Chhattisgarh News: CG अंधा सिस्टमः 5000 से 7000 वर्गफुट रेट की जमीनों का हजार रुपए सरकारी रेट, खजाने को करोड़ों का चूना लगा रहे छत्तीसगढ के बिल्डर और भूमाफिया
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में बिल्डरों और भूमाफियाओं की पिछले कुछ सालों में ऐसी किस्मत चमकी कि सरकार ने गाइडलाइन रेट बढ़ाया नहीं, उल्टे 30 परसेंट और कम कर दिया। सरकार के इस फैसले से उन बिल्डरों और भूमाफियाओं को सबसे ज्यादा फायदा हुआ, जो रायपुर के बाहरी हिस्सों की डेवलप कालोनियों का सरकारी रेट औने-पौने करा रखा है। मगर सरकार अब इसे रिव्यू कराने की तैयारी कर रही है।
Chhattisgarh News: रायपुर। छत्तीसगढ़ में अफसरों की मिलीभगत से बिल्डरों और भूमाफियाओं के गठजोड़ ने ऐसा गुल खिलाया कि पिछले एक दशक में छत्तीसगढ़ के बिल्डर और भूमाफिया मालामाल हो गए। दरअसल, सबसे बड़ा खेला गाइडलाइन रेट में किया गया। गाइडलाइन रेट तय करने वाले अफसरों ने कचना और विधानसभा रोड की लग्जरी कालोनियों का रेट भी हजार रुपए तय कर दिया। आपको जानकर हैरानी होगी कि सड्डू के सबसे पिछड़े इलाकों में जमीनों का सरकारी रेट भी हजार रुपए है और विधानसभा रोड पर बने हाई प्रोफाइल कालोनियां का भी वही रेट।
पॉश कालोनियों में 1395 रुपए रेट
छत्तीसगढ़ में लालफीताशाही का कमाल देखिए विधानसभा रोड, कचना, आमासिवनी में गाइडलाइन रेट में 30 प्रतिशत छूट खतम होने के बाद भी 1390, 1395 रुपए से अधिक नहीं है। ये उन पॉश इलाकों की बात कर रहे हैं, जिन कालोनियों में डेढ़ करोड़ से नीचे का कोई छोटा मकान नहीं मिलता और 60 से 70 लाख से नीचे 1200 वर्ग का प्लॉट नहीं मिलेगा। मगर रजिस्ट्री होती है 1390 रुपए के रेट से। रायपुर के सबसे पॉश कालोनी और बिजनेस हब बनाने का दावा करने वाले एक बिल्डर की कालोनी और व्यवसायिक पार्क का एनपीजी न्यूज संवाददाता ने विजिट किया, वहां रेट बताया गया 7000 रुपए वर्ग फुट।
5 साल से रेट नहीं बढ़ा
एक तो रायपुर के आउटर कालोनियों का सरकारी रेट हजार, बारह सौ से उपर नहीं हुआ, उपर से सरकार ने 30 परसेंट और कम कर दिया। बीजेपी की नई सरकार आने के बाद गाइडलाइन रेट की छूट को समाप्त किया गया। लोकसभा चुनाव के आचार संहिता का फायदा उठाते हुए राज्य पंजीयन विभाग ने 30 परसेंट छूट के आदेश को कंटिन्यू न करने का फैसला किया। इससे बिल्डरों और भूमाफियाओं को तगड़ा झटका लगा। बता दें, दूसरे राज्यों में हर साल गाइडलाइन रेट में बाजार के हिसाब से कुछ-न-कुछ वृद्धि की जाती है। छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य होगा, जहां 2017 के बाद जमीनों के संपत्ति दर में एक पैसे की वृद्धि नहीं हुई। उपर से 30 परसेंट छूट दे दी गई। याने आउटर की महंगी जमीनों को सरकारी रेट वैसे ही औने-पौने और उपर से एक तिहाई का रियायत भी।
मनी मनी लॉड्रिंग का बड़ा सोर्स
जमीनों और संपत्तियां का सरकारी रेट कम करने के खेला से रायपुर मनी लॉड्रिंग का केंद्र बन गया है। महंगी जमीनों को कौडियों के भाव रजिस्ट्री करने से ब्लैक मनी का चलन तेजी से बढ़ा है। काली कमाई वाले दूसरो प्रदेशों के इंवेस्टर्स छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। नाममात्र के सरकारी रेट में जमीन या मकान बेचने से बिल्डरों और भूमाफियाओं को इंकम टैक्स का बड़ा फायदा हो रहा है। जरा सोचिए 7000 फुट की जमीन में जो प्लॉट बिल्डर बेच रहे हैं, उसका सरकारी रेट है 1300। याने पांच गुना कम। बिल्डरों को 7000 की बजाए 1300 रुपए के हिसाब से इंकम टैक्स जमा करना पड़ता है। इसमें ब्लैक मनी का फ्लो इसलिए बढ़ गया है कि एक नंबर में बहुत थोड़े पैसे देने पड़ रहे हैं, 70 से 75 परसेंट हिस्सा कैश में ले रहे बिल्डर। चूकि बिल्डरों और भूमाफियाओं को कैश में पैसे ज्यादा मिल रहा है सो दो नंबर का काम रियल इस्टेट में ज्यादा हो रहा।
कार्रवाई क्यों नहीं?
इसे अंधा सिस्टम कहा जाएगा कि जब सभी को मालूम है कि बाजार में किस रेट से जमीनों और संपत्तियों को विक्रय किया जा रहा है, उसके बाद भी छत्तीसगढ़ के अफसर आंख मूंदकर पुराने गाइडलाइन रेट को फॉलो करते हैं। छत्तीसगढ़ में पिछले 20 साल में बाजार रेट दस गुना तक बढ़ गए हैं मगर सरकारी रेट वही है हजार, बारह सौ।
अब रिव्यू होगा!
खबर है, राज्य सरकार सरकारी गाइडलाइन रेट की 30 फीसदी छूट को समाप्त करने के बाद अब गाइडलाइन रेट को रिव्यू करने का फैसला किया है। इसके लिए विचार-विमर्श प्रारंभ हो गया है। अब देखना है, सरकार इस पर कब फैसला लेती है।