हिमाचली टोपी
छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति पर केंद्रित वरिष्ठ पत्रकार संजय दीक्षित का लोकप्रिय स्तंभ तरकश
तरकश, 7 नवंबर 2021
संजय के दीक्षित
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी के चुनिंदा संपादकों और पत्रकारों को दिवाली मिलन पर आमंत्रित किया था। सीएम हिमाचली टोपी पहनकर पत्रकारों के बीच पहुंचे तो लगा पत्रकारों के बीच खुसुर-पुसुर होने...क्या बात है पूर्व सीएम भी ऐसे समय में हिमाचल के टोपी पहनते थे और वर्तमान भी...दोनों को आखिर टोपी देने वाला आदमी जरूर कोई एक होगा। इस दौरान एक टेबल पर पत्रकारों के बीच जब मुख्यमत्री पहुंचे तो हास-परिहास के अंदाज में इस पर सवाल हो गया। मुख्यमंत्री ने भी उत्सुकता शांत कर दी। उन्होंने बताया कि हिमाचल के चुनाव प्रचार में गए थे, तो वहां कार्यक्रम में लोगों ने हिमाचली टोपी पहनाई तो उसे लेते आए कि यहां पहनना पड़ेगा। उन्होंने ये भी बताया कि उनके बड़े पिताजी के निधन की सूचना मिलने पर वे कैसे कार्यक्रम निरस्त कर वापिस लौटना तय कर लिए थे।
एक्सटेंशन
एक्स चीफ सिकरेट्री सुनील कुजूर को रिटायर होने के बाद रांज्य सरकार ने 2019 में सहकारिता निर्वाचन आयुक्त की पोस्टिंग दी थी। निर्धारित दो साल का कार्यकाल पूरे हो जाने पर पता चला है, सरकार ने उनके आदेश को रिनीवल कर दिया है। याने कुजूर अब इस पद पर आगे भी कंटीन्यू करेंगे। पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग में कुजूर पहले रिटायर नौकरशाह होंगे, जिन्हें एक्सटेंशन मिला है।
ट्रांसफर लिस्ट
दिवाली के बाद अब कलेक्टर, एसपी की धड़कनें फिर बढ़ने लगी है। दरअसल, कलेक्टर, एसपी कांफ्रेंस के बाद चर्चा थी कि एक लिस्ट निकलेगी। मगर दिवाली को देखते सरकार ने इसे टाल दिया था। अब चूकि दिवाली निकल गई है लिहाजा टांसफर की अटकलें फिर शुरू हो गई है। खबर है, तीन-चार जिलों के कलेक्टर इधर-से-उधर हो सकते हैं। तो वहीं दो-तीन एसपी भी बदले जा सकते हैं। लेकिन, जब लिस्ट निकलेगी तब इसकी वास्तविक संख्या पता चल पाएगी। क्योंकि, कई बार ऐसा देखा गया है कि लिस्ट निकलते-निकलते चेन की साइज बढ़ गई। बहरहाल, जब तक लिस्ट नहीं आएगी, कलेक्टर, एसपी की बेचैनी बनी रहेगी।
जय-बीरू
मुख्यमंत्री ने कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस में इस बात पर खास जोर दिया था कि कलेक्टर्स, एसपी में बेहतर कोआर्डिनेशन हो और महीने में कम-से-कम जिले का एक दौरा वे साथ करें। इसके बाद लगता है, कुछ कलेक्टरं, एसपी पर इसका असर पड़ा है। हाल की बात है, एक एसपी मुश्किल में फंसे तो उस जिले के कलेक्टर ने हर वो प्रयास किया, जिससे मामला एसपी के खिलाफ न जाए। ठीक भी है। वैसे पहले कोआर्डिनेशन होता भी था। कलेक्टर, एसपी मुख्यालय से बाहर अगर जाते थे, तो एक साथ। ये सिर्फ छत्तीसगढ़ और अनडिवाइडेड मध्यप्रदेश की बात नहीं, पूरे देश में ऐसा होता था। आरपी मंडल और अशोक जुनेजा जब रायपुर के कलेक्टर, एसएसपी रहे तब उनमंें ऐसी ट्यनिंग थी कि उन्हें जय-बीरू की जोड़ी कही जाती थी।
कुत्ते की खोज
छत्तीसगढ़ के एक एनजीओ ने वन मुख्यालय में एक प्रपोजल दिया है। प्रपोजल का सब्जेक्ट दिलचस्प है....हैरान भी कर सकता है। बिलासपुर जिले के अचानकमार टाईगर रिजर्व में कुत्तों की सेहत को लेकर एनजीओ चिंतित है। वह एक स्टडी करना चाहता है कि कुत्तों को अचानकमार में खाने-पीने को मिल रहा या नहीं। इसके लिए सरकार से 25 लाख रुपए मांगा गया है। अब देखना है, वन विभाग इस पर क्या फैसला लेता है।
झीरम की रिपोर्ट
जस्टिस प्रशांत मिश्रा एकल जांच आयोग ने जीरम नक्सली हमले की रिपोर्ट राज्यपाल अनसुईया उइके को सौंप दी है। आयोग की तरफ से हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने राजभवन में राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी। राज्यपाल अब रिपोर्ट को आगे की कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को भेजेगी। वैसे समझा जाता है, जस्टिस प्रशांत मिश्रा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बन गए हैं। इसलिए चीफ सिकरेट्री की बजाए रजिस्ट्रार जनरल ने राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी होगी। वैसे भी, सरकार का संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल होता है।
अंत में दो सवाल आपसेहिमाचली टोपी...छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति पर केंद्रित वरिष्ठ पत्रकार संजय दीक्षित का लोकप्रिय स्तंभ तरकश
1 पुलिस जुआ से जितनी राशि बरामद करती है, वास्तविक फिगर उससे कितने गुणा अधिक रहता होगा?
2. क्या छत्तीसगढ़ भाजपा में भी पिछडे वर्ग का वर्चस्व बढ़ रहा है?