Chhattisgarh Land Scam: जिस एसडीएम को जेल में होना था, वह छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप का ओएसडी बन गया

Chhattisgarh Land Scam: रायगढ़ के एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल ने इतना बड़ा स्कैम किया था कि रायगढ़ कलेक्टर मुकेश बंसल ने 1300 पेज की रिपोर्ट भेज सरकार से कार्रवाई की सिफारिश की थी। एसडीएम को सस्पेंड किया गया, डीई भी बिठाई गई। मगर अब उन्हें सीनियर मंत्री केदार कश्यप का ओएसडी बना दिया गया है।

Update: 2024-02-04 07:43 GMT

Chhattisgarh Land Scam: रायपुर। रायगढ़ के लारा में स्थित एनटीपीसी पावर प्लांट के भूअर्जन में करोड़ों का खेला एनटीपीसी और शासन को 500 करोड़ का खेला करने वाले एसडीएम को छत्तीसगढ़ के वन मंत्री का ओएसडी बनाया गया है।

पूरा मामला रायगढ़ जिले से जुड़ा हुआ है। यह घोटाला तब सामने आया जब रायगढ़ के विकासखंड में स्थित ग्राम लारा में एनटीपीसी अपना प्लांट स्थापित कर रहा था। यह बात 2014 की है। इस दौरान लारा विकासखंड में एनटीपीसी के भू अर्जन व मुआवजा वितरण में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी। इस धांधली के लिए तत्कालीन एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल को मुख्य जिम्मेदार माना गया। एनटीपीसी के यहां प्लांट लगने के साथ ही आदेश जारी कर वहां जमीनों की खरीदी बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। मगर कुछ दिन बाद ट्रांसफर होकर आए तीर्थराज अग्रवाल ने चुपके से रोक हटा दिया। इसके बाद जमकर खेला हुआ। प्लांट के आसपास उस समय 300 प्लाट थे, इसे 1300 टुकड़ों में इसलिए बांट दिया गया ताकि चार गुना मुआवजा प्राप्त किया जा सके। आरोप है कि इससे एनटीपीसी प्रबंधन को 500 करोड़ का नुकसान हुआ। आइए जानते हैं घोटालों की पूरी कहानी ....

देश की सबसे बड़ी सरकारी पावर कंपनी एनटीपीसी ने रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखंड में अपना प्लांट लगाने की शुरुआत की। प्लांट लगाने से पहले जमीनों का अधिग्रहण हुआ। भूअर्जन में किसी भी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए 6 जुलाई 2012 को उस वक्त के तत्कालीन एसडीएम ने अधिसूचना जारी कर प्लांट लगने वाली जगह में से ग्राम बघनपुर, घनागार,और कोड़ातराई की जमीन की खरीदी बिक्री तथा खाता बंटवारे पर रोक लगाई थी। पर एक ही खाते के जमीन के कई टुकड़े कर अलग-अलग खाता बना मुआवजा राशि हड़पने के खेल को अंजाम देने के लिए और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तीर्थराज अग्रवाल ने 22 अप्रैल 2013 को पत्र जारी कर इस निर्देश को हटा लिया। इस आदेश के चलते प्रभावित गांवों के एक ही परिवार के कृषि भूमि को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर खाता विभाजन कर दिया गया। जिसके चलते एक खाते पर दिया जाने वाला मुआवजा राशि अलग-अलग खाते होने के चलते अलग-अलग दिया गया जिससे एनटीपीसी को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा।

रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखंड स्थिति लारा पावर प्लांट की स्थापना लारा, झिलगीटारए, देवलसुराए, आड़मुड़ा, बोड़ाझरिया, कांदागढ़, छपोरा,महलोई,तथा रियापली में कुल 780.869 हेक्टेयर, लगभग 781 हेक्टेयर जमीन का भू अर्जन हुआ। जमीन के भू अर्जन से पहले वह भू अर्जन के प्रक्रिया के दौरान एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल के आदेश के चलते जमीन के भू अर्जन से पहले एक ही जमीन के छोटे-छोटे कई टुकड़ों में खाता विभाजन हुआ। छोटे-छोटे टुकड़ों में जमीन का क्रय विक्रय किया गया। जिसमें एसडीएम अग्रवाल ने बंटवारा तथा नामांतरण के संबंध में राजस्व कानूनों का पालन नहीं करवाया और जम कर धांधली की गई।

इसलिए किए गए जमीन के टुकड़े

दरअसल, भू अर्जन के दौरान जमीन चले जाने से प्रभावित परिवारों को मुआवजा तो मिलता ही है साथ ही विस्थापन होने के चलते विस्थापन राशि भी दी जाती है। एक खाता होने पर एक बार विस्थापन राशि दी जाएगी पर यदि इस एक जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े करने पर मुआवजा चार गुना अधिक मिलता है। साथ ही सीपत में एनटीपीसी के स्थापना पर जमीन देने वाले प्रभावित परिवारों को नौकरी भी दी गई है। जिसके चलते एक ही परिवार के एक जमीन के छोटे-छोटे कई टुकड़े कर कई सदस्यों के नाम चढ़ा दिए गए जिससे उन्हें एनटीपीसी में नौकरी का लाभ दिया जा सके। इस खेल के लिए तीर्थराज अग्रवाल पर प्रभावितों को अवैधानिक लाभ पहुंचाने की मंशा से दुरभिसंधि करते हुए अनियमितता और लापरवाही बरतने के आरोप लगे थे।

