Chhattisgarh Assembly Election 2023 मतभिन्नता न पड़े भारी: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की टिकट पर नहीं बन रही सहमति...सवाल- विधायकों के कटेंगे, फिर हारे हुए को कैसे बंटेंगे?

Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्‍तीसगढ़ में सत्‍तारुढ़ कांग्रेस टिकट वितरण को लेकर उलझ गई है। पार्टी के सामने 15 वर्ष बाद मिली सत्‍ता को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है।

Update: 2023-09-15 06:45 GMT

Chhattisgarh Assembly Election 2023 रायपुर। विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की टिकटों पर एक राय नहीं बन पा रही है। प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा से लेकर स्थानीय नेताओं में एक-एक सीट के दावेदारों पर मतभिन्नता है। कांग्रेस का एक धड़ा कुछ सिटिंग एमएलए का टिकट काटने के पक्ष में है, लेकिन दूसरा धड़ा ऐसा है, जो इसे परंपरा के विपरीत बता रहा है। आलम यह है कि जिन सीटों पर 2018 में कांग्रेस हारी थी, वहां दावेदारों की चर्चा में लंबा वक्त लग रहा है और एक नाम पर बात नहीं बन पा रही है। कांग्रेस नेताओं की मानें तो 18 से 22 सितंबर के बीच लोकसभा का विशेष सत्र है। इसमें वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे पर यदि निर्णय होता है तो तैयारियों की वजह से छत्तीसगढ़ का चुनाव आगे बढ़ सकता है, इसलिए हड़बड़ी में टिकट जारी करने के बजाय अब 22 सितंबर के बाद ही पहली सूची आने की उम्मीद है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सबसे मजबूत सरकार के बाद अब नए चुनाव के उम्मीदवारों को लेकर काफी कश्मकश की स्थिति बन रही है। जिन राज्यों में सरकारें होती हैं, वहां इंटेलीजेंस और निजी एजेंसी की सर्वे रिपोर्ट को ही बेस मानकर टिकटें तय होती हैं। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में इसी पर पेंच है। कांग्रेस ने ब्लॉक अध्यक्षों के जरिये दावेदारों से जो आवेदन मंगाए थे, उनमें से नाम आगे बढ़ाने में कई जिलाध्यक्षों ने खेल कर दिया। जिलाध्यक्षों ने बाकायदा कुछ सीटों पर अपना नाम पहले नंबर पर रखा तो कुछ सीटों पर अपने लोगों के नाम सिंगल पैनल में डाल दिए, जबकि उन्हें ऐसा करने से मना किया गया था। इस वजह से सबसे पहले विवाद की स्थिति बनी। इसके बाद स्क्रीनिंग कमेटी की बैठकों में भी एक राय नहीं बनी। फिलहाल सीएम भूपेश बघेल के अलावा सीईसी के सदस्य के रूप में डिप्टी चीफ मिनिस्टर टीएस सिंहदेव, अभियान समिति के प्रमुख के रूप में डॉ. चरणदास महंत और प्रदेश अध्यक्ष के रूप में दीपक बैज की सबसे अहम भूमिका है। इन सबसे ऊपर प्रदेश प्रभारी सैलजा सुपर विजन कर रही हैं। इनमें एक राय के बाद ही नाम केंद्रीय समिति को भेजे जाएंगे।

हारे हुए प्रत्याशियों को नहीं देंगे टिकट

2018 के विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Assembly Election 2018) में कांग्रेस ने 68 सीटें जीती थीं। 22 सीटों पर कांग्रेस की हार हुई थी। इसमें 15 पर भाजपा और 7 पर जोगी-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार जीते थे। जिन 22 सीटों पर कांग्रेस हारी थी, उनमें 14 दूसरे नंबर पर थे। हाल ही में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का बयान आया है कि हारे हुए उम्मीदवारों को कांग्रेस टिकट नहीं देगी। इसे लेकर बवाल मचा हुआ है, क्योंकि कुछ को छोड़कर बाकी उम्मीदवार त्रिकोणीय संघर्ष में हारे थे। इसमें बागियों की भूमिका महत्वपूर्ण थी। ऐसे कुछ उम्मीदवारों को पार्टी के कुछ नेता फिर से मौका देना चाहते हैं।

विधायकों के खिलाफ बड़ी नाराजगी

कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी दुविधा सिटिंग एमएलए को लेकर है, क्योंकि कई विधायकों के खिलाफ काफी नाराजगी है। इस बात को लेकर पार्टी के बड़े नेता भी स्वीकार कर चुके हैं। भेंट मुलाकात के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने कहा था कि विधायकों के पास समय है, वे चाहें तो जो कमियां हैं, उन्हें दूर कर सकते हैं। विधायकों की नाराजगी का असर पार्टी के दूसरे कैंडीडेट पर भी पड़ सकता है, इसलिए सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर इन सीटों पर टिकट बदलने पर विचार किया जा रहा है। इस कारण ज्यादा समय लग रहा है और एक राय की स्थिति नहीं बन पा रही है।

अंतिम फैसला आलाकमान के पास

फिलहाल कांग्रेस में जो स्थिति है, उससे यह माना जा रहा है कि अंतिम निर्णय आलाकमान का होगा। इस बार भी कुछ पैराशूट उम्मीदवार सामने आ सकते हैं। पिछली बार बिलासपुर से शैलेष पांडेय, कोटा से विभोर सिंह, महासमुंद, बस्तर की ओर से कुछ पैराशूट उम्मीदवार आए थे, जबकि तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में ही अपनी सभा में पैराशूट उम्मीदवार नहीं उतारने की बात कही थी। पैराशूट उम्मीदवार का फैसला केंद्रीय चुनाव समिति के अप्रूवल से ही होगा।

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