Chhattisgarh Assembly Election 2023: सोशल इंजीनियरिंग में हिंदुत्‍व का तड़का: मंत्री रविंद्र चौबे के खिलाफ सजा से लड़ेंगे बिरनपुर वाले साहू

Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्‍तीसगढ़ में भाजपा अब तक 85 सीटों पर प्रत्‍याशियों के नामों की घोषणा कर चुकी है। प्रत्‍याशी चयन में भाजपा ने एक साथ कई समीकरणों को साधने का प्रयास किया है।

Update: 2023-10-10 14:53 GMT

Chhattisgarh Assembly Election 2023: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ की सत्‍ता में वापसी के लक्ष्‍य के साथ भाजपा ने 90 में से 85 सीटों के लिए अपने प्रत्‍याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। ऐसा करके भाजपा प्रत्‍याशी चयन के मामले में सत्‍तारुढ़ कांग्रेस से बढ़त बना ली है, क्‍योंकि कांग्रेस में अभी प्रत्‍याशी चयन में ही लगी हुई है, इधर नामों की घोषणा के साथ भाजपा अब चुनाव प्रचार के मोर्चे पर उतर चुकी है। भाजपा के प्रत्‍याशी चयन में हर तरह के समीकरण को ध्‍यान में रखा है। इसमें सोशल इंजीनियरिंग (social engineering) के साथ हिंदुत्‍व का तड़का भी दिख रहा है। प्रत्‍याशी चयन में भाजपा ने हर जाति और हर वर्ग को साधने का प्रयास किया है। यहां तक की जातियों के अंदर के समीकरण का पूरा ध्‍यान रखा गया है।

समझिए छत्‍तीगसढ़ में भाजपा के हिंदुत्‍व कार्ड को

भाजपा के प्रत्‍याशियों की सूची में सबसे चौकाने वाला नाम ईश्‍वर साहू का है। साहू का कोई राजनीतिक पृष्‍ठ भूमि नहीं है भाजपा की सदस्‍यता भी उन्‍होंने कुछ समय पहले ही ही ली है। इसके बावजूद उन्‍हें साजा जैसी हाईप्रफाइल सीट से टिकट दिया है। 1967 से अस्तित्‍व में आई इस सीट पर भाजपा केवल एक बार 2013 में जीती थी। इसके बावजूद भाजपा ने वहां से ईश्वर साहू जैसे आम व्‍यक्ति को टिकट देकर सबको चौंका दिया है। दरअसल, ईश्‍वर साहू भुवनेश्‍वर के पिता हैं। वहीं भुवनेश्‍वर साहू जिसकी बिरनपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा में मौत हो गई थी। मुस्लिम बाहुल थान खम्‍हरिया क्षेत्र इसी विधानसभा सीट में आता है। राजनीतिक विश्‍लेषकों के अनुसार इस बार भाजपा छत्‍तीसगढ़ में हिंदू वोटो के ध्रुवीकरण की कोशिश में है। इसी कोशिश के तहत कवर्धा से पार्टी ने विजय शर्मा को टिकट दिया है। कवर्धा सीट की सीमा साजा से लगती है। विजय शर्मा भाजपा के महामंत्री हैं और कवर्धा में संप्रदायिक विवाद में जेल जा चुके हैं।

जानिए... साजा विधानसभा क्षेत्र का जातिगत समीकरण

चुनावी दृष्टि से यहां कांग्रेस और चौबे परिवार के दबदबा रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र की 65 प्रतिशत आबादी ओबीसी है। इनमें भी साहू और लोधी की अधिकता है। 25 प्रतिशत आबादी एसटी-एसी और 10 प्रतिशत सामान्‍य वर्ग के वोटर हैं। इस क्षेत्र में धमधा और थानखम्हरिया तहसील आते है। परपोड़ी और देवकर नगर पंचायत भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आते हैं।

