CG-सियासत के सेमिफायनल में धमाकेदार जीत से सीएम भूपेश हुए और ताकतवर, ये मिथक भी टूटा....शहरों में सरकार के प्रति नाराजगी है

Update: 2021-12-24 07:51 GMT

रायपुर, 24 दिसंबर 2021। चार नगर निगमों समेत 15 शहरी निकाय चुनावों में कांग्रेस ने धमाकेदार जीत दर्ज की है, उसे बड़े सियासी मायने हैं। दो साल बाद सूबे में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस लिहाज से नगरीय निकाय चुनाव सरकार के लिए सेमिफायनल माने जा रहे थे...मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए भी ये नगरीय निकाय चुनाव नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा का सवाल था।

कल आए नगरीय निकाय नतीजों ने भाजपा को ही नहीं, कांग्रेस को भी चौंका दिया। चार नगर निगमों में से तीन में सत्ताधारी पार्टी को स्पष्ट बहुमत। बीरगांव में भी कई निर्दलीय सरकार के संपर्क में हैं। सो, बीरगांव में भी कांग्रेस का महापौर बनने में कोई दिक्कत नहीं। पांच में से चार नगरपालिका में भी कांग्रेस का कब्जा। नगर पंचायत तो छह के छह सत्ताधारी पार्टी के झोले में। रिसाली में बीजेपी के मेयर को भी हार का मंुह देखना पड़ गया। नतीजों के बाद कल देर शाम यूपी के चुनाव प्रचार से लौटे मुख्यमंत्री बेहद खुश थे। उन्होंने एयरपोर्ट पर मंत्रियों और कार्यकर्ताओं को मिठाई खिलाईं। मुख्यमंत्री ने जीत का श्रेय कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को दिया। तथा कहा कि सरकार के कार्यक्रमों के प्रति जनता का यह विश्वास है। सीएम भूपेश की खुशी समझी जा सकती है।

दरअसल, ये बात छिपी नहीं है कि ढाई-ढाई साल के नाम पर कुछ दिन पहले कांग्रेस के भीतर किस तरह तलवारें खिंची हुई थीं। हालांकि, अब तीन साल हो गया है। फिर भी इस बात से कोई इंकार नहीं करेगा कि इस चुनाव में अगर कांग्रेस को पटखनी मिलती तो जाहिर है, कांग्रेस हाईकमान पर सत्ता परिवर्तन का प्रेशर बढ़ता। इस बात का स्थापित करने की कोशिशें तेज होती कि सरकार लोगों का भरोसा खो रही है...अगले चुनाव में अगर सत्ता बचाए रखनी है तो नेतृत्व परिवर्तन करना होगा।

नगरीय निकाय चुनाव में एक और मिथक टूटा है। छत्तीसगढ़ में यह धारणा निर्मित हो रही थी कि भूपेश सरकार की योजनाएं सिर्फ ग्रामीण इलाकों पर केंद्रित है...शहरी क्षेत्रों में सरकार के प्रति जबर्दस्त नाराजगी है। मगर चुनावी नतीजों ने इस मिथक को तोड़ दिया।

सियासी पंडित भी मान रहे हैं कि नगरीय निकाय के परिणाम ने सीएम भूपेश को और ताकतवर बना दिया है। बीजेपी को पूरा ताकत झोंकने के बाद भी एक भैरमगढ़ नगरपालिका से संतोष करना पड़ा। बैकुंठपुर जिले के विभाजन के बाद कोरिया के लोगों में गुस्सा था। मगर बैकुंठपुर और चरचा नगरपालिका दोनों में जीत दर्ज कर कांग्रेस ने चौंका दिया। यकीनन, नगरीय निकायों की जीत ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पार्टी के भीतर और शक्तिशाली बना दिया हैै।

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