Chhattisgarh Election Results Live 2023: गवर्नेंस, करप्शन, लॉ एंड आर्डर और पीएससी का मुद्दा कांग्रेस को ले डूबा, महतारी योजना ने महिलाओं का वोट टर्न कर दिया
Chhattisgarh Election Results Live 2023: 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस किसानों की बदौलत एकतरफा सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। मगर इस बार कांग्रेस की बराबरी में भाजपा ने भी घोषणाओं की झड़ी लगा दी। चूंकि किसानों को बराबरी में मिल रहा था, सो उसने गुड गवर्नेंस के लिए बीजेपी को चुनना ज्यादा मुनासिब समझा। जबकि, कांग्रेस को सबसे अधिक भरोसा किसानों पर था। इस चुनाव से एक और अहम संदेश यह गया है कि छत्तीसगढ़ ने एक बार फिर जातिवाद और क्षेत्रवाद की सियासत को नकार दिया।
Chhattisgarh Election Results Live 2023: रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार अब लगभग बनना तय हो गया है। समाचार लिखे जाने तक बीजेपी 55 पर पहुंच चुकी है और सत्ताधारी पार्टी सिर्फ 33 सीटों पर। राज्य निर्माण के बाद कांग्रेस की इतनी कम सीटें कभी नहीं आई तो बीजेपी ने भी 15 साल सत्ता में रही, लेकिन 51 सीटों से उपर वह कभी नहीं जा पाई। कांग्रेस की इस हार की बड़ी वजह गवर्नेस और लॉ एंड आर्डर है। गवर्नेंस के मसले पर सरकार लगातार प्रयोग करती रही। इसका खामियाजा यह हुआ कि सिस्टम ने वर्क करना बंद कर दिया था। विकास के काम ठप्प पड़ गए थे। इससे पब्लिक नाखुश थी। सरकार के खिलाफ अंडर करंट इतना जबर्दस्त था कि सरकार और सर्वे एजेंसियों के साथ बड़े-बड़े सियासी पंडित भी इसे भांप नहीं सके।
15 साल बाद सत्ता में आई इस सरकार में करप्शन भी एक बड़ा मुद्दा रहा। करप्शन पर किसी का कोई कंट्रोल नहीं रह गया था। ऐसा नहीं कि करप्शन पिछली सरकारों में नहीं रही। मगर इस पांच साल में उसकी पराकाष्ठा हो गया था। भूपेश सरकार ने शराबबंदी का आश्वासन महिलाओं को दिया था। मगर घोषणापत्र के इस अहम बिंदु पर अमल नहीं हुआ। उपर से भाजपा ने महतारी वंदन योजना के तहत हर महीने 12 हजार रुपए देने का ऐलान कर बड़ा दांव चल दिया। कांग्रेस बीजेपी के इस गेम को समझती तब तक काफी विलंब हो गया था। भाजपा ने घोषणापत्र के साथ ही इस योजना का फार्म भी भरवाना चालू कर दिया। कांग्रेस जब तक महिलाओं को 15 हजार देने का ऐलान करती तब तब भाजपा महिलाओं के वोट बैंक में सेंध लगा चुकी थी।
पीएससी घोटाले ने भी कांग्रेस को काफी नुकसान किया। सीएम भूपेश बघेल युवाओं से भेंट मुलाकात करते रहे। मगर उधर, पीएससी के भाई-भतीजावाद ने उनके प्रयासों पर पानी फेर दिया। सरकार के रणनीतिकारों ने युवाओं का गुस्सा भांपने की कोशिश नहीं की। वरना, सरकार लगातार पीएससी का बचाव नहीं करती।