साजा विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास

साजा विधानसभा सीट 1967 में अस्तित्‍व में आया। रामराज परिषद की टिकट पर मालूराम सिंघानिया कांग्रेस के देवी प्रसाद चौबे हरा कर इस सीट से पहले विधायक चुने गए। 1972 में देवी प्रसाद चौबे जीते लेकिन 1976 को उनका निधन हो गया। इसके बाद हुए उप चुनाव में कांग्रेस ने लाल ज्ञानेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया। सिंह खैरागढ़ राजपरिवार के थे। इन्‍हें जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रदीप चौबे ने उन्‍हें हरा दिया, लेकिन प्रदीप चौबे की राजनीति में ज्‍यादा दिलचस्‍पी नहीं थी। 1980 में उनकी मां कुमारी देवी चौबे ने चुनाव लड़ा और विधायक बनी। 1985 में रविंद्र चौबे पहली बार इस सीट से चुनाव लड़े। रविंद्र चौबे, देवी प्रसाद व कुमारी देवी चौबे के पुत्र हैं। 1985 से 2008 तक हर चुनाव रविंद्र चौबे जीते, लेकिन 2013 में भाजपा की लहर में वे पहली बार हर गए, लेकिन 2018 में फिर उन्‍होंने वापसी की। अभी वे साजा से विधायक हैं और राज्‍य कैबिनेट में मंत्री हैं।

अब जानिए भाजपा के प्रत्‍याशी चयन में सोशल इंजीनियरिंग

छत्‍तीसगढ़ की 90 में से 29 सीट एसटी और 10 सीट एससी आरक्षित है। भाजपा ने 90 में से 85 सीटों पर प्रत्‍याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। इनमें आरक्षित 39 सीटें भी शामिल हैं। भाजपा ने 30 एसटी प्रत्‍याशी मैदान में उतारे हैं। यानी एक सामान्‍य सीट पर भी आदिवासी को टिकट दिया। इनमें सबसे ज्‍यादा 17 गोंड आदिवासी हैं। भाजपा ने एसटी श्रेणी में ही 4 कंवर आदिवासियों को टिकट दिया है। आदिवासी उम्‍मीदवारों में राठिया, भतरा व हल्‍बा समाज से 2-2 को टिकट दिया है। उरांव समाज से 3 लोगों को टिकट मिला है।

इसी तरह एससी यानी अनुसूचित जाति के लिए 10 सीटें आरक्षित हैं। भाजपा ने इस वर्ग में सबसे ज्‍यादा 8 सतनामी समाज के लोगों को टिकट दिया है। वहीं, गांड़ा व खटीक समाज से एक-एक प्रत्‍याशी को मैदान में उतरा है।

सबसे बड़े वोट बैंक को सबसे ज्‍यादा प्रतिनिधित्‍व

छत्‍तीसगढ़ में राजनीतिक रुप से ओबीसी को बेहत ताकतवर माना जाता है। राज्‍य की अधिकांश सीटों पर इनकी आबादी है। इसे देखते हुए भाजपा ने ओबीसी वर्ग को सबसे ज्‍यादा टिकट दिया है। भाजपा के 85 में से 31 उम्‍मीदवार ओबीसी हैं। इनमें भी साहू प्रत्‍याशियों की संख्या 10 है। प्रदेश में ओबीसी आबादी में साहू के बाद सबसे ज्‍यादा प्रभाव कुर्मी वोटरों का रहता है। भाजपा ने 8 कुर्मी को टिकट दिया है। बताते चले कि मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल भी कुर्मी समाज से ही आते हैं। इसके अलावा यादव समाज से दो ,कलार समाज से दो, अघरिया, लोधी, मरार, पटेल, देवांगन और नाई समाज से भी एक-एक उम्मीदवार को टिकट दिया है।

भाजपा के प्रत्‍याशी चयन में कहां हैं अपर कास्‍ट

भाजपा के 85 में से 16 प्रत्‍याशी अपर कास्‍ट के हैं। इनमें 5 ब्राह्मण हैं। 2 राजपूत, 3 ठाकुर और 1 क्षत्रिय भी हैं। पार्टी ने 3 बनिया- मारवाड़ी और एक जैन समाज से भी प्रत्‍याशी मैदान में उतारा है।

Tags:    

Similar News