DGP को ट्रांसफर का अधिकार नहीं: जंगल वारफेयर कॉलेज के हेड कांस्टेबल का ट्रांसफर निरस्त, हाईकोर्ट ने आदेश में कहा...

कांकेर के जंगल वारफेयर कॉलेज के हेड कांस्टेबल ने डीजीपी के आदेश को दी थी चुनौती

Update: 2022-04-26 12:29 GMT

बिलासपुर, 26 अप्रैल 2022। जंगल वारफेयर कॉलेज (CTJW) कांकेर के हेड कांस्टेबल का ट्रांसफर हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। पिछले साल 14 फरवरी 2021 को डीजीपी ने करीब 47 हेड कांस्टेबल का तबादला किया था। इसे हेड कांस्टेबल चैतू टंडन, डमरूधर राठिया, कौशलपति मिश्रा, रामकुमार आदिल, संतोष कुमार, असगर अली अंसारी, सतीश परिहार, सुभाष पांडेय, विमलेश यादव व अन्य ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस पी. सैम कोशी ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस महानिदेशक को हेड कांस्टेबल के स्थानांतरण का अधिकार नहीं है।

जानकारी के मुताबिक हेड कांस्टेबल चैतू टंडन व अन्य कांकेर स्थित जंगल वारफेयर कॉलेज में प्रशिक्षु आरक्षकों को नक्सल क्षेत्रों में जंगल वारफेयर की ट्रेनिंग देते थे। उन्हें नक्सलियों से मुठभेड़ पर लड़ने और उन पर काबू पाने की युद्धकला सिखाते थे। डीजीपी की अध्यक्षता में पीएचक्यू में 14 फरवरी 2021 को हुए सेनानी सम्मेलन में दिए गए निर्देशों के अनुसार प्रशिक्षण संस्था में अनुशासन कायम रखने के उद्देश्य से अधिक समय से CTJW में तैनात कर्मचारियों को रोटेशन कार्यवाही के तहत अन्य बटालियन में ट्रांसफर कर दिया गया।

ट्रांसफर से क्षुब्ध होकर चैतू टंडन व अन्य ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी, नरेंद्र मेहेर और घनश्याम कश्यप के माध्यम से अलग-अलग रिट-याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई करते हुए जस्टिस पी. सैम कोशी ने 27 अक्टूबर 2021 को ट्रांसफर पर स्टे लगा दिया और राज्य शासन से जवाब मांगा। राज्य शासन की ओर से यह तर्क दिया गया था कि याचिकाकर्ता विशेष सशस्त्र बल के पुलिसकर्मी हैं, जिनकी सेवाएं छत्तीसगढ़ विशेष सशस्त्र बल अधिनियम 1968 और छत्तीसगढ़ विशेष सशस्त्र बल नियम, 1973 से शासित होते हैं, इसलिए इन पर छत्तीसगढ़ पुलिस अधिनियम, 2007 की धारा 22 (2)(क) के प्रावधान लागू नहीं होते हैं।

अन्य उत्तरवादियों द्वारा जवाब की प्रस्तुति के बाद याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी की ओर से प्रति जवाब पेश किया गया। री-ज्वाइंडर में यह प्रत्युत्तर दिया गया कि विशेष सशस्त्र बल मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ पुलिस विनियतन के नियम-3 के अंतर्गत आते हैं। याचिका में मुख्य आधार यह लिया गया था कि छत्तीसगढ़ पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 22(2)(क) के प्रावधानों के मुताबिक पुलिस निरीक्षक रैंक के समकक्ष या नीचे के पुलिसकर्मियों की सेवाओं का स्थानांतरण केवल पुलिस स्थापना बोर्ड ही कर सकता है, जबकि इस मामले में जारी ट्रांसफर आदेश राज्य के पुलिस महानिदेशक द्वारा किया गया है, जो कि पुलिस स्थापना बोर्ड से अनुमोदित किए बिना जारी किया गया था। अत: पुलिस महानिदेशक को हेड कांस्टेबल के स्थानांतरण का अधिकार नहीं है।

याचिका की अंतिम सुनवाई करते हुए जस्टिस कोशी ने 16 मार्च 2022 को अंतिम निर्णयात्मक आदेश पारित करते हुए पुलिस महानिदेशक द्वारा चैतू टंडन, डमरूधर राठिया, कौशलपति मिश्रा, रामकुमार आदिल, संतोष कुमार, असगर अली अंसारी, सतीश परिहार, सुभाष पांडेय, विमलेश यादव व याचिकाकर्ताओं के नाम पर जारी उपरोक्त स्थानांतरण आदेश की सुनवाई करते हुए एक साथ निरस्त कर दिया।

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