Intellegance Chief: खुफिया चीफ की हर हलचल पर होती है पैनी नजर, सीएम हाउस का दरवाजा हमेशा खुला होता है, जानिये उनके पावर...

Intellegance Chief: किसी भी प्रदेश में इंटेलिजेंस चीफ यानी खुफिया प्रमुख का दर्जा नेक्स टू डीजी पुलिस होता है। उसके पास लॉ एंड आर्डर के साथ ही राजनीतिक घटनाक्रमों का पूरा अपडेट होता है। सारे एसपी आईजी उसके रेगुलर संपर्क में होते हैं। सूबे की पल-पल की जानकारी उनके पास होती है।

Update: 2024-01-21 07:53 GMT

Intellegance Chief: रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में खुफिया चीफ डॉ0 आनंद छाबड़ा की जगह सेंट्रल डेपुटेशन से लौटे एडीजी रैंक के आईपीएस अफसर अमित कुमार को नया खुफिया चीफ अपाइंट किया है। इस पोस्टिंग के साथ ही अमित कुमार का ओहदा पुलिस महकमे में दूसरे नंबर का हो गया है। आईये जानते हैं, खुफिया चीफ के क्या हैं काम और उनके पावर...

लॉ एंड आर्डर

डीजीपी चूकि पूरे महकमे का मुखिया होता है इसलिए उसके लिए रोज-ब-रोज लॉ एंड आर्डर की मानिटरिंग करना संभव नहीं। सो, खुफिया चीफ का दायित्व होता है कि प्रदेश की घटनाओं पर चौकस नजर रखे। प्रदेश के सारे एसपी, आईजी सुबह उठते ही सबसे पहले खुफिया चीफ को ब्रीफ करते हैं। जिले में कोई प्रदर्शन होने वाला है या फिर कोई वीआईपी मूवमेंट, खुफिया चीफ को पूरी जानकारी दी जाती है। जरूरत के हिसाब से समय-समय पर एक्सट्रा फोर्स भी खुफिया विभाग उपलब्ध कराता है। जिले में कोई भी घटना हुई, एसपी खुफिया चीफ से बात करता है और कोई बहुत बड़ी घटना हो तो फिर डीजीपी की नोटिस में डालता है। कहने का मतलब यह है कि डे-टू-डे की वर्किंग में एसपी और आईजी खुफिया चीफ से कनेक्ट होते हैं।

वीवीआईपी सिक्यूरिटी

प्रदेश का खुफिया चीफ वीवीआईपी सिक्यूरिटी का भी प्रमुख होता है। एक तो सारे महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा के लिए पीएसओ मुहैया कराने की फाइल वो ही ओके करते हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री सुरक्षा के साथ ही प्रदेश में कोई वीवीआईपी मूवमेंट होता है, मसलन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या फिर चुनाव के समय जो नेताओं के कार्यक्रम होते हैं, उसका नोडल अफसर खुफिया चीफ होता है। चुनाव के दौरान भारत निर्वाचन आयोग बकायदा नोडल अफसर का आदेश जारी करता है।

सीएम को ब्रीफिंग

खुफिया चीफ प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था की ही जानकारी नहीं रखता बल्कि सूबे के सारे घटनाक्रम पर नजर रखता है। चाहे वो कोई आकस्मिक हादसा हो या कोई सामाजिक घटना या फिर कोई सियासी वाकया। खुफिया चीफ के पास प्रदेश में अपनी टीम होती है, जिसके जरिये उसे पल-पल की सूचनाएं मिलती रहती है। मुख्यमंत्री को अहम सूचनाओं से अवगत कराना भी खुफिया चीफ की प्राथमिकता होती है। मुख्यमंत्री अगर कहीं बाहर गए हैं तो लौटने के दौरान खुफिया चीफ एयरपोर्ट पर ही उनके कान में जरूरी बातें डाल देते हैं। खुफिया चीफ के लिए सीएम से मिलने के लिए टाईम लेने की जरूरत नहीं पड़ती। उनके लिए 24 घंटे सीएम हाउस के दरवाजे खुले होते हैं। खुफिया प्रमुख चाहे तो परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए आधी रात को भी सीएम को जगा सकता है। वैसे, सामान्य दिनों में खुफिया प्रमुख शाम को एक बार सीएम हाउस अवश्य जाते हैं। कई सीएम डिनर के बाद खुफिया चीफ से डिस्कस करना उचित समझते हैं, तो ऐसे में कई बार देर रात तक भी खुफिया चीफ को सीएम हाउस में डटे रहना पड़ता है। क्योंकि गोपनीय बातें भीड़-भाड़ में नहीं की जा सकती।

करोड़ों में एसएस मनी

हर राज्य के खुफिया चीफ के पास करोड़ों में सिक्यूरिटी सर्विस मनी होती है। उसे खुफिया इनपुट्स जुटाने में खर्च किया जाता है। इस पैसे का कोई ऑडिट नहीं होता। और न ही इन खर्चां का सरकार ब्यौरा मांगती। क्योंकि ये गोपनीय सूचनाओं के लिए होता है।

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