Jagdalpur assembly seat: मुकाबला दो पूर्व मेयर में, जगदलपुर में दिलचस्प चुनावी जंग
Jagdalpur assembly seat: छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी जिस बस्तर को कहा जाता है। उस बस्तर में इकलौती सीट जगदलपुर की ही सामान्य सीट है। बाकी के सभी आरक्षित सीटें हैं। इस जगदलपुर की सीट पर इस बार चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। क्योंकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही यहां अपने-अपने पूर्व महापौर पर दांव लगाया है। यानी मुकाबला दो पूर्व मेयर के बीच होने जा रहा है।
Jagdalpur assembly seat: रायपुर। कांग्रेस ने बुधवार की शाम अपने प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दी। ये लिस्ट बस्तर की जगदलपुर सीट के लिए बेहद खास थी। क्योंकि बस्तर संभाग के 12 सीटों के लिए बीजेपी पहले ही प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी थी। कांग्रेस ने भी अपनी पहली सूची में बस्तर की 12 में से 11 सीटों पर उम्मीदवार तय कर दिए थे। लेकिन संभागीय मुख्यालय होने के कारण हाई प्रोफाइल जगदलपुर विधानसभा सीट का टिकट अटक गया था। जगदलपुर पर किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही थी। पीसीसी चीफ दीपक बैज समेत संगठन के अन्य नेता चाहते थे कि जगदलपुर से मलकित सिंह गैंदू को टिकट मिले। लेकिन डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव जतिन जायसवाल के नाम पर अड़े रहे। मलकीत सिंह गैदू और जतिन जायसवाल टिकट की रेस में सबसे आगे चल रहे थे। पिछले कई दिनों से इन दोनों में से फाइनल करने के लिए पेंच अड़ा रहा। ये भी कहा जा रहा था कि दोनों के नाम को छोड़कर हाईकमान मौजूदा विधायक रेखचंद जैन या फिर राजीव शर्मा के नाम को फाइनल कर सकती है। बताते हैं कि दिल्ली में जगदलपुर की सीट पर नाम फाइनल करने के लिए डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव आखिर तक अड़े रहे और उनके समर्थक पूर्व मेयर जतिन जायसवाल के नाम पर अंतिम मुहर लगी। बस्तर की इस इकलौती बची सीट पर नाम तय होने के बाद अब भाजपा और कांग्रेस के बीच आमने-सामने मुकाबले की तस्वीर भी साफ हो गई है। साथ ही ये भी दिलचस्प है कि भाजपा ने जिस किरण देव पर दांव लगाया है, वे भी पूर्व महापौर हैं। कांग्रेस प्रत्याशी जतिन जायसवाल ने पार्टी की ओर से अधिकृत उम्मीदवार घोषित होने के बाद कहा कि वे उन्हें टिकट देने वाली कांग्रेस पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे। जतिन जायसवाल के नाम का ऐलान होते ही कांग्रेस के मौजूदा विधायक रेखचंद जैन उनसे गले मिले। मिठाई खिलाई। इसकी तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं। इससे ये भी साफ हो गया कि विधायक की टिकट कटने के बावजूद कोई असंतोष नहीं है। सभी यही संदेश देना चाहते हैं कि पार्टी में सब मिलकर कांग्रेस के लिए काम करेंगे।
Jagdalpur assembly seat जगदलपुर सीट का सियासी इतिहास
2003 से लेकर 2018 तक तीन चुनाव में इस सीट में बीजेपी काबिज हुई। जबकि कांग्रेस का एक ही विधायक यहां से चुना गया। साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के विधायक डॉ. सुभाउ राम कश्यप चुने गए। 2008 के विधानसभा चुनाव से पहले तक ये आदिवासी आरक्षित सीट था। क्योंकि यहां 65 फीसदी लोग सामान्य वर्ग के हैं और आदिवासियों की संख्या 35 फीसदी है। पहली बार सामान्य घोषित होने के बाद इस सीट से 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से रेखचंद जैन और बीजेपी के संतोष बाफना के बीच मुकाबला हुआ। संतोष बाफना करीब 17 हजार वोटों से चुनाव जीते। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर संतोष बाफना को मैदान में उतारा, जबकि कांग्रेस ने जमावड़ा गांव के श्यामू कश्यप को टिकट दे दिया। संतोष बाफना ने उन्हें आसानी से हरा दिया। इसके बाद 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की टिकट पर संतोष बाफना मैदान में उतरे। कांग्रेस ने रेखचंद जैन को मौका दिया और संतोष बाफना बड़े अंतर चुनाव हार गए।
Jagdalpur assembly seat महिलाएं तय करेंगी भाग्य?
जगदलपुर विधानसभा में करीब 1 लाख 93 हजार 167 मतदाता हैं। विधानसभा क्षेत्र में कुल 245 मतदान केंद्र हैं, जिनमें जगदलपुर निगम क्षेत्र में मतदान केंद्रों की संख्या 98 और ग्रामीण क्षेत्र में कुल 147 मतदान केंद्र हैं। यहां 43548 पुरुष मतदाता हैं। महिला मतदाताओं की संख्या 47546 और थर्ड जेंडर हैं। ग्रामीण क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या 52450 है, जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या 49595 है। इस विधानसभा सीट में साक्षरता का प्रतिशत भी सबसे ज्यादा है।
जातिगत समीकरण का असर नहीं Jagdalpur assembly seat
जगदलपुर बस्तर संभाग के 7 जिलों का मुख्यालय होने के साथ संभाग के 12 सीटों में से एकमात्र सामान्य सीट है। लिहाजा सभी की निगाहें इस सीट पर टिकी रहती है। 65 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग की है। वहीं आदिवासियों की आबादी 35 फीसदी है। जिसकी वजह से ही बस्तर संभाग का यही वो इकलौता सीट है, जहां कोई जातिगत समीकरण काम नहीं करता। हालांकि वोटर्स को रिझाने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कई सियासी समीकरण का दांव खेलते हैं, लेकिन सामान्य सीट घोषित होने के बाद यहां के नतीजे अलग रहे हैं।