Chhattisgarh Cabinet Reshuffle Inside Story: मंत्रियों के विभाग बंटवारे में ताम्रध्वज साहू का कद क्यों बढ़ाया गया, क्या है साहू वोटों का अंकगणित, पढ़िए NPG की सियासी रिपोर्ट
cabinet reshuffle Inside Story: छत्तीसगढ़ में कैबिनेट मंत्रियों के प्रभार में हुए बदलाव में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू का कद और बढ़ गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें कृषि विभाग भी सौंप दिया है।
Cabinet Reshuffle Inside Story: रायपुर। भूपेश कैबिनेट में मोहन मरकाम की इंट्री के बाद विभागों का जो बंटवारा हुआ है, उसमें ताम्रध्वज साहू का कद और बढ़ गया है। ताम्रध्वज के पास पहले से लोक निर्माण, गृह, जेल, धर्मस्व एवं पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण विभाग थे। पीडब्ल्यूडी जहां क्रीम विभाग माना जाता है वहीं, गृह मंत्री का पद अपने आप में काफी हाई प्रोफाइल है। अब उन्हें कृषि विभाग भी सौंप दिया गया है। साहू के पास जितने भी विभाग हैं सभी महत्वपूर्ण हैं और राज्य सरकार की कुल बजट का लगभग 45 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा इन्हीं विभागों को जाता है।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय में ताम्रध्वज का कद बढ़ाए जाने की दो अहम वजह हैं। पहला यह कि वे साहू समाज से आते हैं। ओबीसी वर्ग में साहू समाज बड़ा वोट बैंक हैं। 2018 के चुनाव में इस वर्ग ने कांग्रेस का भरपूर साथ दिया था। दूसरी वजह राजनीतिक है। 2018 में जो तीन लोग मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे उनमें भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के साथ ताम्रध्वज भी शामिल थे। बघेल सीएम बन गए और सिंहदेव को हाल ही में डिप्टी सीएम का पद दिया गया है। बीरनपुर की घटना से साहू समाज खिन्न था और बीजेपी उस पर डोरे डालने का प्रयास कर रही थी। सियासी प्रेक्षकों का मानना है कि साहू समाज के बीच पार्टी की छवि बेहतर बनाए रखने के इरादे से ताम्रध्वज का कैबिनेट में प्रोफाइल और मजबूत किया गया है। ज्ञातव्य है, साहू वोटों की अहमियत को देखते मंत्रिमंडल के फेरबदल में धनेंद्र साहू को मंत्री बनाए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं। राजनीतिक पंडितों का मानना था कि धनेंद्र को मंत्री बनाकर कांग्रेस पार्टी साहू वोटों को सुरक्षित कर सकती है। मगर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने की बजाय पार्टी ने ताम्रध्वज का कद बढ़ाना मुनासिब समझा।
समझिए... छत्तीसगढ़ में ओबीसी की राजनीति का गणित
प्रदेश की कुल आबादी में करीब 47 प्रतिशत ओबीसी हैं। हालांकि इस वर्ग का दावा 52 से 54 प्रतिशत का है। ओबीसी में सबसे बड़ी संख्या साहू समाज की है। इस समाज के नेता दावा है कि ओबीसी वर्ग में साहू समाज के लोगों की आबादी 20 से 22 प्रतिशत है।
लगभग 37 सीटों पर साहू वोटरों का दबदबा
साहू समाज के एक बड़े नेता ने एनपीजी न्यूज से बातचीत में दावा किया कि 90 में से 37 सीटों पर साहू वोटरों का दबदबा है और वे गेम चेंजर की भूमिका में हैं। इनमें रायपुर ग्रामीण, अभनपुर, महासमुंद, बालोद, बेमेतरा, कसडोल, बसना, बिलाईगढ़, सिहावा, गुंडरदेही, दुर्ग ग्रामीण, रायपुर पश्चिम और दक्षिण राजिम, धमतरी व कुरुद सहित कुछ और सीटों पर साहू वोटरों की संख्या अधिक है।
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में 74 प्रतिशत आबादी ओबीसी
प्रदेश में सबसे ज्यादा ओबीसी 74 प्रतिशत आबादी दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में है। ताम्रध्वज साहू इसी विधानसभा सीट से विधायक हैं। यह आंकड़ा सेवानिवृत्त जज छविलाल पटेल की अध्यक्षता में गठित क्वांटिफायबल डाटा आयोग की है। राज्य में जातिगत जनगणना के लिए इस आयोग का गठित किया गया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, लेकिन अभी उसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। सूत्रों के अनुसार इस रिपोर्ट में राज्य में ओबीसी की अनुमानति आबादी 41 प्रतिशत के करीब बताई गई है। दुर्ग ग्रामीण के बाद सबसे ज्यादा ओबीसी आबादी 62 प्रतिशत बेमेतरा और रायपुर ग्रामीण में बताई गई है। दुर्ग ग्रामीण के बाद दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग की आबादी 40 से 41 प्रतिशत मानी गई है।
एसटी- एससी आरक्षित सीटों पर भी ओबीसी का दबदबा
प्रदेश की 90 में से 39 सीटें आरक्षित हैं। इनमें 29 एसटी और 10 एससी आरक्षित है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार इन आरक्षित सीटों पर भी ओबीसी प्रभावि हैं। सूत्रों के अनुसार क्वांटिफायबल डाटा आयोग ने जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी है उसमें आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी ओबीसी वर्ग की आबादी 30 से 35 प्रतिशत बताई गई है।
लंबे समय तक समाज के अध्यक्ष रहे हैं ताम्रध्वज
ताम्रध्वज साहू। समाज प्रमुखों के अनुसार साहू 1990 से 1993 तक जिला साहू समाज के अध्यक्ष थे। इसके बाद 1993 से लेकर 2001 तक साहू समाह के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 2001 से वे जिला रामायण सेवा समिति दुर्ग के अध्यक्ष हैं।