Chhattisgarh Tarkash: छत्तीसगढ़िया और बोरे बासी
Chhattisgarh Tarkash: छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति पर केंद्रित वरिष्ठ पत्रकार संजय के. दीक्षित का निरंतर 14 सालों से प्रकाशित लोकप्रिय साप्ताहिक स्तंभ तरकश
तरकशः 9 जुलाई 2023
संजय के. दीक्षित
छत्तीसगढ़िया और बोरे बासी
पीएम मोदी के दौरे के बाद यह तय हो गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में गांव, गरीब, किसान और छत्तीसगढियावाद महत्वपूर्ण मुद्दा रहेगा। जाहिर है, सीएम भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ियावाद उभार कर सूबे की सियासत में अपना कद काफी बड़ा कर लिया है। इसको देखते बीजेपी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। पार्टी नेताओं को मालूम है कि पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और राष्ट्रवाद को इश्यू बनाने के बाद भी ममता बनर्जी को कुर्सी से हटा नहीं पाई। यही वजह है कि पीएम मोदी ने अपना भाषण गांव, गरीब और किसान के साथ खास तौर पर छत्तीसगढ़ियावाद पर फोकस किया। उन्होंने जय जोहार से अपना भाषण शुरू किया। मोदी ने छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया को भी कोट किया। पीएम के मंच पर छत्तीसगढ़ महतारी की फोटो भी लगी थी। हालांकि, सीएम भूपेश बघेल ने बीजेपी के छत्तीसगढ़ियावाद पर यह कहते हुए चुटकी ली कि क्या बीजेपी नेता एकात्म परिसर में बोरे बासी खाएंगे...?
अमित शाह की क्लास
पीएम नरेंद्र मोदी की सभा ठीक-ठाक हो गई, इसके पीछे अमित शाह की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। मोदी से दो दिन पहले शाह पांच जुलाई को शाम रायपुर पहुंचे और पार्टी मुख्यालय में रात ढाई बजे तक नेताओं की क्लास लगाई। फिर सुबह उठने के बाद आठ बजे से दस बजे तक। बताते हैं, शाह के तेवर बेहद तीखे थे। उन्होंने दो टूक कह दिया...पुराने नेता, नए नेता...ये सब नहीं चलेगा...सबको मिलकर काम करना है और रिजल्ट देना है। शाह की आंखें तरेरने का असर था कि रातोरात बीजेपी में पूरा भेद मिट गया। 15 साल सत्ता में रहे नेता भी फं्रट पर आ गए। मोदी की सभा से एक रोज पहले ही 20 हजार लोग रायपुर आ गए थे। उनके लिए 200 धर्मशालाएं बुक कराया गया था। तभी झमाझम बारिश के रुकते ही लोगों से पूरा डोम भर गया। सारे लोगों को सुबह नौ बजे खाना खिलाकर सभा स्थल रवाना कर दिया गया। हेलीपैड पर स्वागत से लेकर मंच तक नए और पुराने दोनों नेताओं को भरपूर तरजीह दी गई।
प्रेम है, वहां प्रकाश
इस बार पीएम नरेंद्र मोदी ने लगभग सबको तवज्जो दिया। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव और नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल से पहले सरकारी कार्यक्रम में मिल लिए थे, हेलिपैड पर बृजमोहन अग्रवाल से कुशल क्षेम पूछा। सभास्थल पर मंच के नीचे पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय और अमर अग्रवाल ने उनका स्वागत किया। प्रेमप्रकाश को देखते ही मोदी ने चुटकी ली...जहां प्रेम है वहां प्रकाश है। इसके बाद अमर अग्रवाल से। चूकि अमर से उनके पिता लखीराम अग्रवाल के समय से उनकी पहचान है, सो प्रधानमंत्री ने उनके घर-परिवार के बारे में पूछा। अरुण साव, धरमलाल कौशिक, अजय चंद्राकर से भी वे बड़ी आत्मीयता से मिले। रायपुर से लौटते समय उन्होंने सभा की चार फोटो ट्वीट किया। उनमें एक आदिवासी नेता विष्णुदेव साय और रामविचार नेताम की गौर मुकुट पहनाए फोटो भी थी। इसकी ओरजिनल फोटो में पार्टी के सभी दिग्गज दिख रहे हैं मगर मोदी ने इसे क्रॉप कर सिर्फ दोनों आदिवासी नेताओं को लिया। इससे पता चलता है, मोदी ने सबको बराबर महत्व दिया।
ओम माथुर सर्वेसर्वा!
