की गई थी। लीप ईयर के एक्स्ट्रा दिन को साल के आखिरी महीने यानी फरवरी में जोड़ दिया गया था। जब जूलियन कैलेंडर की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर आया तो पहला महीना जनवरी तो हो गया पर फरवरी में पड़ने वाले एक अतिरिक्त दिन को साल के अंतिम महीने ( ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार) दिसंबर में न जोड़कर फरवरी में ही जुड़ा रहने दिया गया। पहले से चल रहे इस परिपाटी को इसलिए भी चलने दिया गया चूंकि वर्ष में सबसे छोटा महीना फरवरी हैं और सबसे कम दिन फरवरी में ही होते है इसलिए फरवरी में ही लीप वर्ष के एक अतिरिक्त दिन को एडजस्ट करने की प्रक्रिया बनी रहीं।

लीप ईयर कैसे पता कर सकते हैं–

कौन सा वर्ष लीप ईयर है और कौन सा वर्ष लीप ईयर नहीं है इसकी गणना आसान से गणित के फार्मूले से हो सकती है। इसके लिए दो फार्मूले हैं, दोनो फार्मूलो पर जो वर्ष फिट बैठ जाए वह लीप वर्ष होता है। जिस संख्या को चार से पूरी तरह भाग दिया जा सके वह लीप ईयर होता है। उदाहरण के तौर पर 2020 को आप चार से भाग देना चाहेंगे तो आसानी से दे देंगे। वर्ष 2020 को हम पूरी तरह से चार से भाग दे सकते हैं और हमें पूर्णांक प्राप्त होगा। वही दूसरा फार्मूला यह है कि जिस संख्या को 100 से पूरी तरह भाग दिया जा सकता हो पर 400 को नहीं वह संख्या वाला वर्ष लीप ईयर नहीं होगा। उदाहरण के तौर पर 1300 और 1500 की संख्या को 100 से तो पूरी तरह भाग दिया जा सकता है पर 400 से नहीं। लिहाजा वह लीप ईयर नहीं होगा। इन दोनों फार्मूलो पर फिट बैठने वाला वर्ष लीप ईयर होता है। जैसे कि वर्ष 2000 को 4 के अलावा 100 और 400 से पूरी तरह भाग दिया जा सकता है, इसलिए यह लीप ईयर होगा। इसके आगे और पीछे प्रत्येक चार चार ईयर के अंतराल पर लीप ईयर होगा। जैसे अब 2024 में लीप ईयर है फिर 2028 में लीप ईयर होगा।

क्यों जोड़ा जाता है लीप ईयर में अतिरिक्त एक दिन–

हर चार साल में एक दिन अधिक इसलिए जोड़ दिया जाता है क्योंकि यदि ऐसा नहीं किया गया तो फसल चक्र और मौसम धीरे धीरे वर्ष के अलग अलग समय पर होने लगते।अलग अलग देशों में लीप ईयर को लेकर अलग अलग धारणाए प्रचलित है। इटली में मान्यता है कि लीप ईयर में महिलाओं का व्यवहार खराब हो जाता है। वही ग्रीस में लोग लीप ईयर में शादी नहीं करते। इसके उल्टे चीन में लीप ईयर को काफी अहमियत दी जाती है। लीप ईयर में चीन में जगह जगह भव्य समारोह होते है। एक रिसर्च के अनुसार दुनिया भर में सिर्फ 0.07% लोग ही 29 फरवरी को पैदा हुए है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई देश के इकलौते प्रधानमंत्री है जिनका जन्म लीप दिवस को 29 फरवरी 1896 को हुआ था। मोराराजी देसाई पहले गैर कांग्रेसी बने थे। उन्होंने आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी का नेतृत्व किया और 1977 में प्रधानमंत्री बने। उनके अलावा भरतनाट्यम नृत्यांगना रुक्मिणी देवी का जन्म भी 29 फरवरी को हुआ था।

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