CG आरक्षण पर SC में नया केस : शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं, सुप्रीम कोर्ट से गुहार, सरकार को 15 जून तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दें

Update: 2023-05-30 07:35 GMT

रायपुर. छत्तीसगढ़ में शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के संबंध में आरक्षण की स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं है. राज्य सरकार की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग ने 9 मई को एक पत्र जारी किया गया है कि प्रवेश के समय आरक्षण की जो भी व्यवस्था होगी, उसके आधार पर एडमिशन दिया जाएगा. इसी बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को 15 जून तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दे, क्योंकि हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में प्रवेश की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. यूनिवर्सिटी की ओर से वेबसाइट में आरक्षण की जिस व्यवस्था का उल्लेख किया गया है, वह गुमराह करने वाला है.

प्रदेश में आरक्षण की स्थिति को लेकर अभी पेंच फंसा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में 58% आरक्षण के आधार पर राज्य सरकार को भर्तियों व प्रमोशन की अनुमति दी है. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के संबंध में कोई दिशा निर्देश नहीं दिया. दूसरी ओर शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू होने का समय अब आ गया है. विधिक सलाहकार बीके मनीष की सलाह पर याचिकाकर्ता योगेश कुमार ठाकुर ने अनुच्छेद 14 का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से यह प्रार्थना की है कि राज्य सरकार को इस तरह मनमानी की छूट नहीं दी जा सकती है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को 15 जून तक आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दे.

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राज्य के युवाओं को नुकसान

हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने 2012 के पहले की स्थिति और उच्च शिक्षा विभाग के पत्र का हवाला देकर एडमिशन का उल्लेख किया है. छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम 2012 मूल अधिनियम था, जो 2012 के मार्च-अप्रैल सत्र में पारित हुआ था. इससे पहले शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के संबंध में आरक्षण के लिए कोई कानून नहीं था. ऐसी स्थिति में 58 प्रतिशत आरक्षण असंवैधानिक होने की स्थिति में 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था लागू करने पर भी सवाल उठ रहे हैं. यह पूरा मामला अभी कोर्ट के अधीन है. 50 प्रतिशत आरक्षण की स्थिति में आदिवासी छात्रों को 10 सीटों का नुकसान हो रहा है. वहीं, आरक्षण शून्य की स्थिति मानें तो 43 सीटें आरक्षित होने से सामान्य वर्ग के उन छात्रों को नुकसान हो रहा है, जिन्हें ज्यादा नंबर मिले थे.

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