जी 20 के लोगो में कमल पर गरमाई राजनीति, क्या वाकई में कमल राष्ट्रीय फूल है?
अखिलेश अखिल
इंडोनेशिया के बाली में जी 20 की बैठक तीन दिनों तक चलेगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शिरकत करने इंडोनेशिया पहुंच गए हैं। भारत इस समिट में कई देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेगा और फिर अगले साल 2023 के लिए इस बड़े संगठन की अध्यक्षता का भार भी ग्रहण करेगा। याद रहे जी 20 दुनिया के विकसित और विकासशील देशों का बड़ा समूह है।भारत भी इसका सदस्य है। इसमें शामिल देशों को अल्फाबेटिकल अध्यक्षता की जिम्मेदारी दी जाती है। अभी इंडोनेशिया इस समूह का अध्यक्ष है जबकि एक दिसंबर से अगले साल 2023 के नवंबर तक भारत इस समूह की अध्यक्षता करेगा। भारत में इस बात को खूब प्रचारित किया जा रहा है कि मोदी को वैश्वविक छवि की वजह से इतने बड़े समूह की अध्यक्षता भारत को मिली है लेकिन सच्चाई यह है कि इस समूह की अध्यक्षता बारी-बारी से अल्फाबेटिकली हर देश को निभानी होती है। इंडोनेशिया के बाद भारत और फिर इटली अगला अध्यक्ष होगा।
भारत की अध्यक्षता की बात तो ठीक है लेकिन जिस तरह से जी 20 के लोगो में कमल फूल को भारत सरकार ने दिखाया है, इस पर विवाद खड़ा हो गया है। याद रहे नई अध्यक्षता ग्रहण करने वाले देश को लोगो बनाना होता है और इसी के तहत पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने लोगो का उद्घाटन किया। पिछले मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेंस के ज़रिए भारत की जी-20 की अध्यक्षता के लोगो, थीम और वेबसाइट का अनावरण किया था। इस लोगो में कमल का फूल भी शामिल है।
मोदी ने लोगो के बारे में कहा, "जी-20 का ये लोगो केवल एक प्रतीक चिह्न नहीं है। यह एक संदेश है, यह एक भावना है, जो हमारी रगों में है। यह एक संकल्प है जो हमारी सोच में शामिल रहा है। इस लोगो और थीम के ज़रिए हमने एक संदेश दिया है।" इस लोगो के सामने आते ही विवाद खड़ा हो गया। सबसे पहले कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने एक ट्वीट कर कहा, "70 साल पहले नेहरू (भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू) ने कांग्रेस के झंडे को भारत का झंडा बनाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। आज बीजेपी का चुनाव चिह्न भारत की जी-20 की अध्यक्षता का आधिकारिक लोगो बन गया है। यह चौंकाने वाला ज़रूर है, लेकिन अब हम लोग यह जान गए हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी बेशर्मी से ख़ुद का प्रचार करने का कोई भी मौक़ा नहीं गंवाएगी।"
उधर ,बीजेपी भला चुप कैसे रहती। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने ट्वीट कर कांग्रेस का जवाब दिया। शहज़ाद पूनावाला ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करने के लिए राष्ट्रीय प्रतीकों और फूल का विरोध क्यों?" उन्होंने कांग्रेस के नेताओं पर हमलावर होते हुए पूछा, "आगे क्या कमलनाथ (मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री) अपने नाम के कमल हटा देंगे और राजीव शुक्ला (पूर्व केंद्रीय मंत्री) अपने नाम से राजीव शब्द हटा देंगे?"
