INS Vikrant: 71 युद्ध के हीरो के नए अवतार में शिवाजी, जानिए INS Vikrant की खासियतों को, जिसने भारत का सामर्थ्य बढ़ाया

Update: 2022-09-03 13:22 GMT

NPG DESK

INS Vikrant: यकीनन भारत बदल रहा है। 1971 युद्ध के हीरो आईएनएस विक्रांत के पुनर्जन्म में सामर्थ्य, आक्रामकता और स्वदेशी का आत्मविश्वास नजर आ रहा है। दुश्मनों की नाक में दम करने वाले छत्रपति शिवाजी से प्रेरित ध्वज और सूत्र वाक्य जयेम सम युधि स्पृधा यही साबित करते हैं कि भारत बदल रहा है और अब वह अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों के बीच सगर्व खड़ा हो सकता है जो एयरक्राफ्ट कैरियर स्वयं बना सकते हैं और अब उन्हें चुनौती भी दे सकता है।

यह है दुनिया के टॉप युद्धपोत

हांलाकि दूसरे देशों में ऐसे एयरक्राफ़्ट भी हैं, जो बहुत क्षमतावान हैं और जिनमें इससे ज्यादा एयरक्राफ़्ट रखे जा सकते हैं, जेसे यूके की रॉयल नेवी की क्वीन एलीजाबेथ में 40 और अमेरिकी नेवी की निमित्ज क्लास कैरियर में 60 से ज्य़ादा एयरक्राफ़्ट आ सकते हैं। चीन का नया फुजियान 003 एयरक्राफ्ट, अमेरिका का गेराल्ड आर फोर्ड क्लास, रूस का एडमिरल कुजनेतसोव बेहद ताकतवर हैं लेकिन आईएनएस विक्रांत का स्वदेश निर्मित और इतनी क्षमताओं से पूर्ण होना इसकी खासियत है।

सामर्थ्यवान हुआ भारत

साथ ही आईएनएस विक्रांत के नौसेना बेड़ा में शामिल होने से भारत अपने पूर्वी और पश्चिमी दोनों समुद्र तटों पर जम के खड़ा होने में समर्थ हो गया है। क्योंकि अभी युद्ध पोत विक्रमादित्य भी अपनी सेवाएं दे रहा है और बेहद शक्तिशाली है। सैन्य अधिकारियों का मानना है कि आईएनएस विक्रांत के भारत के जंगी बेड़े में शामिल होने से इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने में मदद मिलेगी और उसकी तरफ आँखें उठाने से पहले किसी भी देश खो कड़ी हिम्मत जुटानी होगी।

कैसा है आईएनएस विक्रांत

20 हजार करोड़ की लागत से बने नये आईएनएस विक्रांत की लंबाई 262 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है।भारत में निर्मित यह अब तक का सबसे बड़ा जंगी जहाज है। मिग-29 और हेलिकॉप्टर समेत इसमें एक समय में 30 एयरक्राफ्ट खड़े हो सकते हैं।इस युद्धपोत की क्षमता करीब 1700 लोगों की है। इसमें 14 डेक यानि फ्लोर हैं और 2300 कंपार्टमेंट हैं। इसकी विशालता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें 25 हजार किलोमीटर लंबी केबल का उपयोग किया गया है।

ढाई हॉकी फील्ड जितना विशाल

फ़्लाइट डेक करीब 12500 स्कॉयर मीटर का है यानी की करीब ढाई हॉकी फील्ड जितना और यहां से एक बार में 12 फाइटर प्लेन और छह हेलीकॉप्टर को आपरेट किया जा सकता है।इसका भार 45,000 टन है। इसके निर्माण में इतना लोहा इस्तेमाल हुआ है जिससे चार ऐफिल टॉवर बनाए जा सकते हैं। चार गैस टर्बाइन के जरिए इसे कुल 88 मेगावॉट की ताकत मिलेगी। इस पोत की अधिकतम गति 28 नॉटिकल मील है.

छत्रपति शिवाजी से प्रेरित नया ध्वज

प्रधानमंत्री ने नौसेना के नए ध्वज का अनावरण करते हुए देश की प्राचीन समुद्री परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि 2 सितंबर 2022 वो ऐतिहासिक तारीख है। जब भारत ने गुलामी के एक निशान और एक बोझ को सीने से उतार दिया है। छत्रपति शिवाजी से प्रेरित नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा। उन्होंने भारत की प्राचीन समुद्री इतिहास और विरासत के बारे में बताते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर एक ऐसी नौसेना का निर्माण किया। जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी।

सेहत पर भी नजर और स्वाद पर भी

नए विक्रांत में एक 16 बेड का अस्पताल है, दो आपरेशन थिएटर हैं, लैब है,आईसीयू हैं और सीटी स्कैन भी है. और तो और आइईसोलेशन वार्ड भी है। यहां पांच अफसर डॉक्टर और 15 पैरामेडिक हैं। ये नेवी की अब तक की सबसे बड़ी मेडिकल फैसिलिटी है।

जहां नौसैनिकों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने का इंतजाम किया गया है वहीं उनके स्वाद को भी नजर अंदाज नहीं किया गया है। इसमें तीन आधुनिक किचन हैं। कॉफी मशीन है। यहाँ उत्तर और दक्षिण दोनों तरह के स्वाद मिलेंगे और शाकाहारी-मांसाहारी भोजन भी। और पहले की तरह नौसैनिकों को रसोई में लगना भी नहीं पड़ेगा।आटोमैटिक मशनें सामग्री डालने पर खुद ही खाना बना लेंगी। सिर्फ निगरानी का काम करना होगा।

निर्माण भी स्वदेशी और सोच भी

युद्धपोत की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें बड़ी संख्या में स्वदेशी उपकरण और मशीनरी लगी है। इसके निर्माण में बीईएल, भेल, जीआरएसई, केल्ट्रोन, किर्लोस्कर, लार्सन एंड टुब्रो, वार्टसिला इंडिया से साथ-साथ ही 100 से अधिक एमएसएमई शामिल हैं। इसकी प्रमुख उपलब्धि, डीआरडीओ और भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) के बीच साझेदारी के माध्यम से जहाज के लिए स्वदेशी युद्धपोत ग्रेड स्टील का विकास और उत्पादन करना है । युद्धपोत ग्रेड स्टील का विकास भारत को युद्धपोत के संबंध में आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम बनाता है।

सुखद यह भी है कि अब इसमें भारत की बेटियों की टुकड़ी भी शामिल होगी और दुनिया से भिड़ेगी। सेना की सभी शाखाओं में लड़कियों को शामिल करने की रज़ामंदी के बाद अब महिला शक्ति के और निखारने का समय आ गया है। आईएनएस विक्रांत से महिला विंग के लिए खास कैबिन है। इसके सी ट्रायल में भी छह महिलाएं शामिल थीं। यह यकीनन नये भारत की तस्वीर है।

भारत को आज़ाद हुए लंबा अरसा हो गया लेकिन इसकी सोच अब आज़ाद हो रही है। गुलामी की बेड़ियों से मुक्त होकर अब देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चला है। अपनी बेटियों को उनका वाजिब हक़ और देश के असली कर्मवीरों के हाथों को काम दे रहा है। सशक्त, समर्थ, संकल्पित, प्रतिभाशाली और ऊर्जावान भारत अब बढ़ने को तैयार है, अड़ने को तैयार है, लड़ने को तैयार है…. नया स्वदेशी आईएनएस विक्रांत इसके सामर्थ्य की पहली झलक है, जिसे देख खुद को सर्वशक्तिमान मानने वाले देशों के माथे पर भी बल पड़ रहे हैं।

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