Chhattisgarh Assembly Election: CG खूनी चुनावी इतिहासः बस्तर से खुफिया इनपुट्स ठीक नहीं, सुरक्षा बलों की अबकी 200 कंपनियां ज्यादा मंगाई गई

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Update: 2023-10-20 07:06 GMT

Chhattisgarh Assembly Election: रायपुर। बस्तर में चुनाव के दौरान नक्सलियों का रक्त रंजिश इतिहास रहा है। पिछले कई चुनावों में माओवादियों ने पोलिंग पार्टी से लौट रहे या फिर चुनाव कराने जा रहे मतदान दलों पर हमला कर फोर्स को काफी नुकसान पहुंचाया। 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने पोलिंग पार्टी को लेकर टेकऑफ कर रहे इंडियन एयरफोर्स के हेलिकाप्टर पर गोलीबारी कर दिया था, जिसमें फ्लाइट इंजीनियर मुस्तफा शहीद हो गए थे।

इस विधानसभा चुनाव के दौरान भी खुफिया इनपुट मिल रहे हैं कि नक्सली बड़े स्तर पर चुनाव मे व्यवधान डालने का प्रयास करेंगे। पुलिस के सीनियर अफसर इसकी एक वजह ये भी मानते हैं कि बस्तर में नक्सलियों के पैर उखड़ रहे हैं। ऐसे में, अपनी ताकत दिखाने नक्सली कोई बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में दौरान माओवादियों ने बारुदी सुरंग विस्फोट कर दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी की हत्या कर दी थी। जाहिर है, फोर्स के साथ ही नक्सली जनप्रतिनिधियों को भी निशाना बना रहे हैं। बस्तर में पिछले साल तीन महीने में तीन बीजेपी नेताओं को बेरहमी से मार डाला तो 2013 के विधानसभा चुनाव के छह महीने पहले देश को हिला देने वाली वारदात कर नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 लोगों की हत्या कर दी थी।

नक्सलियों की पुरानी करतूतों को देखते चुनाव आयोग इस बार चौकस है। इसके लिए युद्ध स्तर पर सुरक्षा बलों की तैनाती की जा रही है। बस्तर में सेंट्रल पैरा मिलिट्री की करीब 40 बटालियन पहले से तैनात हैं। इसके अलावा राज्य आर्म्स फोर्स के जवान और राज्य पुलिस के जवान भी हैं। इस बार 2018 के विधानसभा चुनाव की तुलना मेंं करीब 200 कंपनियां अतिरिक्त बुलाई गई है। पिछले चुनाव में 600 कंपनियां बाहर से आई थी। इस बार 800 कंपनियां आ रही हैं। इनमें से 350 कंपनियां छत्त्ीसगढ़ पहुंच गई हैं। बस्तर में इनकी तैनाती भी शुरू हो गई है।

फोर्स की तगड़ी मोर्चेबंदी-सीईओ

मुख्य निर्वाचन अधिकारी रीना बाबा कंगाले ने एनपीजी न्यूज को बताया कि बस्तर में सुरक्षित मतदान कराने की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी...वहां फोर्स की ऐसी तैनाती की जा रही कि नक्सली चाहकर भी कुछ नहीं कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि इस बार 800 कंपनियां बुलाई गई है। इसके अलावा तीन पड़ोसी राज्यों से दो-दो हजार होम गार्ड के जवान भी मांगे गए हैं। बस्तर आईजी सुंदरराज ने फोर्स की तैनाती का पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है।

देखिए बस्‍तर में चुनावी हिंसा के आंकड़े 

2003 और 2008 में विधानसभा चुनाव में करीब 15 जवानों ने अपनी शहादत दी है। वहीं, 2013 के चुनाव में भी दो से अधिक जवान शहीद हुए थे। सबसे ज्यादा हिंसा पहले विधानसभा चुनाव में हुई। 73 स्थानों पर नक्सलियों ने ईवीएम लूट लिया। वहीं, 2008 में विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 48 मुठभेड़ हुई थी।

2013 में अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्र के दो मतदान केंद्रों छोटे पखांजूर और सीतरम में दोबारा मतदान करना पड़ा। दंतेवाड़ा के कटेकल्याण क्षेत्र में नक्सलियों ने पुलिस दल पर गोलीबारी की इसमें एक जवान शहीद हो गया। वहीं, पुलिस ने विभिन्न् मतदान केंद्रों के आसपास से भारी मात्रा में गोलाबास्र्द भी बरामद किया था।

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