Chhattisgarh BJP: CG 3 गुजराती +1 बिहारी: इन नेताओं ने छत्तीसगढ़ में BJP को कम बैक करा दिया, पढ़िये NPG की रिपोर्ट

Chhattisgarh BJP: छत्‍तीसगढ़ में 15 साल की सत्‍ता के बाद भाजपा 2018 के चुनाव में 15 सीटों पर सिमट गई थी। इस चुनावी (2023) में भी पार्टी की स्थिति ठीक नहीं मानी जा रही थी। लेकिन चुनाव की घोषणा से पहले प्रदेश का माहौल अचानक बदल गया।

Update: 2023-11-14 13:16 GMT

Chhattisgarh BJP: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ का चुनाव परिणाम कई लोगों के लिए चौकाने वाला है। भाजपा ने एक तरफा जीत दर्ज की है, लेकिन दो महीने पहले तक इस परिणाम की कल्‍पना नहीं की जा रही थी। अगस्त तक छत्‍तीसगढ़ में चुनावी माहौल एकतरफा था। सत्‍तारुढ़ कांग्रेस ही नहीं राजनीतिक पंड़ित भी मान रहे थे कि छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस वापसी कर रही है। दरअसल, भाजपा जमीन पर कहीं दिख नहीं रही थी। भाजपा के लोग भी मान रहे थे कि भूपेश बघेल जैसे सियासी योद्धा के सामने पार्टी को टिकना मुश्किल होगा। मगर सितंबर प्रथम सप्ताह से बीजेपी की कैंप्नेनिंग ऐसी जोर पकड़ी कि बड़े बहुमत के साथ सत्‍ता हासिल करने में सफल रही है। 

प्रदेश में भाजपा के लिए माहौल तैयार करने में 4 लोगों की भूमिका महत्‍वपूर्ण मानी जा रही है। इन 4 लोगों में तीन गुजराती यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय स्‍वास्‍थ्य मंत्री और छत्‍तीसगढ़ के सह- चुनाव प्रभारी डॉ. मनसुख मंडाविया के साथ एक बिहारी नेता शामिल है। वह बिहारी प्रदेश संगठन के सह- प्रभारी नित‍नि नबीन हैं। पार्टी नेताओं के अनुसार 2018 की हार के बाद पूरी तरह टूट चुकी भाजपा को फिर से खड़ा करने की कवायद अगस्‍त 2022 में अरुण साव के प्रदेश अध्‍यक्ष के रुप में नियुक्ति के साथ शुरू हो गई थी। प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव व कोशिशों के बावजूद अगस्त तक भाजपा टक्‍कर में नहीं थी। असल में, पार्टी नेतृत्व को लेकर संशय की स्थिति रही।

छत्तीसगढ़ में बीजेपी को सत्ताधारी पार्टी के टक्कर में खड़ा करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका सबसे बड़ी रही। उन्होंने साढ़े तीन महीने में छत्तीसगढ़ की आठ दौरे किए और नौ बड़ी जनसभाएं। इनमें रायपुर संभाग में दो, बिलासपुर में तीन, बस्तर में दो, दुर्ग और सरगुजा में एक-एक सभा शामिल हैं।

Chhattisgarh BJP:बीजेपी ऐसे आई टक्कर में

07 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रायपुर के साइंस कॉलेज में पहली जनसभा हुई। पीएम मोदी ने इसी सभा में आउ नई सहिबो बदल के रहिबों का नारा दिया। यह नारा भाजपा का चुनावी मंत्र बन गया। इसी दिन केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया को छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए सह- प्रभारी नियुक्‍त किया गया। पार्टी नेताओं के अनुसार दरअसल प्रदेश में भाजपा के चुनाव अभियान की शुरुआत 22 जून को अमित शाह की दुर्ग में हुई सभा के साथ हुई थी। अपने इस दौरे में शाह ने पूरी प्रदेश संगठन और उसके कार्यों की पूरी रिपोर्ट ली। तब शाह को लगा था कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान नेताओं के रहते बात नहीं बनने वाली। इसके बाद डॉ. मंडाविया को छत्‍तीसगढ़ के चुनावी रण में लाया गया।

जानिए... किसकी क्‍या रही भूमिका Chhattisgarh BJP

नरेंद्र मोदीः प्रधानमंत्री मोदी 7 जुलाई से अब तक छत्‍तीगसढ़ का 8 बार दौरा कर चुके हैं। इन 8 दौरे में उन्‍होंने 9 चुनावी सभाएं की हैं। इस दौरान मोदी ने प्रदेश में भाजपा सरकार बनने पर सभी वादे पूरे करने की गारंटी दी बल्कि कांग्रेस का सबसे बड़ा वोट बैंक कहे जा रहे किसानों को भी फिर से भाजपा की तरफ खींचने का प्रयास किया। मोदी ने अपनी लगभग हर सभा में बताया कि प्रदेश किसानों का धान केंद्र सरकार खरीदती है। एमएसपी पर खरीदी जाने वाली लघुवनोपजों की संख्‍या बढ़ाई गई। जनता को यह भी बताया कि कैसे पीएम आवास सहित अन्‍य केंद्रीय योजनाओं से यहां के लोगों को महरुम रखा जा रहा है। इन सबके बीच मोदी ने खुद को ओबीसी और कांग्रेस को ओबीसी विरोधी साबित करने का प्रयास किया।

