CG का अपराधः कोयला होना छत्तीसगढ़ियों के लिए अपराध हो गया, कोयला ढुलाई के लिए रेलवे ने 22 ट्रेनों को किया रद्द, 6 ट्रेनों के लॉलीपॉप पर नेता खुश

छत्तीसगढ़ की लाइफलाइन कई ट्रेनों को ऐसे समय में बंद किया गया, जबकि शादी-ब्याह और गर्मी की छुट्टियों में जाने के लिए मिडिल क्लास और कमजोर आर्थिक स्थिति के लोगों का एकमात्र जरिया

Update: 2022-04-27 12:29 GMT

रायपुर, 27 अप्रैल 2022। छत्तीसगढ़ के लोगों को बहलाने-फुसलाने के लिए केंद्र और राज्य के नेता सभाओं में 'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया' का नारा लगाते हैं, लेकिन असल मायनों में नेताओं और सरकारों के लिए छत्तीसगढ़िया इसलिए बढ़िया हैं, क्योंकि यहां के लोगों की सुविधाओं को ताक पर रखकर सरकारें अपना फायदा उठाती हैं। इसके बाद भी लोग हर मुश्किलें बिना प्रतिक्रिया के सह लेते हैं। ताजा मसला छत्तीसगढ़ की 11 जोड़ी ट्रेनें बंद करने का है। छत्तीसगढ़ से सबसे ज्यादा कमाई करने वाला भारतीय रेलवे कोयला ढुलाई के लिए 23 ट्रेनें बंद करता है और सिर्फ 6 बहाल करता है। इस लॉलीपॉप से ही नेता खुश हो जाते हैं। बाकी ट्रेनों को बहाल करने के लिए अब कोई आवाज नहीं उठाना चाहता।

तीसरी रेल लाइन बिछ गई फिर भी रेलवे अफसरों की ऐसी बहानेबाजी

मुम्बई हावड़ा रूट पर अब छत्तीसगढ़ में तीसरी रेल लाइन बिछ गई है। ऐसे में मालगाड़ियों के परिवहन के लिए एक लाइन को यदि सुरक्षित रख लिया जाए तब भी पैसेंजर ट्रेनों के लिए दो लाइनें हैं। पहले जब सिर्फ दो लाइनें होती थीं, तब भी इतने लंबे समय तक ट्रेनों को रद्द नहीं किया गया था। जानकारों का कहना है कि रेलवे का फोकस छत्तीसगढ़ से सिर्फ कमाई पर है। यात्रियों की सुविधाओं के मामले में हमेशा अनदेखी हुई है। रेलवे जोन आंदोलन के समय से जुड़े समाजसेवी कहते हैं कि एक साथ 11 जोड़ी ट्रेनें बंद करने के खिलाफ फिर एक जन आंदोलन करने की जरूरत है, क्योंकि शांतिपूर्वक ढंग से मांगों पर रेलवे कभी विचार नहीं करता।

सांसद-विधायक हवाई जहाज से सफर कर रहे, इसलिए ट्रेनों का दर्द नहीं जानते

छत्तीसगढ़ में हवाई सुविधाओं के विस्तार से पहले सांसद-विधायकों और नेताओं के लिए ट्रेन ही सबसे मुफीद साधन था। अब छत्तीसगढ़ के भीतर नेता बाइरोड सफर करते हैं, जबकि दिल्ली-भोपाल के लिए हवाई सफर करते हैं। यही वजह है कि रेल यात्रियों की परेशानी से नेताओं का कोई सरोकार नहीं है। 90 विधायक, 16 सांसद और सैकड़ों की संख्या में जनप्रतिनिधियों में से जिन नेताओं ने ट्रेन बंद होने पर प्रतिक्रिया दी, उन्हें उंगलियों में गिना जा सकता है। बाकी सांसद-विधायक और नेता सोते रहे। किसी ने कोई पहल करना तो दूर प्रतिक्रिया भी नहीं दी।

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