Chhattisgarh Assembly Elections: सरगुजा किसके साथ: जहां कटी टिकट वहां बढ़ा मतदान, सामरी में रिकार्ड तोड़ वोटिंग, सबसे पीछे बाबा की सीट

Chhattisgarh Assembly Elections: सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर दूसरे चरण में 17 नवंबर को मतदान हुआ है। संभाग की एक सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर पिछले चुनावों की तुलना में अधिक मतदान हुआ है। वोटिंग के इस ट्रेंड ने प्रत्‍याशियों के साथ ही राजनीतिक दलों की भी चिंता बढ़ा दी है।

Update: 2023-11-23 12:03 GMT

Chhattisgarh Assembly Elections: रायपुर। सरगुजा संभाग में 2018 के चुनाव में संभाग की सभी 14 सीटों पर कांग्रेस ने एक तरफा जीत दर्ज की थी। इस संभाग में भाजपा का खाता भी नहीं खुल पाया था, लेकिन इस बार के वोटिंग ट्रेंड ने न केवल प्रत्‍याशियों बल्कि राजनीतिक पार्टियों की भी चिंता बढ़ा दी है। संभाग की 14 में से 13 सीटों पर पिछले चुनावों की तुलना में मतदान ज्‍यादा हुआ।

वोटिंग की वजह से सरगुजा संभाग की दो सीटें समारी और अंबिकापुर चर्चा में हैं। सामरी सीट पर इस बार 83.44 प्रतिशत मतदान हुआ है। 2018 में हुए 79.20 प्रतिशत मतदान से 4.24 प्रतिशत अधिक है। पिछली बार वहां मतदान कम हुआ था। 2013 में सामरी सीट पर 80.30 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस सीट से 2018 में चुनाव जीतने वाले चिंतामणी महराज का कांग्रेस ने इस बार टिकट काट दिया था। इससे नाराज चिंतामणी भाजपा में शामिल हो गए हैं। इस सीट पर बढ़े हुए मतदन को चिंतामणी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसका फायदा किसे मिलेगा इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही है।

उधर, डिप्‍टी सीएम की अंबिकापुर सीट पर इस बार मतदान कम हुआ है। यहां उल्‍लेख करने वाली बात यह भी है कि 2018 में सिंहदेव को सीएम पद का दावेदार माना जा रहा था। संभाग की एक मात्र सीट जिस पर कम मतदान हुआ है, वह अंबिकापुर सीट है। 2018 में भी वहां 2013 की तुलना में मतदान कम ही हुआ था। यह अंतर आधा प्रतिशत से भी कम था। लेकिन इस बार मतदान में सीधे 3 प्रतिशत से भी ज्‍यादा की कमी आई है।


Chhattisgarh Assembly Elections: जहां सीटिंग एमएलए टिकट कटा वहीं ज्‍यादा मतदान

2018 में संभाग की सभी 14 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। पार्टी ने इस संभाग के अपने 4 सीटिंग एमएलए का टिकट इस बार काट दिया है। इन्‍हीं सीटों पर मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। सामरी सीट से विधायक चिंतामणी महराज ने भाजपा का दामन थाम लिया है। सामरी सीट पर मतदान 4 प्रतिशत से ज्‍यादा बढ़ा है। कांग्रेस ने मनेंद्रगढ़ सीट से विधायक रहे डॉ. विनय जायसवाल का भी टिकट काट दिया है। इस सीट पर पिछली बार की तुलना में लगभग सवा प्रतिशत ज्‍यादा मतदान हुआ है। प्रतापपुर सीट से विधायक प्रेमसाय सिंह को भी पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया है। चुनाव के कुछ महीने पहले ही टेकाम को कैबिनेट से भी बाहर कर दिया गया था। इस सीट पर ढाई प्रतिशत ज्‍यादा मतना हुआ है। इसी तरह कांग्रेस ने रामानुजजंग सीट से लगातार जीत दर्ज कर रहे बृहस्‍पत सिंह का भी टिकट इस बार काट दिया है। इस सीट पर भी साढ़े तीन प्रतिशत से ज्‍यादा मतदान हुआ है।

ज्‍यादा वोटिंग वाली 4 सीटों के अब तक के परिणाम Chhattisgarh Assembly Elections:

कांग्रेस ने जिन 4 सीटों पर सीटिंग एमएलए का टिकट काटा है, वहां वोटिंग बढ़ी है।सामरी सीट पर मतदान का प्रतिशत सबसे ज्‍यादा बढ़ा है। इस सीट से लगातार दो चुनावों से कांग्रेस जीत रही है। वहीं, 2003 और 2008 में यह सीट भाजपा के खाते में थी। मनेंद्रगढ़ सीट 2003 में कांग्रेस जीती थी। दो चुनावों में हार के बाद 2018 में यह सीट फिर से कांग्रेस के खाते में आई थी। 2008 में अस्तित्‍व में आई प्रतापपुर सीट 2008 में भाजपा जीती थी। बाकी दो चुनावों में यह सीट कांग्रेस की झोली में रही। रामानुजगंज सीट पर अब तक 3 चुनाव हुए हैं। 2008 के बाद भाजपा यह सीट नहीं जीत पाई है।

Chhattisgarh Assembly Elections: लुंड्रा ने कायम रखा सर्वाधिक वोटिंग का ट्रेंड

इन सबके बीच लुंड्रा सीट के वोटरों ने संभाग में सबसे ज्‍यादा वोटिंग का ट्रेंड इस बार भी कायम रखा है। इस बार वहां 85 प्रतिशत से ज्‍यादा वोटिंग हुई है। यह संभाग की 14 सीटों में सबसे ज्‍यादा है। राज्‍य बनने के बाद से अब तक हुए पांचों मतदान में संभाग में इसी सीट पर सबसे ज्‍यादा मतदान हुआ है। 2018 में वहां 84.50, 2013 में 82.30, 2008 में 80.60 और 2003 में 68.50 प्रतिशत मदान हुआ था। 2003 के बाद भाजपा इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है। लुंड्रा के बाद 2008 में अस्तित्‍व में आई भरतपुर- सामरी सीट पर ज्‍यादा वोटिंग होती है। इस बार वहां लगभग 84 प्रतिशत मतदान हुआ है। 2013 में वहां लगभग 82, 2013 में 79 और 2008 में 67 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2008 से 2013 तक यह सीट भाजपा के पास रही। 2018 में यहां से कांग्रेस का खाता खुला था।

Chhattisgarh Assembly Elections: भाजपा ने खेला बड़ा दांव

सरगुजा संभाग में 2018 के विधानसभा चुनाव में पूरी तरह पिछड़ी भाजपा ने इस बार वहां बड़ा दांव खेला है। पार्टी ने छत्‍तीसगढ़ से केंद्र सरकार में एक मात्र मंत्री (राज्‍य मंत्री) रेणुका सिंह को भरतपुर-सोनहत सीट से चुनाव लड़ाया है। इसी तरह रामानुजगंज सीट से पूर्व मंत्री और पूर्व राज्‍यसभा सदस्‍य राम विचार नेताम को मैदान में उतारा है। रायगढ़ सांसद गोमती साय भी कुनकुरी सीट से विधानसभा के रण में हैं। इसके साथ ही पार्टी ने 8 से ज्‍यादा नए चेहरों पर दांव लगाया है। इसमें पूर्व सैनिक रामकुमार टोप्‍पो और अंबिकापुर के पूर्व मेयर प्रबोध मिंज भी शामिल हैं।



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