जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का कांग्रेस में विलय!!! क्या धर्मजीत सिंह के निष्कासन के पीछे JCCJ का ये है सियासी गणित... पढ़िए ये रिपोर्ट
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रेणु जोगी ने रविवार को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत से मिलकर धर्मजीत सिंह को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित करने का पत्र सौंपा।
रायपुर। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ विधायक धर्मजीत सिंह को उनकी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रेणु जोगी और प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत से मिलकर उनके निष्कासन का पत्र सौंपा। अब चर्चा ये है कि धर्मजीत सिंह भाजपा जॉइन कर सकते हैं। लेकिन क्या बात इतनी ही है? जानकारों की मानें तो धर्मजीत सिंह कोई कदम उठाते उससे पहले जनता कांग्रेस ने चाल चली और उन्हें बाहर कर दिया। इस तरह अब जनता कांग्रेस के भाजपा में विलय के बजाय कांग्रेस प्रवेश की बुनियाद रखी गई है। दरअसल, डॉ. जोगी अलग दल बनाने के बजाय कांग्रेस में रहने के पक्ष में थीं। अब धर्मजीत सिंह को हटाकर वे फिर से कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के जरिए कांग्रेस में शामिल होने का रास्ता बनाने की कोशिश कर सकती हैं। इस तरह अमित जोगी का सियासी करियर मजबूत हो जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के संस्थापक अजीत जोगी के निधन के बाद अब जनाधार घट गया है। कार्यकर्ता कांग्रेस में जा रहे हैं या भाजपा में शामिल हो रहे हैं। मरवाही उपचुनाव में जिस तरह सरकार ने जोगी कांग्रेस के लिए चुनौती खड़ी की, उससे यह माना जा रहा है कि आने वाले चुनाव में टक्कर दे पाना तो दूर मजबूती से खड़े रह पाना भी मुश्किल होगा। यही वजह है कि धर्मजीत को हटाकर पार्टी ने एक तरह से कांग्रेस में विलय का रास्ता बनाया है।
कल पार्टी ने जो बयान जारी किया था वह पढ़ें
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता भगवानु नायक ने जो प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, उसमें दो बातें गौरतलब हैं। पहला, राष्ट्रीय दलों को लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है। छत्तीसगढ़ की एकमात्र मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय राजनीतिक दल को तोड़कर छत्तीसगढ़ के करोड़ो छत्तीसगढ़ियों की भावनाओं को कुचलने का कुंठित प्रयास। दूसरा, भाजपा के राष्ट्रीय षड्यंत्र का परिणाम। सभी क्षेत्रीय दलों को एक-एक कर नष्ट करने की योजना। इन दोनों बातों पर गौर करें तो पार्टी ने खुलकर भाजपा की ओर इशारा किया है। क्या इसमें कोई सच्चाई है?