एसडीएम निलंबित

रायगढ़़ के तत्कालीन कलेक्टर मुकेश बंसल को घोटाले की जानकारी मिली। उन्होंने इसकी जांच कराई। 1300 पेज की जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि लैंड स्केम के सूत्रधार एसडीएम तीर्थराज थे। इसके बाद कलेक्टर ने सरकार को कार्रवाई करने की सिफारिश की। इसके साथ ही उन्होंने पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराया। अगस्त 2013 को राज्य शासन ने मामले में तीर्थराज अग्रवाल को दोषी पाते हुए निलंबित कर दिया। अदालत ने निलंबित एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था। पर तीर्थराज अग्रवाल गिरफ्तारी से बचते रहे और किसी तरह अंततः जेल जाने से बच गए और उसके बाद लगातार कई महत्वपूर्ण पदों पर काम भी किया।

एक ही खाते की जमीन को 7 लोगों के नाम

राकेश गोयल पिता रामभगत गोयल द्वारा झिलगीटार में पटवारी हल्का नंबर 34 के खसरा नंबर 16/6 में 1.417 जमीन को सात लोगों के नाम पर आपसी नामांतरण कर खाता बना लिया था। इस खाते को तहसीलदार से सत्यापित कराया गया। सत्यापन कराने के बाद तत्कालीन एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल ने सातों खाताधारकों को 6 लाख 96 हजार रुपए का मुआवजा आवंटित कर दिया। इसके बाद सभी खाताधारकों ने यूको बैंक मैनेजर से सांठगांठ कर जाति बदल खाता खोल लिया और मुआवजा राशि का आहरण कर लिया। मामले में जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट पर पुसौर पुलिस ने सातों खाताधारकों के खिलाफ अपराध दर्जकर 31 दिसंबर 2014 को न्यायालय में चालान पेश करते हुए पांच लोगों पटवारी केशव राठिया, कठानी सरपंच राजकुमार सिदार, खाता खोलने के दौरान गारंटर बने ठंडाराम के अलावा सूरज शर्मा व आनंद शर्मा को पेश करते हुए निलंबित एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल व सचिव कुमारी सेनेगिया व अन्य के खिलाफ धारा 173-8 के तहत पृथक चालान पेश करने की अनुमति मांगी। न्यायालय से अनुमति मिलने के 60 बाद भी फरार लोगों को पुसौर पुलिस पेश नहीं कर पाई। जिस पर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अमित राठौर ने निलंबित एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल व सचिव सुनेगिया पिता सुग्रीव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

ऐसे हुआ नामांतरण

राकेश गोयल के 1.417 हेक्टेयर भूमि को बोनस के लालच में अधिकारियों से मिलीभगत कर जयी पति बैजनाथ अग्रवाल, सोनिया पति सूरज अग्रवाल, आकाश पिता बैजनाथ, सोनल पिता बैजनाथ, चांदनी पिता बैजनाथ, गिरधारी पिता पुरूषोतम अग्रवाल, चंचल पति संजय अग्रवाल के नाम पर 0.024-0.024 हेक्टेयर का आपसी नामांतरण करा लिया गया।

रिश्वत लेकर भूमि अधिग्रहण की राशि गलत लोगों को देने का भी आरोप

अवैधानिक खाता विभाजन कर घोटाले के अलावा रिश्वत लेकर भूमि अधिग्रहण की राशि गलत लोगों को आबंटित करने के आरोप भी तीर्थराज अग्रवाल पर इस दौरान लगे। ग्राम पुसौर ब्लॉक के ग्राम बोड़ाझरिया की दो बहनों समारी व कुमारी बाई ने लिखित शिकायत देकर जमीन प्रकरण तहसील में चलने के दौरान तीन लाख रुपए घूस लेकर दूसरे फर्जी ढंग से भूमि अधिग्रहण की राशि गलत लोगों को दिलाने का सनसनीखेज आरोप लगाया था।

2 साल में हजारों खाते

जिन 9 गांवो में लारा पावर प्लांट स्थापित होना था उन गांवो में 2 सालों के भीतर ही अवैध रूप से हजारों खाते बन गए थे। नौकरी मुआवजा व बोनस के लालच में राज्य के अन्य जिलों के ही नहीं बल्कि देश के कई बड़े महानगरों के लोगों ने लारा में जमीन खरीदी की थी।। मामला सामने आने पर पहले एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल ने पटवारी केशव प्रसाद राठिया, गांव के सरपंच सचिव समेत 22 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज करवाने के निर्देश पुसौर थाने को दिए थे। पर जैसे-जैसे यह मामला आगे बढ़ा और जांच शुरू हुई तो खुद एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल ही इसके सरगना के रोल में नजर आए। तीर्थराज अग्रवाल 2008 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर हैं।



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