लेकिन इस सबके बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान ने सबको चौंका दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि यह हमारा राष्ट्रीय पुष्प है और भारत की संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि देश को आजाद कराने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने एक हाथ में कमल का फूल और एक हाथ में रोटी लेकर आजादी की जंग लड़ी थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लोग आरोप लगा रहे हैं कि कमल के फूल का इस्तेमाल इसलिए किया गया क्योंकि यह भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिह्न है। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने की भी हद होती है, जबकि सच्चाई ये है कि कमल के फूल को 1950 में भारत की सरकार ने ही अपना राष्ट्रीय पुष्प घोषित कर दिया था और उन्होंने ये इसलिए किया क्योंकि कमल का फूल इस देश की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।
अब सवाल है कि क्या राजनाथ सिंह को दावा कर रहे हैं वह सही है ? क्या कमल वाकई में राष्ट्रीय फूल है ? और ऐसा है तो भारत के गजट में इसका अबतक उल्लेख क्यों नहीं है ? ये बात अलग है कि देश के अधिकतर लोग यही जानते हैं कि देश का राष्ट्रीय फूल कमल है, लेकिन सच ये है कि अभी तक देश का कोई राष्ट्रीय फूल घोषित नहीं है। पिछले साल भी कमल चिन्ह को लेकर विवाद खड़ा हुआ था।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने नए भारतीय पासपोर्टों पर कमल का निशान होने के बारे में सफ़ाई देते हुए कमल को देश का राष्ट्रीय पुष्प बताया था। पासपोर्ट पर कमल का मुद्दा जब लोकसभा में उठा था जहाँ कांग्रेस सांसद एमके राघवन ने इसे 'भगवाकरण' की ओर एक और क़दम बताया और सरकार से सवाल किया था। इसका जो जबाव मिला वह भी सच से परे था।
मजे की बात है कि एनसीईआरटी, यूजीसी और भारत सरकार से जुड़ी वेबसाइटों पर भी कमल को राष्ट्रीय पुष्प बताया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत कब से हुई इस पर कोई ख़ास स्पष्टता नहीं है। लेकिन जब 2019 के जुलाई महीने में बीजू जनता दल के राज्यसभा प्रसन्न आचार्य गृह मंत्रालय में राज्यमंत्री से सदन में इसी से जुड़े तीन सवाल पूछे तो चौंकाने वाले सच सामने आए। प्रसन्न आचार्य ने सवाल किया था कि भारत के राष्ट्रीय पशु, पक्षी और पुष्प कौन से हैं? क्या इस सम्बन्ध में भारत सरकार या किसी अन्य सक्षम प्राधिकरण द्वारा कोई अधिसूचना जारी की गई है? यदि हां, तो अधिसूचना का ब्योरा क्या है? यदि नहीं, तो यूजीसी, एनसीईआरटी और भारत सरकार पोर्टल किस प्रावधान के अन्तर्गत राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय पक्षी और राष्ट्रीय पुष्प के नाम प्रकाशित कर रहे हैं?
इसके जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने ये कहा - "पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 'बाघ' और 'मोर' को क्रमश: राष्ट्रीय पशु और राष्ट्रीय पक्षी के रूप में अधिसूचित किया गया है, लेकिन राष्ट्रीय पुष्प के सम्बन्ध में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है। राष्ट्रीय पुष्प के बारे में सम्बन्धित संगठनों से जानकारी एकत्रित की जा रही है और सदन के पटल पर रख दी जाएगी।"
बता दें कि साल 2017 में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आरटीआई एक्टिविस्ट और छात्रा ऐश्वर्या पराशर ने पर्यावरण और वन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले बोटैनिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया से पूछा था कि क्या कमल को भारत का राष्ट्रीय पुष्प घोषित किया गया है? इसके जवाब में उन्हें बताया गया था कि बोटैनिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने कभी कमल को भारत का राष्ट्रीय पुष्प नहीं घोषित किया गया।
अब सवाल है कि क्या देश के रक्षा मंत्री को भी पता नहीं है कि कमल राष्ट्रीय फूल है या नहीं? राजनाथ सिंह गृह मंत्री भी रह चुके हैं। देश के तमाम प्रतीक चिन्हों की जानकारी गृह मंत्रालय के पास होती है।
दूसरी बात ये कि अब तक भारत लोग किस आधार पर कमल को राष्ट्रीय पुष्प मानते रहे हैं ? आखिर किताबों में इसका उल्लेख राष्ट्रीय फूल के रूप में कैसे है ? और सबसे बड़ी बात कि जब कमल राष्ट्रीय फूल नहीं है तो बीजेपी किस आधार पर अपने चुनाव चिह्न को राष्ट्रीय चिह्न मानती है। और बड़ा सवाल तो यही है कि किस आधार पर कोई सरकार अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न को जी 20 के लोगों में प्रयोग कर सकती है?