Chhattisgarh Politics: ढाई महीने का मंत्री! महामंत्रियों के प्रेम में कुर्सी गवां बैठे मरकाम... चुनावी वक्‍त में छिन गया PCC चीफ का रुतबा

मोहन मरकाम संभवत: प्रदेश के सबसे छोटे कार्यकाल वाले मंत्री होंगे। पीसीसी चीफ के पद से हटाए गए मरकाम कल राजभवन में शपथ लेंगे।

Update: 2023-07-13 15:05 GMT

Chhattisgarh Politics: रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष के पद से हटाए गए मोहन मरकाम की कल राज्‍य के मंत्री के रुप में ताजपोशी हो जाएगी। मरकाम की यह स्थिति सियासी गलियारों से लेकर आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। यद्यपि, कुछ लोगों को लगता है, मंत्री बनने से मरकाम का कद बढ़ जाएगा। लेकिन राजनीतिक विश्‍लेषक मान रहे हैं कि पार्टी ने एन वक्‍त पर मरकाम को किनारे लगा दिया। सत्‍ताधारी पार्टी के चीफ की उनकी कुर्सी छीन ली गई। बदले में मंत्री पद दिया गया है, जिसकी मियाद मुश्किल से ढाई महीने होगी। अक्टूबर फर्स्ट वीक में आचार संहिता लगने के बाद मंत्री पद का क्या मोल?

राजनीतिक विश्‍लेषकों की राय में चुनाव के वक्त सरकार के मंत्री से संगठन के अध्यक्ष का पद हर मायने में बड़ा होता है। अध्‍यक्ष जब सत्‍तारुढ़ पार्टी का हो तो उसका रुतबा और भी ज्‍यादा रहता है। चुनाव के दौरान बड़े नेताओं की सभा और कार्यक्रम से लेकर टिकट वितरण तक में अध्‍यक्ष की अहम भूमिका होती है। सामान्य दिनों की अपेक्षा चुनावी समय में प्रदेश अध्यक्ष की अहमियत कई गुना बढ़ जाती है। उसके सामने मंत्री पद कोई मायने नहीं रखता।

चुनाव तक टल गया था मामला, फिर अचानक बदलाव

मरकाम का तीन वर्ष का कार्यकाल मार्च में ही पूरा हो चुका था। पार्टी के आला नेताओं के अनुसार उसी समय एक बार नए अध्‍यक्ष की नियुक्ति की बात चली थी। दिल्‍ली तक बात हुई। प्रस्‍तावित नामों का पैनल आलाकमान तक गया, लेकिन राष्‍ट्रीय स्‍तर पर चल रही गतिविधियों के कारण मामला टल गया। पार्टी सूत्रों के अनुसार इसके बाद यह तय हुआ कि विधानसभा चुनाव तक मरकाम ही अध्‍यक्ष बने रहेगें।

इसके साथ ही पार्टी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई। बूथ स्‍तर पर अभियान शुरू हो गए। इस बीच महामंत्रियों वाला एपिसोड हो गया। महामंत्रियों को लेकर मरकाम का मोह उन पर ही भारी पड़ गया। बता दें कि करीब महीनेभर पहले मरकाम ने प्रदेश के संगठन महामंत्रियों के प्रभार में बदलाव किया। पार्टी के संगठन और प्रशासन का काम देख रहे रवि घोष और महामंत्री अमरजीत चावला को हटाकर दोनों काम अरुण सिंह को सौंप दिया। वहीं, घोष को बस्‍तर संभाग और चावला को रायपुर ग्रामीण व एनएसयूआई का प्रभार सौंप दिया। संगठन में इस बड़े बदलाव से पहले मरकाम ने न तो प्रदेश के नेताओं से चर्चा की और न ही प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा को विश्‍वास में लिया।

मरकाम के इस फैसले से नाराज प्रदेश के नेताओं ने इसकी दिल्‍ली तक शिकायत कर दी। इसके बाद सैलजा ने मरकाम का आदेश निरस्‍त करते हुए रवि घोष को संगठन और प्रशासन की जिम्‍मेदारी सौंप दी। इसको लेकर मरकाम ने कहा कि मैं जो आदेश जारी किया हूं उसी के हिसाब से काम होगा। हालांकि बाद में उन्‍होंने अपना तेवर बदला। तब तक काफी देर हो चुकी थी। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है, सैलजा सीधे सोनिया गांधी से कनेक्ट हैं। उनसे रार लेकर मरकाम ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। और तो और सैलजा के महामंत्रियों के प्रभार को निरस्त करने के बाद भी मरकाम ने आदेश नहीं बदला। पार्टी सूत्रों के अनुसार यह बात न केवल सैलजा बल्कि दिल्‍ली में बैठे आला नेताओं को भी पसंद नहीं आई। सियासी पंडितों का कहना है, सैलजा के फैसलों के खिलाफ मरकाम ने जिस दिन बयान दिया उसी रोज उनकी विदाई की पटकथा लिखा गई थी।

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