Chhattisgarh's first encounter: छत्तीसगढ़ का पहला एनकाउंटर, जब कांस्टेबल को गोली मारने वाले बदमाश को पुलिस ने किया था ढेर, एसपी थे सुंदरराज
Chhattisgarh's first encounter: मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहला एनकाउंटर जुलाई 2012 में हुआ था, जब पुलिस ने प्रेमिका के साथ रंगरेलिया मनाते पकड़े जाने पर आरोपी ने पुलिस को गोली मार दी थी। इसके पांच घंटे बाद पुलिस ने उसे ढेर कर दिया।
Chhattisgarh's first encounter: रायपुर। सूरजपुर में हेड कांस्टेबल की पत्नी और बेटी की बेरहमी से हत्या करने वाले कुलदीप साहू को बलरामपुर पुलिस ने आज गिरफ्तार कर लिया। आश्चर्यजनक घटनाक्रम में बताया गया कि गढ़वा भाग गया कुलदीप अंबिकापुर आ रहा था कि पुलिस ने बलरामपुर में गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी को बस से उतारकर पुलिस के साथ फोटो सेशन हुआ और उसके बाद तुरंत उसकी फोटो सोशल मीडिया में जारी कर दी गई। याने फोटो जारी कर कुलदीप को बिल्कुल सुरक्षित कर दिया गया। क्योंकि, कल घटना के बाद से उसकी एनकाउंटर की आशंकाएं सोशल मीडिया में जताई जा रही थी। पुलिस परिवार ने आज एनकाउंटर करने वालों को एक लाख रुपए ईनाम देने का ऐलान कर दिया था।
मगर पुलिस ने चकरी चलाई और आरोपी का ह्दय परिवर्तन हो गया। झारखंड से वह गिरफ्तार होने छत्तीसगढ़ आ गया। पुलिस ने उसे ससम्मान बस से उतारा। आरोपी के खिलाफ न कोई चश्मदीद गवाह है और न हथियार बरामद हुआ है। गाड़ी को भी उसने रात में ही धो दिया था। याने कोर्ट से बरी होने की पूरी संभावना है। ठीक उसी तरह जब 2012 में कांस्टेबल हत्याकांड में सारे आरोपी बरी हो गए थे।
हालांकि, कांस्टेबल हत्या की पुलिस ने पांच घंटे के भीतर कुख्यात बदमाश का एनकाउंटर कर दिया था। छत्तीसगढ़ का अब तक का यह पहला और आखिरी एनकाउंटर था। इससे पूरा छत्तीसगढ़ हिल गया था। चुन्नू गर्ग बिलासपुर का शातिर बदमाश था। शराब माफियाओं और पुलिस वालों के साथ मिलकर काम करते-करते उसका आतंक इतना बढ़ गया था कि आसपास के जिलों में उसका साम्राज्य स्थापित हो गया था।
चुन्नू को पहले बिलासपुर के तोरवा थाने की पुलिस ने खूब संरक्षण दिया। पुलिस के संरक्षण में उसने कई वारदातों को अंजाम दिया। मगर बाद में नए थानेदार से उसकी जमी नहीं और उसके बाद पुलिस उसके पीछे पड़ गई। गिरफ्तारी के बाद लंबे समय तक जेल में रहने के बाद वह 2012 में छूटा और जेल से बाहर आने के दूसरे दिन ही बिलासपुर में एक पति-पत्नी को बंधक बनाकर रात भर मारपीट की। पुलिस ने उसकी खोजबीन तेज की तो वह कोरबा भाग गया।
कोरबा भागने के दौरान तखतपुर में गार्ड का काम करने वाले अपने रिश्तेदार का रायफल लूट ले गया। तखतपुर में रायफल लूटने की घटना के बाद उसने अपने गुर्गो को खबर किया कोरबा में रहने वाली प्रेमिका के साथ वह कुछ पल बिताना चाहता है, उसके लिए एक कमरा का इंतजाम कर दे।
23 जुलाई 2012 की वह रात थी। चुन्नू गर्ग अपनी प्रेमिका के साथ कमरे में था। उसकी खबर एक होमगार्ड जवान को मिली। उसने अपने एक छत्तीसगढ़ पुलिस के एक जवान को बताया कि कोई कमरे में रंगरेलियां मना रहा है, चलते हैं देखने। होमगार्ड और पुलिस का जवान जैसे ही कमरे की खिड़की के पास पहुंचे, चुन्नू को लगा कि बिलासपुर पुलिस उसे पकड़ने आ गई है। उसने गोली चला दी। गोली कांस्टेबल किरीट राम पटेल के पेट में लगी।
किरीट पटेल को गंभीर अवस्था में बिलासपुर के अपोलो अस्पताल रवाना किया गया। उस समय 2003 बैच के आईपीएस सुंदरराज पी0 कोरबा के एसपी थे। रात 9.30 बजे कांस्टेबल की हत्या की खबर उन्हें जैसे ही मिली, उन्होंने आरोपी को पकड़ने फोर्स को अलर्ट कर दिया।
बताते हैं, घटना को अंजाम देने के बाद चुन्नू गर्ग अपनी प्रेमिका के साथ मौके से रवाना हो गया। चूकि उस समय काफी नशे में था, इसलिए वह अपना मोबाइल बंद करना भूल गया। लिहाजा, कोरबा से चांपा स्टेशन जैसे ही पहुंचा, कोरबा पुलिस पीछा करते हुए पहुंच गई। और आरोपी को पकड़ लिया। उस समय मोबाइल तो आ गया था मगर पुलिस ने फोटो सेशन नहीं कराया। न ही गिरफ्तारी की कोई सूचना बाहर आने दी।
तब तक बिलासपुर अपोलो अस्पताल में जख्मी कांस्टेबल की स्थिति गंभीर होती जा रही थी। चांपा स्टेशन से गिरफ्तार करने के बाद कोरबा पुलिस चुन्नू गर्ग को लेकर कोरबा के लिए रवाना हुई। रात तीन बजे जैसे ही खबर आई कि कांस्टेबल का निधन हो गया। उसके तुरंत बाद ये भी खबर आई कि कोरबा के पास जंगल में पुलिस का हथियार छिन भागने की कोशिश में चुन्नू गर्ग पुलिस की गोली से मारा गया।
चुन्नू गर्ग के मारे जाने पर कोरबा पुलिस ही नहीं, बल्कि बिलासपुर पुलिस ने भी राहत की सांस ली। क्योंकि, बिलासपुर के लोग भी उससे दहशत में थे। बहरहाल, कांस्टेबल हत्याकांड में मुख्य आरोपी एनकांउटर में मारा गया। मगर पुलिस ने उसकी प्रेमिका समेत जिन चार अन्य को आरोपी बनाया था, वे सभी बाइज्जत रिहा कर दिए गए। क्योंकि, पुलिस आरोप साबित नहीं कर पाई। जबकि रायफल भी बरामद हो गया था। सूरजपुर डबल मर्डर केस में तो अब तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है।