Chhattisgarh BJP: 9 सभाओं के जरिये पूरे प्रदेश में बनाया माहौल

मोदी 7 जुलाई को पहली बार छत्‍तीसगढ़ आए थे। तब से अब तक 8 दौरा कर चुके हैं। इसके जरिये मोदी ने पूरे प्रदेश में पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया। 7 जुलाई को रायपुर के बाद 14 अगस्‍त को पीएम रायगढ़ पहुंचे। प्रदेश में भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ कहे जाने वाले बिलासपुर संभाग में यह उनका पहला कार्यक्रम था। 30 सितंबर को मोदी ने बिलासपुर में जनसभा की। 03 अक्‍टूबर को जगदलपुर पहुंचे, जहां उन्‍होंने नगरनार स्‍टील प्‍लांट के उद्धाटन के साथ यह भी साफ किया कि इस प्‍लांट का निजीकरण नहीं होगा। इसके बाद मोदी 2 नवंबर को कांकेर और 4 नवंबर को दुर्ग में सभा को संबोधित किया। 7 नवंबर को मोदी ने सरगुजा संभाग के सूरजपुर में सभा को संबोधित किया। 13 नंवबर को छत्‍तीसगढ़ के अपने 8वें दौरे में पीएम ने मुंगेली और महासमुंद दो स्‍थानों पर जनसभा किया।

अमित शाहः प्रोटोकॉल के हिसाब से पहला नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लिया जाना चाहिए, लेकिन छत्‍तीसगढ़ में भाजपा को चुनावी मैदान में खड़ा करने वालों में भारतीय राजनीति के चाणक्‍य कहे जाने वाले अमित शाह का नाम पहला होगा। शाह ने 22 जून को दुर्ग में जनसभा के जरिये छत्‍तीगसढ़ में पार्टी के चुनावी अभियान का आगाज किया था। इसके साथ ही यह भी तय हो गया था कि प्रदेश में चुनाव की पूर कमान शाह खुद संभालेंगे। इसके बाद शाह लगातार छत्‍तीसगढ़ आते रहे। कई बार वे देर शाम रायपुर पहुंचे और रात में ही प्रदेश मुख्‍यालय कुशाभाऊ ठाकरे बैठक लेकर सुबह दिल्‍ली लौट गए।

प्रत्‍याशी चयन के लिए सर्वे और उसके बाद टिकट वितरण की पूरी प्रक्रिया में शाह सीधे शामिल रहे। प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ आरोप पत्र भी शाह ने जारी किया। 02 सितंबर को रायपुर स्थित पंड़ि‍त दीनदायाल ऑडिटोरियम में उन्‍होंने आरोप पत्र जारी किया।

सतनामी समाज के धर्म गुरुबाल दास के भाजपा प्रवेश के मौके पर भी शाह मौजूद थे। पार्टी के नेताओं के अनुसार बालदास के पुत्र खुशवंत साहेब को आरंग से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला भी शाह की रणनीति का हिस्‍सा है। 03 नवंबर को पार्टी का घोषणा (संकल्‍प) पत्र भी शाह ने ही जारी किया। शाह लगातार दौरे कर रहे हैं। पब्लिक कार्यक्रमों से ज्‍याद शाह का ध्‍यान पार्टी की रणनीति पर है।

