हैक मंथन: भविष्य की पुलिसिंग और अपराधों की रोकथाम के लिए बड़ी कवायद शुरू; डाटा एनालिसिस कर एक्सपर्ट्स बताएंगे कैसे अपराध होंगे और किस तरह रोकेंगे

पुलिस मुख्यालय में 'हैक मंथन' की शुरुआत। एक महीने तक 5 सब्जेक्ट्स पर कोडिंग कर ढूंढेंगे समाधान।

Update: 2022-06-15 15:41 GMT

रायपुर, 15 जून 2022। भविष्य में किस तरह के अपराध से लोगों का सामना होगा और पुलिस इन अपराधों की रोकथाम या जांच किस तरह करेगी, इसके लिए छत्तीसगढ़ पुलिस ने एक बड़ी कवायद शुरू की है। इसे हैक मंथन का नाम दिया गया है। इसमें देशभर से सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े संस्थान आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपलआईटी के स्टूडेंट व एक्सपर्ट्स कोडिंग कर भविष्य की चुनौतियों और पुलिसिंग के लिए कोडिंग कर समाधान ढूंढेंगे। नवा रायपुर स्थित ट्रिपलआईटी (अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान) के सहयोग से छत्तीसगढ़ पुलिस ने हैक मंथन का आयोजन किया है। डीजीपी अशोक जुनेजा ने बुधवार को पुलिस मुख्यालय में इस हैकाथान प्रतियोगिता का शुभारंभ किया। इसमें ट्रिपलआईटी के निदेशक प्रदीप सिन्हा और एडीजी तकनीकी सेवाएं प्रदीप गुप्ता सहित पुलिस मुख्यालय के अधिकारी, तकनीकी सेवा के स्टाफ, ट्रिपलआईटी के प्रोफेसर व स्टूडेंट मौजूद थे। इस हैक मंथन के जरिए क्राइम कंट्रोल और इन्वेस्टिगेशन के संबंध में कई सॉफ्टवेयर, सीसीटीएनएस और डायल-112 के डाटा एनालिसिस के बाद कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आएंगी।

इन पांच सब्जेट्स पर आधारित होगी प्रतियोगिता

हैकाथान के लिए पांच सब्जेक्ट्स तय किए गए हैं। इसमें क्रिप्टोकरेंसी आधारित ट्रांजेक्शन की ट्रेकिंग हेतु समाधान, सीसीटीवी कैमरों से प्राप्त फीड्स का पुलिं‍सिग की दृष्टि से उन्नयन, डॉयल-112 में प्राप्त होने वाले आपातकालीन कॉल्स की फिल्टरिंग व स्पीच इमोशन रिकगनिशन, सोशल मीडिया पोस्ट का सेन्टिमेंट एनालिसिस और क्राइम डाटा विश्लेषण शामिल हैं। इसे आसान शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है कि जिस तरह मेडिकल साइंस में यह चेतावनी जारी की जाती है कि इस सीजन में कोरोना या डेंगू फैलने की आशंका है, उसी तरह पुलिस भविष्य में अपराध के संबंध में लोगों को अलर्ट कर पाएंगे। कंट्रोल रूम में जो फोन आते हैं, उसके कॉलर की आवाज के आधार पर यह पता चल जाएगा कि शिकायत सच्ची है या झूठी है।


तकनीक की मदद से पुलिस को आधुनिक बनाने का वक्त: डीजीपी

हैकाथान की शुरुआत करते हुए डीजीपी अशोक जुनेजा ने कहा कि अब समय आ चुका है कि पुलिसिंग में ज्यादा से ज्यादा तकनीक का प्रयोग कर इसे आधुनिक बनाया जाए। तेजी से बढ़ रहे तकनीक आधारित साइबर अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाया जाए। एडीजी प्रदीप गुप्ता ने कहा कि हैकाथान को प्रासंगिक और रोचक बनाने के लिए वास्तविक जीवन में पुलिसिंग में आ रही तकनीकी समस्याओं को शामिल किया गया है। ट्रिपलआईटी के डारेक्टर प्रदीप सिन्हा ने अपने वक्तव्य में बताया कि पुलिस विभाग व ट्रिपलआईटी द्वारा यह अपनी किस्म का पहला आयोजन है और भविष्य में भी इस प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन किए जाने की आवश्यकता है।


देशभर से 1200 से अधिक प्रतिभागियों के आवेदन

एआईजी मनीष शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता को काफी अच्छा रिस्पांस प्राप्त हुआ है। देशभर से 1200 से भी अधिक प्रतिभागियों के आवेदन प्राप्त हुए हैं जो इस प्रतियोगिता की सफलता को दर्शाता है। इस प्रतियोगिता में कॉर्पोरेट जगत से भी पुलिस के साथ मिलकर संयुक्त प्रयास कर रहे हैं। एएसपी कवि गुप्ता ने बताया कि महीनेभर चलने वाली इस प्रतियोगिता में देशभर से सूचना प्रोद्यौगिकी से जुड़े तकनीकी संस्थान आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आईटी आदि की 460 टीमें शामिल हैं।

29 जून को सारी टीमें प्रेजेंटेशन के जरिए बताएंगी हल

अधिकारियों ने बताया कि जो आवेदन आए थे, उसमें स्क्रूटनी के बाद जो बचे हैं, उनमें प्रथम चरण में 13 जून से 20 जून तक हैकाथन हेतु जारी प्राब्लम स्टेटमेंट्स का प्रतिभागी कोडिंग के माध्यम से समाधान ढूंढने की कोशिश करेंगे। इसके बाद कुल 12 टीमों को फाइनल राउंड के लिए शॉर्ट लिस्ट किया जाएगा। अंतिम चरण 29 जून को राजधानी में एक निजी होटल में आयोजित किया जाएगा, जिसमें चयनित टीमों द्वारा अपने द्वारा तैयार किए गए समाधान का प्रस्तुतिकरण दिया जाएगा। इन प्रस्तुतिकरण के आधार पर पहले, दूसरे व तीसरे विजेताओं की घोषणा की जाएगी। इन्हें क्रमश: 80 हजार, 40 हजार और 20 हजार रुपए नगद पुरस्कार दिया जाएगा।

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