chhattisgarh politics: CG में मोदी V/s भूपेश: छत्तीसगढ़ में PM मोदी के भरोसे भाजपा, कांग्रेस भूपेश को ही बनाएगी चेहरा
chhattisgarh politics: भाजपा की 15 साल की सत्ता जाते ही भाजपा में कोई करिश्माई नेता नहीं बचा पर भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार को चुनौती देकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
chhattisgarh politics: रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के ऐलान के लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है। साथ ही, लगभग यह स्थिति भी स्पष्ट हो चुकी है कि यहां मुकाबला पीएम नरेंद्र मोदी वर्सेस सीएम भूपेश बघेल होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा का पूरा चुनावी अभियान पीएम मोदी पर केंद्रित होगा। इसके विपरीत केंद्र सरकार के खिलाफ राज्य के मुद्दों को लेकर आक्रामक रुख रखने वाले सीएम भूपेश ही कांग्रेस के लिए चेहरा होंगे। राहुल गांधी ने भी छत्तीसगढ़ के स्थानीय मुद्दों के बजाय राष्ट्रीय मुद्दों पर फोकस किया, इसलिए उन्हें अप्रासंगिक माना जा रहा है।
दस साल पहले छत्तीसगढ़ में ऐसी स्थिति बनी थी, जब भाजपा की सत्ता हिल गई थी। झीरम कांड के बाद यह माना गया था कि भाजपा की सत्ता में वापसी मुश्किल है। भाजपा के लिए आदिवासी सीटों पर मुश्किलें आईं, लेकिन मैदानी सीट को कवर कर भाजपा की सत्ता में वापसी हो गई। इसके बाद जब पीसीसी अध्यक्ष के रूप में भूपेश बघेल की नियुक्ति हुई, तब तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने आक्रामक कैंपेन शुरू किया। उस समय तक आम लोग तो दूर भाजपा को भी यह अनुमान नहीं था कि 2018 में तख्तापलट होने जा रहा है। तत्कालीन सीएम डॉ। रमन सिंह के सलाहकार यह समझने में नाकामयाब रहे कि परिणाम विपरीत आने वाले हैं। तब के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अबकी बार 65 पार का नारा देकर गए और जब परिणाम आया, तब 68 सीटें कांग्रेस की थी।
राज्य में तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में जब सीएम भूपेश बघेल की नियुक्ति हुई, तब छत्तीसगढ़ की राजनीति का एक नया दौर शुरू हुआ। राजीव गांधी किसान न्याय योजना भूपेश सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। किसानों की कर्ज माफी और प्रति क्विंटल 2500 रुपए कीमत देकर भूपेश बघेल ने यह संदेश दे दिया कि यह किसानों की सरकार है। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि धान के मुद्दे का क्या हल होगा? बिलासपुर की सभा में पीएम मोदी ने यह दावा किया कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद एक-एक दाना धान खरीदने के लिए केंद्र सरकार पैसा दे रही है, लेकिन धान की कितनी कीमत देंगे, यह नहीं बोल सके।
भाजपा में करिश्माई नेता का टोटा
15 साल की सत्ता जाने के बाद छत्तीसगढ़ में भाजपा करिश्माई नेता की कमी से जूझ रही है। आलम यह रहा कि पूरे 5 साल तक स्थानीय नेता मुखर नहीं हो सके। तीन बार प्रदेश अध्यक्ष बदलना पड़ा। पहले विक्रम उसेंडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद विष्णुदेव साय प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। उन्हें विश्व आदिवासी दिवस के दिन हटा दिया गया और ओबीसी समाज से अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। साव के सामने थके-हारे और मायूस नेता-कार्यकर्ताओं की भीड़ थी, इसलिए अपनी अलग टीम बनाकर काम करना पड़ा। कोरोना के दौरान भी ज्यादातर नेता खामोश बैठे रहे। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ही सोशल मीडिया पर मुखर रहे हैं।
सिंहदेव की तारीफ से बदला समीकरण
डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को स्क्रीनिंग कमेटी और सेंट्रल इलेक्शन कमेटी में शामिल करने के बाद यह माना जा रहा था कि चुनाव के दौरान उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी, लेकिन पीएम मोदी की मौजूदगी में केंद्र सरकार की तारीफ करने से समीकरण बदलता नजर आ रहा है। बिलासपुर की सभा में पीएम मोदी ने फिर से इसी मुद्दे को हवा दे दी। इसके बाद चुनाव अभियान के केंद्र में सिंहदेव के नहीं होने की बात आ रही है।