Chhattisgarh Politics: पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के तेवर से सैलजा नाराज, शीर्ष लेवल पर होगी बड़ी सर्जरी! इन नामों की चर्चा...
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Chhattisgarh Politics: रायपुर। महामंत्रियों के प्रभारों में बदलावो को लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस (CG_PCC) में उठा बवंडर फिलहाल शांत होता नहीं दिख रहा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार इस मामले में पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के तेवर से प्रदेश प्रभारी बेहद खफा बताई जाती हैं। चूकि सीएम भूपेश बघेल से पीसीसी चीफ की पहले से खटर पटर चल रहा है। अभी तक पार्टी प्रभारी सैलजा का सपोर्ट मरकाम को मिलता था। मगर मरकाम की ताजा बयानबाजी से सैलजा भी नाराज हो गई हैं। इससे पार्टी संगठन में शीर्ष स्तर पर बदलाव की अटकलों के साथ ही संभावित नामों पर भी चर्चा तेज हो गई है। पार्टी नेताओं के अनुसार अगले एक-दो दिन में प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली तलब किया जा सकता है।
जानिए पीसीसी में विवाद की क्या है ताजा वजह
पीसीसी (CG_PCC) में ताजा विवाद की शुरुआत पांच महामंत्रियों और एक उपाध्यक्ष के बीच काम के बंटावारे के पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के एक आदेश से हुई है। चार दिन पहले पीपीसी चीफ ने आदेश जारी कर प्रदेश संगठन और प्रशासन का काम देख रहे दोनों महामंत्रियों रवि घोष और अमरजीत चावला को हटाकर अरुण सिंह सिसोदिया को संगठन और प्रशासन महामंत्री की जिम्मेदारी सौंप दी। वहीं, घोष को बस्तर का प्रभारी बना दिया, जबकि चावला को रायपुर के साथ ही यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई की जिम्मेदारी सौंप दी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार यह सब करने से पहले मरकाम ने संगठन और सरकार में किसी भी वरिष्ठ नेता से बात नहीं की। इससे सबको झटका लगा। पार्टी नेताओं को ज्यादा आपत्ति चावला को ज्यादा महत्व दिए जाने को लेकर थी। चावला के खिलाफ खुद मुख्यमंत्री ने हाई कमान से शिकायत की है। एआईसीसी से चावला को नोटिस भी जारी हुई है।
बहरहाल, महामंत्रियो के प्रभारों में मनमाने पूर्ण बदलावो की शिकायत प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा से हुई तो उन्होंने मरकाम का आदेश तत्काल निरस्त कर दिया। सैलजा के आदेश की अनदेखी करते हुए मरकाम ने कहा कि आगामी आदेश जारी होने तक मैं जो आदेश जारी किया हूं उसी के हिसाब से काम होगा। इसी पर बात बिगड़ गई है।
हो चुका है पूरा मरकाम का कार्यकाल
मोहन मरकाम को 2019 में पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी दी गई थी। कांग्रेस में जो फार्मूला तय है उसके हिसाब से अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। ऐसे में मरकाम का कार्यकाल तीन वर्ष से ज्यादा का हो चुका है। इसी वजह से पिछले वर्ष के अंत से ही नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर समय- समय पर चर्चा उठती रहती है।
इस वजह से अब तक नहीं हटाए गए मरकाम
पार्टी सूत्रों के अनुसार पीसीसी चीफ मरकाम और सरकार के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बीच-बीच में नाराजगी और तनातनी की भी खबरें आती रहती हैं। कई बार नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चर्चा चली, लेकिन फिर मामला शांत हो गया। इसका कारण इस वर्ष नवंबर- दिसंबर में होने वाला विधानसभा का चुनाव बताया जा रहा है। पार्टी नेताओं के अनुसार नए अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही नई टीम भी बनानी पड़ेगी, इसका असर चुनाव पर भी पड़ सकता है इसी वजह से अध्यक्ष की नियुक्ति को टाला जा रहा है।
बदलाव के लिए तय हुआ है ये फार्मूला
पार्टी नेताओं के अनुसार संगठन में बदलाव का फार्मूला तैयार है। यह फार्मूला करीब छह महीने पहले ही तय कर लिया गया था। इसके तहत एक अध्यक्ष के साथ तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की योजना है। इसके जरिये न केवल जाति समीकरण साधा जा सकता है बल्कि पार्टी की गुटीय राजनीति को भी संतुलित किया जा सकता है।
आदिवासी वर्ग से ही होगा नया प्रदेश अध्यक्ष
पीसीसी चीफ बदले जाते हैं तो इस बात की प्रबल संभावना है कि नए अध्यक्ष भी आदिवासी वर्ग से ही हों। वहीं, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के एक-एक नेता को कार्यकारी अध्यक्ष की कुर्सी मिल सकती है।
नए पीसीसी अध्यक्ष के लिए इन नामों की चर्चा
नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए जिन नामों की चर्चा है उनमें सबसे ऊपर दीपक बैज हैं। बैज बस्तर से सांसद हैं। बैज को लेकर कोई विवाद नहीं है। पार्टी नेताओं के अनुसार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी बैज के नाम पर सहमत हैं। बताते चले कि दिसंबर में भी प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने को लेकर चर्चा चली थी, जब दिल्ली में बैज की मुख्यमंत्री बघेल के मुलाकात की तस्वीर काफी वायरल हुई थी। इसके साथ ही मंत्री अमरजीत भगत, शिशुपाल सोरी और लखेश्वर बघेल का नाम भी चर्चा में है।