H3N2 influenza virus: H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस: भारत मे 3 मौतें, मुंह व आंखों को छूने से बचे, बच्चे व बुजुर्ग तेजी से आ रहे चपेट में, जाने अन्य लक्षण व बचाव
एनपीजी डेस्क। कोरोना के बाद देश मे फैल रहा H3N2 वायरस हांगकांग में भी तबाही मचा चुका है। यह इन्फ्लूएंजा वायरस का सब टाइप है जिसने पहली बार हॉंगकॉंग में 1968 में तबाही मचाई थी। भारत मे भी अब तक इससे 3 मौतें हो चुकी है। जिसमे दो महाराष्ट्र व एक गुजरात मे हुई है। देश मे इस वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्य वर्तमान में महाराष्ट्र है। जहां अब तक 361लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। इस वायरस की चपेट में 5 वर्ष से कम के बच्चे व 65 वर्ष से अधिक के बुजुर्ग आसानी से आ जा रहे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस इन्फ्लूएंजा के कई सब ग्रुप है। जिसे ए,बी,सी,व ड़ी है। एच 1 एन 1 इसी इन्फ्लूएंजा का प्रकार H3N2 भी इसी का प्रकार है। यह वायरस तेजी से रूप बदलता है। जिसका 15 से 20 दिनों में स्ट्रेन चेंज हो जाता है। जिसके चलते हर साल इसके वैक्सीन में बदलाव किया जाता है। देश मे एच3एन2 का पहला मामला असम में सामने आया था। जिसके बाद उत्तरप्रदेश के बच्चे भी बड़ी संख्या में इसकी चपेट में आये। महाराष्ट्र में इससे लोगो की मौत हो चुकी है। गुजरात व मध्यप्रदेश ने भी इसके मामले सामने आ चुके हैं। यह वायरस घर के किसी व्यक्ति को होने पर पूरे परिवार को संक्रमित कर सकता हैं।
यह हैं H3N2 वायरस के लक्षण:-
इसके प्रमुख लक्षण खांसी,जुकाम,व बदन दर्द है। खांसी बुखार के अलावा ठंड लगना, सांस फूलना और घबराहट की शिकायत भी हो सकती हैं। कुछ मरीजों में गले मे खराश, गले मे दर्द,शरीर मे दर्द और दस्त के भी लक्षण पाए गए हैं। कफ, उल्टी,थकान,आंतो में सूजन के साथ ही खूनी दस्त,सांस लेने में तकलीफ,सूखी खांसी भी इसके लक्षण है। जिन लोगो को गंभीर अस्थमा या कोविड़ है, वे सबसे अधिक इन्फ्लूएंजा की चपेट में आये हैं। 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग व 5 वर्ष से कम के बच्चो को इसके जल्द चपेट में आने की संभावना अधिक है। सप्ताह भर से अधिक समय तक यदि उपरोक्त लक्षण हो तो आपको उसकी जांच करवानी चाहिए। 5 से 7 दिन के इलाज से इस वायरस से संक्रमित मरीज ठीक हो सकता है। अस्थमा,मोटापा,हृदयरोग,मधुमेह वालो के इससे प्रभावित होने का ज्यादा खतरा है।
यह हैं H3N2 वायरस से बचाव के उपाय:-
यह संक्रमण सांस की बूंदों से फैलता है। जिसको रोकने के लिए साफ सफाई पर ध्यान देना जरूरी है। इसके लिए भीड़भाड़ वाली जगह में जाने से पहले मास्क पहने। साथ ही भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने के बाद गंदे हाथों से मुंह और नाक को छूने से बचे क्योकि यह एक तरह से छूत की बीमारी है। इस बीमारी में इस वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति की खांसी या छींक से बूंदों के माध्यम से और एक व्यक्ति के हाथों के संपर्क में आने वाली बूंदों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। इसलिए बार बार साबुन से हाथ धोए या हैंड सेनेटाइजर का प्रयोग करें। बीमारी महसूस होने पर घर पर रहे। भीड़भाड़ वाली जगहों पर हाथ व मुंह ढ़ककर रखे और बार बार हैंड सेनेटाइजर का प्रयोग करें। खाने से पहले और ट्रैवलिंग के बाद विशेष रूप से हाथ साबुन से धोएं।