ISRO Ram Mandir Ayodhya Photos: ISRO ने स्वदेशी सैटेलाइट से ली अयोध्या की तस्वीर, देखिए अंतरिक्ष से कैसा दिखता है राम मंदिर...

ISRO Ram Mandir Ayodhya Photos: ISRO ने स्वदेशी सैटेलाइट से ली अयोध्या की तस्वीर, देखिए अंतरिक्ष से कैसा दिखता है राम मंदिर...

Update: 2024-01-21 11:19 GMT

ISRO Ram Mandir Ayodhya Photos: अयोध्या। अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को महज एक दिन ही बचा है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर तैयारियां जोर-शोर पर हैं। देशभर के मंदिरों में इस कार्यक्रम को लेकर उत्साह है। अयोध्या स्थित मंदिरों को फूलों से सजाया गया है। इसी बीच, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने मंदिर से जुड़ी ऐसी तस्वीरें साझा की, जिसे आप बार-बार देखेंगे। जी हां...इसरो ने अपने स्वदेशी उपग्रहों की मदद से अंतरिक्ष से राम मंदिर की तस्वीरें खींची।


इस तस्वीर के लिए इसरो ने भारतीय रिमोट सेंसिंग सीरीज के एक स्वदेशी सैटेलाइट का इस्तेमाल किया है। इस तस्वीर में सिर्फ श्रीराम मंदिर ही नहीं बल्कि अयोध्या का बड़ा हिस्सा दिख रहा है। नीचे की रेलवे स्टेशन दिख रहा है। राम मंदिर के दाहिने की तरफ दशर महल दिख रहा है। ऊपर बाएं तरफ सरयू नदीं और उसका बाढ़ क्षेत्र दिख रहा है, जिसे कछार भी कहते हैं।


आपको हैरानी होगी यह जानकर की यह तस्वीर एक महीने पहले यानी 16 दिसंबर 2023 को ली गई थी। उसके बाद से अयोध्या का मौसम बदलता चला गया है। काफी ज्यादा कोहरा होने की वजह से सैटेलाइट दोबारा तस्वीर नहीं ले पाई। भारत के पास अंतरिक्ष में इस समय 50 से ज्यादा सैटेलाइट्स मौजूद है। जिनका रेजोल्यूशन एक मीटर से कम है।


सैटेलाइट इतने ताकतवर हैं कि एक मीटर से कम आकार की वस्तु की भी स्पष्ट तस्वीर ले सकते हैं। इन तस्वीरों को प्रोसेस और संभालने का काम हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) में किया जाता है। तस्वीर भी वहीं से जारी होती है। सिर्फ इतना ही नहीं मंदिर के निर्माण में ISRO की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।


आप जानना चाहेंगे कि कैसे? असल में मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी लार्सेन एंड टुर्बो (L&T) ने ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) आधारित को-ऑर्डिनेट्स हासिल किए।


ताकि मंदिर परिसर की सही जानकारी मिल सके। ये कॉर्डिनेट्स 1-3 सेंटीमीटर तक सटीक थे। इस काम में इसरो के स्वदेशी जीपीएस यानी NavIC यानी नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टीलेशन का इस्तेमाल किया गया। इसके जरिए प्राप्त सिग्नल से ही नक्शा और कॉर्डिनेट्स बनाए गए हैं।

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