भाजपा में जो प्रदेश प्रभारी होता है, उसे ही चुनाव प्रभारी बनाया जाता है। इस लिहाज से ओम माथुर को चुनाव प्रभारी बनाया जाना कोई नई बात नहीं। मगर मोदी के दौरे के बाद एक बात स्पष्ट हो गई कि विधानसभा चुनाव के रण में बीजेपी के महारथी ओम माथुर ही होंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी माथुर को काफी इम्पॉर्टेंस दिया। आम सभा में जब अरुण साव का उद्बोधन चल रहा था, मोदी ने माथुर को बुलाकर बगल में बुलाकर बात की। मोदी जैसे पीएम इस तरह से मंच से ऐसे संदेश नहीं देते। दरअसल, मोदी के एक तरफ रमन सिंह बैठे थे, दूसरी तरफ अरुण साव। ओम माथुर रमन के बाद बैठे थे। अरुण जब स्वागत भाषण दे रहे थे, मोदी ने इशारे से माथुर को बुलाकर साव की कुर्सी पर बिठाया और उनसे कुछ चर्चा की। इसके बाद कार में बैठने के दौरान भी पीएम ने माथुर को बुलाकर पांच मिनट बात की।
कार्ड पर बवाल
पीएम मोदी के रायपुर विजिट के निमंत्रण कार्ड तैयार किए गए, उस पर अंदरखाने में काफी बवाल हुआ। पहले वाले कार्ड में डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का नाम था। मगर प्रधानमंत्री कार्यालय यानी पीएमओ ने इस पर आब्जेक्शन किया। पीएमओ का कहना था, सीएम जब हैं तो डिप्टी सीएम क्यों? इसके बाद टीएस का नाम हटा दिया गया। मगर कुछ देर बाद फाइनली उनका नाम जुड़ गया। हालांकि, राज्य सरकार की तरफ से कार्ड पर नाम छापने और मंच पर बैठने के लिए सीएम भूपेश के साथ डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव और पीडब्लूडी मंत्री ताम्रध्वज साहू के नाम पीएमओ भेजे गए थे। ताम्रध्वज का नाम इसलिए क्योंकि कार्यक्रम रोड नेटवर्क से भी जुड़ा था। मगर कार्ड में नाम छापने से पीएमओ ने पहले इंकार कर दिया। फिर, कहीं से फील्डिंग हुई...और डिप्टी सीएम का नाम कार्ड में छप गया। ताम्रध्वज का नाम कार्ड में नहीं था मगर मंच पर उन्हें बिठाया गया। कुल मिलाकर पीएम के सरकारी कार्यक्रम में राज्य सरकार को भी इम्पॉर्टेंस मिला...दो मंत्री भारत सरकार के बैठे तो दो राज्य के। दिल्ली से भूतल परिवहन मंत्री नीतिन गडगरी और स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया आए थे।
एडीजी सुरक्षा प्रभारी
प्रधानमंत्री के दौरे में पहले आईजी लेवल के अधिकारी को सिक्यूरिटी प्रभारी बनाया जाता था। पीएम मोदी भी इससे पहले जब भी छत्तीसगढ़ आए, आईजी को सुरक्षा प्रभारी बनाया गया। मगर पंजाब की घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने पीएम विजिट के लिए सिक्यूरिटी के मैन्यूल तैयार किए हैं, उनमें पीएम के राज्यों के दौरे पर वहां के डीजी या एडीजी लेवल के आईपीएस को सिक्यूरिटी इंचार्ज बनाया जाएगा। इसी के तहत एडीजी प्रदीप गुप्ता को प्रधानमंत्री के दौरे का सुरक्षा प्रभारी बना गया।
कवासी पीसीसी चीफ
सियासत में जो दिखता है, वो होता नहीं और जो होता है, वह दिखता नहीं...हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष के संदर्भ में। छत्तीसगढ़ में लंबे समय से प्रदेश अध्यक्ष बदलने की चर्चाएं चल रही हैं। ये दीगर बात है कि चर्चाएं अंजाम तक नहीं पहुंच पाई। मगर आपके जेहन में होगा...