हड़ताल पर संशयः मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद छत्तीसगढ़ के कर्मचारी फेडरेशन 22 से हड़ताल पर जाएगा या वापिस ले लेगा हड़ताल...पढ़िये इस खबर को
रायपुर। केंद्र के बराबर डीए की मांग को लेकर आंदोलनरत कर्मचारी-अधिकरी फेडरेशन की अबकी सीधे मुख्यमंत्री से वार्ता हुई। मुख्यमंत्री ने साफगोई से फेडरेशन के नेताओं को बता दिया कि छह प्रतिशत से अधिक फिलहाल डीए बढ़ाने की स्थिति नहीं है। हालांकि, उन्होंने भरोसा दिया कि बाकी छह फीसदी की वृद्धि पर भी जल्द विचार किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें हड़ताल के जरिये डराने की कोशिश न की जाए। सीएम से मुलाकात के बाद फेडरेशन के नेताओं की देर रात आपत बेठक हुई। इसमें तय किया गया कि 12 फीसदी डीए का ऐलान जब तक सरकार नहीं करेगी, 22 अगस्त से प्रस्तावित हड़ताल पर फेडरेशन कायम है। याने 22 से हड़ताल होगी।
इस बीच इसमें नया ट्वीस्ट यह आया कि राज्य सरकार ने आज दोपहर छह प्रतिशत डीए वृद्धि का आदेश जारी कर दिया। इससे पहले जून में पांच फीसदी डीए बढ़ाया गया था। याने दो महीने में 11 प्रतिशत डीए बढ़ा। अब केंद्र के बराबर डीए होने में छह परसेंट और बच गया है। जाहिर तौर पर कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन समेत शिक्षक संगठनों के कलमबंद हड़ताल से सरकार पर प्रेशर पर पड़ा है। हड़ताल का ही प्रभाव हुआ कि दो महीने में सरकार को 11 फीसदी डीए बढ़ाना पड़ा। मगर अब जबकि, राज्य के मुखिया याने मुख्यमंत्री यह आश्वासन देते हुए कि जल्द ही बाकी छह परसेंट डीए बढाने के लिए अश्वस्त किए हैं तो फेडरेशन भी धर्मसंकट में पड़ गया है। दरअसल, सोशल मीडिया में फेडरेशन के नेताओं पर काफी दबाव है कि बिना 12 प्रतिशत डीए के हड़ताल वापिस नहीं लेना चाहिए। मगर मुख्यमंत्री से वार्ता और आश्वासन के बाद ऐसा विरले होता है कि कर्मचारी नेता उनकी बात को अनसूना कर दें। एक बार 2018 में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से बातचीत के बाद जब बात नहीं बनी तो शिक्षाकर्मी हड़ताल पर चले गए थे। मग तब की बात और थी और अब की और। फिर ट्रांसफर का भी सीजन है।
30 सितंबर तक थोक में ट्रांसफर होंगे। ऐसे में, कर्मचारी और शिक्षक नेता कितने दिन अपनी मांग पर अडिग रहेंगे। ऐसे में, कर्मचारी, अधिकारी और शिक्षक संगठनों में यह मानने वालों की कमी नहीं है कि 22 अगस्त से हड़ताल शायद ही हो पाए। अत्यधिक संभावना है कि दो-तीन दिन के भीतर सरकार के आश्वासन और छह फीसदी डीए वृद्धि का हवाला देते हुए हड़ताल वापिस ले लिया जाए। मुख्यमंत्री से वार्तालाप के बाद हड़ताल पर कायम रहने की घोषणा करने फेडरेशन के नेताओं के लिए फौरी तौर पर मजबूरी थी। क्योंकि, सीएम हाउस से निकलते ही हड़ताल वापसी का ऐलान होता तो मामला सहायक शिक्षकों की हड़ताल जैसा हो जाता। जब शिक्षक नेताओं ने सीएम हाउस से निकलते ही हड़ताल वापसी का ऐलान कर दिया था। इस पर आज भी टीका-टिप्पणी होती है।