6 महीने पहले ही बन गई थी विलय की रूपरेखा
दरअसल, धर्मजीत सिंह के भाजपा में शामिल होने की बात आज से नहीं, बल्कि काफी दिनों से हो रही है। मरवाही उपचुनाव के दौरान जब तत्कालीन खैरागढ़ विधायक देवव्रत सिंह और बलौदाबाजार विधायक प्रमोद शर्मा कांग्रेस के पक्ष में आ गए थे, तब ही इस बात की चर्चा थी कि दोनों कांग्रेस जाएंगे और धर्मजीत भाजपा में शामिल हो जाएंगे। हालांकि देवव्रत सिंह के निधन के बाद कयासों पर रोक लग गई।
इस बीच विधानसभा में विपक्षी दलों के एक साथ राज्य सरकार के खिलाफ मुखर होने के नजारे दिखे, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जब मोदी@20 किताब पर चर्चा करने आए थे, तब धर्मजीत और प्रमोद शर्मा भी थे। हालांकि इसमें भाजपा से जुड़े लोगों का कहना था कि उन्होंने सभी बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया था। इससे भी कुछ पुरानी बात यह है कि धर्मजीत के भाजपा में शामिल होने पर वरिष्ठ नेताओं में सहमति हो गई थी। यहां पेंच इस बात को लेकर था कि वे लोरमी के बजाय तखतपुर से लडना चाहते हैं। इसे लेकर बात जमी नहीं और मामला टल गया।
अब अचानक धर्मजीत सिंह के निष्कासन की बात सामने आने के बाद फिर कयासों का दौर शुरू हो गया है कि वे भाजपा में शामिल होंगे या कांग्रेस में? ऐसा इसलिए क्योंकि धर्मजीत कांग्रेस के पुराने नेता रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के करीबी रहे हैं। यह बात भी आती है कि महंत ने कांग्रेस वापसी की पहल की थी, लेकिन सीएम भूपेश बघेल सहमत नहीं थे।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) का वक्तव्य
छत्तीसगढ़ के एकमात्र मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय राजनीतिक दल जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की कोर कमिटी ने अत्यंत ही दुखी मन से एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अपनी ही पार्टी के विधायक दल के नेता वरिष्ठ विधायक ठाकुर धर्मजीत सिंह पर अनुसूचित जाति, जनजाति, गरीब अति पिछड़ा वर्ग समाज की उपेक्षा सहित स्व. अजीत जोगी के सिद्धांतों के विरुद्ध कार्य करने के कारण पार्टी से निष्कासित करते हुए अंतिम निर्णय पार्टी सुप्रीमो डॉ. रेणु जोगी पर छोड़ दिया है।
ज्ञात हो कि विधायक धर्मजीत सिंह को पार्टी संस्थापक स्व. अजीत जोगी ने बहुत ही विश्वास के साथ पार्टी विधायक दल का नेता बनाया था परंतु विगत लगभग एक वर्ष से, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के कार्यकर्ताओं द्वारा पार्टी नेतृत्व के संज्ञान में यह शिकायत लगातार लायी जा रही थी कि जेसीसीजे के लोरमी विधानसभा से विधायक धर्मजीत सिंह अनुसूचित जाति, जनजाति, गरीब पिछड़ा वर्ग से संबंधित पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं एवं लोगों को दरकिनार कर लगातार उनकी उपेक्षा कर रहे हैं और एक वर्ग विशेष के लोगों को ही महत्व दे रहे हैं। विधायक धर्मजीत सिंह लगातार अन्य दल के संपर्क में रहकर अपने निजी स्वार्थ का ताना बाना बुनने में लगे रहे है। इन शिकायतों के संदर्भ में, पूर्व में अनेकों बार विधायक धर्मजीत सिंह के साथ चर्चा भी की गयी किन्तु उनके आचरण और विचार में कोई बदलाव नहीं आया।
छत्तीसगढ़ की जनता यह भलीभांति जानती है कि विधायक धर्मजीत सिंह को 2018 के चुनावों में जीत माननीय स्व. अजीत जोगी जी के नाम और काम की बदौलत प्राप्त हुई थी। और उन्होंने स्व अजीत जोगी जी के 'समाजिक न्याय' और 'छत्तीसगढ़ प्रथम' के सिद्धांतों के विपरीत काम किया है। यह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय षड़यंत्र का परिणाम है, जिसके अंतर्गत देश के सभी क्षेत्रीय दलों को एक एक कर नष्ट करने की योजना पर काम किया जा रहा है।
जिस पार्टी के चिन्ह पर चुनाव जीते और विधायक बने, उसी पार्टी की नीतियों को त्यागने तथा छत्तीसगढ़वाद की क्षेत्रीय विचारधारा को मिटाने का प्रयास करने के कारणवश, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह को छः वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित करती है। उनके पार्टी से निष्कासन की सूचना विधानसभा अध्यक्ष को दे दी गई है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) विधायक धर्मजीत सिंह को निष्कासित करने का प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित करते हुए इस विषय में अंतिम निर्णय लेने के लिए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रेणु जोगी जी को अधिकृत करती है।