डॉ. मनसुख मंडावियाः पार्टी ने 7 जुलाई को डॉ. मंडाविया को छत्‍तीसगढ़ में चुनाव की कमान सौंपी। तब से मंडाविया लगातार यहीं डटे हुए हैं। उनका कमिटमेंट देखिए कि वे दीपावली में भी रायपुर में रहे। वजह दूसरे दिन (13 नवंबर) पीएम की यहां दो जनसभा थी। त्‍योहार के बीच सभा में भीड़ जुटानी बड़ी चुनौती थी। पार्टी नेताओं के अनुसार पीएम की दोनों सभा सफल रही। पार्टी नेताओं के अनुसार प्रदेश संगठन को रिचार्ज करने में डॉ. मंडाविया का रोल सबसे अहम है। जुलाई के बाद से अब तक डॉ. मंडाविया प्रदेश में रहकर लगातार दौरे कर रहे हैं। वैसे भी डॉ. मंडाविया की गिनती पार्टी के कुशल रणनीतिकारों में होता है। डॉ. मंडाविया 2013 में गुजरात भाजपा के सचिव और 2014 में महासचिव बनाए गए थे। इसके बाद सांसद बनें और फिर केंद्रीय मंत्री। लो प्रोफाइल में रहने वाले मंडाविया साइलेंट वर्कर हैं। मीडिया में छपने-छापने से दूर रहते हैं। तीन महीने से वे छत्तीसगढ़ में कैंप कर रहे हैं मगर एकाध प्रेस कांफ्रेंस के अलावा मीडिया से कभी मुखातिब नहीं हुए। वे सीधे पीएम और अमित शाह से जुड़े रहते हैं। दोनों नेताओं को छत्तीसगढ़ में क्या बोलना चाहिए या किस बात को हाइलाईट करना चाहिए, जिससे पार्टी को फायदा हो, मंडाविया इसको लेकर सजग रहते हैं।

नितिन नबीनः नबीन प्रदेश भाजपा के सह-संगठन प्रभारी हैं। बिहार की बांकीपुर (पटना) सीट से चौथी बार के विधायक नबीन को 14 नवंबर 2020 को प्रदेश संगठन का सह प्रभारी बनाया गया था। नबीन बिहार के दिग्‍गज नेता नवीन किशोर सिन्हा के पुत्र हैं। पिता- पुत्र दोनों जनसंघ की पृष्‍ठभूमि से आते हैं। नबीन बिहार के पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री रह चुके हैं। बिहार में मंत्री रहते ही छत्‍तीसगढ़ के सह प्रभारी बनाए गए। पहले वे प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्‍वरी के साथ रहे फिर दूसरे प्रदेश प्रभारी ओम माथुर के साथ काम कर रहे हैं। छत्‍तीसगढ़ का कोई ऐसा जिला और ब्‍लॉक नहीं बचा है, जहां नबीन नहीं गए हैं। प्रदेश के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ नबीन सीधे संपर्क में रहते थे। भाजपा के लोकल नेता भी उनके परिश्रम को देखकर हैरान हैं। वे लोकल नेताओं को भी दौड़ाते रहते हैं। लगभग सभी विधानसभा सीटों पर उनका एक-एक विजिट हो चुका है। छत्तीसगढ को वे इतना समझ गए हैं कि अब केंद्रीय मंत्रियों और राष्‍ट्रीय नेताओं के प्रेस कांफ्रेंस और भाषणों का स्‍क्रिप्‍ट भी नबीन ही तैयार करते हैं।

छत्‍तीसगढ़ भाजपा के चुनाव सह- प्रभारी मनखुस मंडाविया का जीवन परिचय

छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में भाजपा के सह- चुनाव प्रभारी मनसुख मंडाविया का पूरा नाम मनसुख लक्ष्‍मणभाई मंडाविया है। उनका जन्‍म 1 जून 1972 को गुजरात के भावनगर जिला के होनल गांव के मध्‍यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। यह गांव पालीताना तालुका में आता था। मंडाविया चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्‍कू में हुई, जबकि हाई स्‍कूल की की पढ़ाई उन्‍होंने सोनगढ़ गुरुकुल से की। उन्होंने पशु चिकित्सा लाइव स्टॉक इंस्पेक्टर में सर्टिफिकेट कोर्स किया। भावनगर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री प्राप्‍त की है।

मंडाविया 2002 में पहली बार पलिताना से विधायक चुने गए। 2012 में वे राज्‍यसभा पहुंचे और पहली बार 2018 तक राज्‍यसभा में रहे। इस बीच 2013 में उन्‍हें गुजरात बीजेपी का राज्य सचिव बनाया गया। 2015 में गुजरात ही पार्टी ने महासचिव बना दिया।

राज्‍यसभा सदस्‍य रहते 2016 में वे मोदी कैबिनेट में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, जहाजरानी मंत्रालय और रसायन और उर्वरक मंत्रालय राज्य मंत्री बने। 2018 में जब वे फिर से राज्‍यसभा के लिए चुने गए तो फिर 2019 में उन्‍हें बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री की जिम्‍मेदारी मिली। 2021 में पीएम मोदी ने उन्‍हें केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री और रसायन और उर्वरक मंत्री की जिम्‍मेदारी सौंपी, जो अब भी है।

मंडाविया ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपने सियासी पारी की शुरुआत की। 2012 में जब वे पहली बार राज्‍यसभा के सदस्‍य बने तब उनकी उम्र मात्र 38 वर्ष थी। गुजरात बीजेपी का महासिचव थे तब 2014 में उन्हें भाजपा के हाई-टेक और मेगा सदस्यता अभियान अभियान का गुजरात राज्य प्रभारी नियुक्त किया गया था।

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