अमरजीत भगत जब मंत्री बने थे, तब मोहन मरकाम को पीसीसी चीफ बनाया गया था। सियासी पंडितों का कहना है, टीएस सिंहदेव अब डिप्टी सीएम बन गए हैं लिहाजा पीसीसी चीफ भी निश्चित तौर पर बदले जाएंगे। नए पीसीसी चीफ के लिए वैसे दीपक बैज, अमरजीत भगत और लखेश्वर बघेल के नाम चल रहे हैं। वो इसलिए कि आदिवासी अध्यक्ष को हटाने पर किसी आदिवासी को ही पीसीसी की कमान सौंपी जाएगी। मगर अब खबर है...पीसीसी अध्यक्ष के लिए इन तीन नामों के अलावे एक नाम चार बार के विधायक कवासी लखमा का भी है। कवासी को पीसीसी अध्यक्ष बनाने के बाद उनके आबकारी और उद्योग विभाग मोहन मरकाम को सौंप दिए जाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो राजभवन में मरकाम को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी।
एसीबी छापा
एसीबी ने लंबे अरसे बाद पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व महाप्रबंधक और उनके रिश्तेदारों के आधा दर्जन से अधिक ठिकानों पर छापा मारा। छापे के बाद अनुपातहीन संपत्ति का पता लगाने एसीबी टीम दस्तावेज खंगाल रही है। इससे पहले एसीबी ने 1 जुलाई 2021 को एडीजी जीपी सिंह के 10 से अधिक ठिकानों पर रेड मारा था। उसके बाद से एसीबी के अधिकारी खाली बैठे हुए थे। ठीक दो साल बाद वे फिर से एक्शन में आए हैं। अब देखना है कि छापे की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी...? वैसे डीएम अवस्थी जब एज ए आईजी एसीबी की कमान संभाल रहे थे, तब एक साल में 100 करोड़ की अनुपातहीन संपत्ति का पता लगाने का उन्होंने रिकार्ड बनाया था।
कैबिनेट में बड़ा काम
छत्तीसगढ़ में स्टांप एक्ट में संशोधन को कैबिनेट ने मंजूरी दे दिया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में अंग्रेजी के जमाने का स्टाम्प कानून चल रहा था। इसका फायदा बड़े कारपोरेट घराने उठा रहे थे। मसलन, 1999 में रेमंड के सीमेंट संयंत्र लाफार्ज को 752 करोड़ के बेचा गया, लेकिन रजिस्ट्री में केवल 32 करोड़ कीमत दर्शा कर सरकार को उस समय के रेट से 72 करोड़ के राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इस प्रकरण में छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल के तत्कालीन चेयरमैन सीके खेतान ने राज्य सरकार को सिफारिश किया कि अन्य राज्यो के स्टांप कानूनों और आयकर, विक्रय कर आदि की तरह स्टांप एक्ट में संशोधन किया जाए...जब भी वसूली हो, स्टांप ड्यूटी के चूक कर्ताओं को देय तिथि से उस पर ब्याज सहित वसूली हो। खेतान ने लिखा कि चूक कर्ता कोर्ट-कचहरी में अपील कर मामले को पचासों साल खींचते है, और तब तक उस पैसे का मूल्य खत्म हो चुका होता है। केस लड़ते सरकार का काफी नुकसान हो चुका होता है। लिहाजा, कोई भी अपील बकाया राशि जमा करने के बाद ही स्वीकार किया जाए। मगर राजस्व मंडल के आदेश को रजिस्ट्री विभाग के अफसरों ने ये कह कर रद्दी में डलवा दिया कि स्टांप कानून सेंट्रल कानून है, इसलिए इसमें कुछ नहीं किया जा सकता। लेकिन एक अफसर को समझाया गया। उसने मध्यप्रदेश में पता किया तो मालूम हुआ कि स्टांप कानून में राज्य संशोधन कर सकती है। तब जाकर इसे कैबिनेट में रखा गया।
अंत में दो सवाल आपसे
1.सीएम भूपेश और डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव फिर से अब साथ नजर आने लगे हैं...तो क्या इसे माना जाए कि जय और बीरु की जोड़ी आबाद हो गई है?
2. इस बात में कितनी सत्यता है कि अगले महीने 15 अगस्त को अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने का ऐलान कर दिया जाएगा?