Chhattisgarh Assembly Elections: बिलासपुर संभाग का वोटर किसके साथ: जहां पुराने चेहरे वहां कम मतदान... जानिए 24 सीटों का पूरा समीकरण

Chhattisgarh Assembly Elections: विधानसभा सीटों की संख्‍या के लिहाज से बिलासपुर सबसे बड़ा संभाग है। यहां 7 जिलों में कुल 24 सीटे हैं। 2018 में यहां की 12 सीटों पर कांग्रेस, 7 पर भाजपा और 5 पर जनता कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ ने जीत दर्ज की थी। इस बार यहां की 11 सीटों पर पिछले बार की तुलना में कम मतदान हुआ है। बिलासपुर संभाग की विधानसभा सीटों के वोटिंग के ट्रेंड पर पढ़‍िए यह रिपोर्ट...

Update: 2023-11-25 15:16 GMT

Chhattisgarh Assembly Elections: रायपुर। सबसे ज्‍यादा विधानसभा सीटों वाले बिलासपुर संभाग में इस बार कांटे की टक्‍कर है। दोनों प्रमुख राष्‍ट्रीय दलों कांग्रेस और भाजपा के साथ ही इस क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और जनता कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ (जकांछ) की भी अच्‍छी पकड़ मानी जाती है। राज्‍य विधानसभा में बसपा को प्रतिनिधित्‍व का मौका यही संभाग देता है।

बिलासपुर संभाग की 24 सीटों पर मतदान का औसत 2018 के विधानसभा चुनाव के लगभग बराबर ही है। 2018 में बिलासपुर की 24 सीटों पर हुए कुल मतदान का औसत 74.35 प्रतिशत था। 2023 में यह औसत 74.15 प्रतिशत रहा। 2013 में यह आंकड़ा 75.30 और 2008 में 70.61 प्रतिशत था।

2023 के चुनाव में संभाग की जिन सीटों पर परंपरागत प्रतिद्वंद्वी इस बार भी चुनाव लड़ रहे थे, उन सीटों पर 2018 की तुलना में मतदान कम हुआ है। संभाग की ऐसी 4 सीटें हैं, जहां 2018 की तुलना में इस बार 3 से 5 प्रतिशत तक कम मतदान हुआ है। इनमें बिलासपुर, कोरबा, बिल्‍हा और लोरमी शामिल है। जांजगीर-चांपा में 2018 की तुलना में 3 प्रतिशत से ज्‍यादा मतदान हुआ है।

इस संभाग की हाई प्रोफाइल सीटों में शामिल रायगढ़ में इस बार 2018 की तुलना में लगभग ढाई प्रतिशत ज्‍यादा मतदान हुआ है। वहीं, सर्वाधिक मतदान खरसियां सीट पर हुआ है। वहां के 86.67 प्रतिशत वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। दूसरे नंबर पर रायगढ़ जिला की धरमजयगढ़ सीट है। वहां 86 प्रतिशत वोट पड़े हैं। सबसे कम 56.39 प्रतिशत बिलासपुर में मतदान हुआ है।

Chhattisgarh Assembly Elections: कांग्रेस ने 12 में से 2 सीटिंग एमएलए का काटा टिकट

2018 में इस संभाग में कांग्रेस यहां 12 सीटों पर जीती थी। पार्टी ने इस बार चुनाव में 10 चेहरों को रिपीट किया है। लैलूंगा और पाली-तानाखार के सीटिंग एमएलए को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस ने नए चेहरों पर दांव लगाया है। इन दोनों सीटों पर सवा से ढाई प्रतिशत तक मतदान बढ़ा है। कांग्रेस ने 2018 में चुनाव हारने वाले एक मात्र दिलीप लहरिया फिर से भरोसा दिखाते हुए मस्‍तुरी प्रत्‍याशी बनाया है, जबकि भाजपा ने सीटिंग एमएलए कृष्‍णमूर्ति बांधी को प्रत्‍याशी बनाया है। इस सीट पर 2018 की तुलना में लगभग 1 प्रतिशत कम वोटिंग हुई है। बिल्‍हा से कांग्रेस प्रत्‍याशी सियाराम कौशिक पिछली बार इसी सीट से जकांछ की टिकट पर चुनाव लड़े थे। 2018 वाले चाहरे फिर आमने-सामने हैं। ऐसे में यहां वोटिंग लगभग 4 प्रतिशत गिर गया है।

बिलासपुर और कोरबा में गिरा वोटिंग प्रतिशत

संभागीय मुख्‍यालय बिलासपुर और ऊर्जा नगरी कोरबा सीट पर इस बार 2018 की तुलना में मतदान कम हुआ है। दोनों सीट कांग्रेस के पास है। बिलासपुर से शैलेष पांडेय विधायक हैं, जबकि कोरबा से विधायक जयसिंह अग्रवाल सरकार में मंत्री हैं। दोनों ही इस बार भी चुनाव मैदान में हैं। दोनों सीटों की गिनती हाई प्रोफाइल सीटों में होती है। बिलासपुर से पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल भाजपा की तरफ से चुनाव मैदान में हैं। बिलासपुर सीट पर 2018 की तुलना में लगभग 5 और कोरबा में 4 प्रतिशत कम मतदान हुआ है।

Chhattisgarh Assembly Elections: लोरमी में घटा और तखतपुर में बढ़ा

जकांछ से भाजपा में पहुंचे धर्मजीत सिंह और भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष अरुण साव की वजह से दोनों सीट चर्चा में हैं। सिंह पहले कांग्रेस और 2018 में जकांछ की टिकट पर लोरमी से विधायक चुने गए। इस बार उन्‍होंने भाजपा उम्‍मीदवार के रुप में तखपुर से चुनाव लड़ा है। वहीं, उनकी पुरानी सीट लोरमी से भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष साव ने चुनाव लड़ा है। 2018 की तुलना में लोमरी में लगभग साढ़े 3 प्रतिशत कम वोटिंग हुई है। उधर, तखतपुर में एक प्रतिशत मतदान ज्‍यादा हुआ है।



 


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