Guideline rates: मिडिल क्लास को बड़ी छूट: गाइडलाइन रेट से अधिक में रजिस्ट्री कराने वालों को मंत्री ओपी चौधरी ने दी बड़ी सौगात, इन्हें होगा फायदा...

Guideline rates: गाइडलाइन रेट से अधिक में जमीन जायदाद की रजिस्ट्री कराने वालों को पंजीयन शुल्क में बड़ी छूट दी गई है। अब गाइडलाइन दर से उपर की राशि में कोई पंजीयन शुल्क नहीं लगेगा। इससे नौकरी पेशा वाले, जिनके पास दो नंबर के पैसा नहीं होते उन्हें लाभ तो होगा ही, एक नंबर के पैसे का फ्लो मार्केट में बढे़गा। आम आदमी को बैंक से लोन मिलने में भी परेशानी नहीं होगी। इसे आप ऐसे समझिए....

Update: 2024-11-15 15:53 GMT

OP Choudhary in Guideline Rate

Guideline rates: रायपुर। पंजीयन विभाग ने एक बड़ा फैसला लेते हुए गाइडलाइन रेट से अधिक पैसे में संपत्ति की रजिस्ट्री कराने पर पंजीयन शुल्क में बड़ी राहत दी है। विभाग ने तय किया है कि गाइडलाइन से अधिक रेट में रजिस्ट्री कराने पर उपर की राशि का पंजीयन शुल्क नहीं लगेगा। अभी चार प्रतिशत पंजीयन शुल्क लगता है।

एक नंबर का पैसा मार्केट में

पंजीयन विभाग ने दिमाग लगाते हुए न केवल लोगों को पंजीयन शुल्क से राहत दी है बल्कि इसके जरिये एक नंबर के पैसे भी मार्केट में आएगा। दरअसल, छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां जमीनों के गाइडलाइन रेट और बाजार रेट में दिल्ली आसमान का फर्क है। इससे विशुद्ध तौर पर भूमाफियाओं, बिल्डरों और दो नंबर के काम करने वालों को लाभ होता है।

गाइडलाइन और बाजार रेट में बड़ा अंतर

इस फैसले के बाद खासकर ईमानदारी से कमाने वाले नौकरीपेशे वाले को फायदा मिलेगा। जमीन का गाइडलाइर रेट कम होने से बैंकों से उन्हें पूरा लोन नहीं मिल पाता है। मसलन, विधानसभा रोड या कचना साइड के किसी भी प्रोजक्ट में आप जमीन या मकान लें, गाइडलाइन रेट 12-1500 रुपए से अधिक नहीं है। मगर बाजार रेट 6-7 हजार से कम नहीं। ऐसे में, बिल्डर मार्जिन मनी कैश में मांगते हैं। जिनके पास दो नंबर के पैसे हैं, उनके लिए तो ये अच्छा है। मगर जिनके पास दो नंबर के पैसे नहीं, उन्हें एक नंबर के पैसे को दो नंबर में बदलना पड़ता है। वो ऐसे कि किसी को एक नंबर का पैसा देकर कैश में उसे वापिस लेना। अब उपभोक्ता बिल्डर पर दबाब बना सकता है कि गाइडलाइन दर से ज्यादा रेट में वह रजिस्ट्री कराएगा।

उल्लेखनीय है कि उल्लखेनीय है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी की अध्यक्षता में पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में लिए गए इस फैसले से विशेषकर उन नागरिकों को लाभ होगा, जो बैंक ऋण के माध्यम से संपत्ति खरीदते हैं। पूर्व में संपत्ति की खरीद-बिक्री में गाइड लाइन दर और सौदे की राशि में जो भी अधिक होता था, उस पर रजिस्ट्री शुल्क देना आवश्यक था। उदाहरण के लिए यदि किसी संपत्ति का गाइड लाइन मूल्य 6 लाख रुपये है और उसका सौदा 10 लाख में हुआ, तो रजिस्ट्री शुल्क 10 लाख पर 4 प्रतिशत के हिसाब से 40 हजार रुपये देना पड़ता था।

इस नियम में संशोधन के बाद संपत्ति खरीदने वाले अब सौदे की रकम गाइड लाइन दर से अधिक होने पर भी वास्तविक मूल्य को अंकित कर सकते हैं और इसके लिए उन्हें कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। 6 लाख रुपये की गाइड लाइन मूल्य वाली प्रॉपर्टी का सौदा 10 लाख में होता है, तो भी रजिस्ट्री शुल्क 6 लाख के 4 प्रतिशत के हिसाब से 24 हजार रुपये देय होगा। इस तरह 16 हजार रुपये की बचत होगी।

खास बात यह है कि इस संशोधन से मध्यम वर्गीय परिवारों को वास्तविक मूल्य के आधार पर अधिक बैंक ऋण प्राप्त करने में सहूलियत होगी। इसके अलावा इस निर्णय संपत्ति बाजार में पारदर्शिता व स्पष्टता को बढ़ाने में भी सहायक होगा और वास्तविक मूल्य दर्शाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा।

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