Chhattisgarh Assembly Election 2023: CG में परिवारवाद: कांग्रेस-भाजपा दोनों में दादा के बाद पोते तक राजनीति में सक्रिय... ज्यादा संख्या कांग्रेस में...

Chhattisgarh Assembly Election 2023: परिवारवाद के मुद्दे पर सभी दल एक-दूसरे पर हमला करते हैं, बच्चों को राजनीति में लाने का मोह नहीं छोड़ पाते. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने बिलासपुर की सभा में फिर से बहस छेड़ दी है.

Update: 2023-10-31 06:19 GMT

Chhattisgarh Assembly Election 2023: रायपुर. छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि जब डॉक्टर का बेटा डॉक्टर, वकील का बेटा वकील और कलेक्टर का बेटा कलेक्टर बन सकता है, तब नेता का बेटा नेता क्यों नहीं बन सकता? जवाब हां और ना दोनों में हो सकता है. यदि नेता के बेटे ने निचले स्तर पर पार्टी के एक कार्यकर्ता के रूप में मेहनत कर अपनी जगह बनाई है, तब उसे परिवारवाद का नाम नहीं दे सकते. एक ही परिवार का राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, मंत्री, सांसद-विधायक, िनगम और पंचायतों में पद में रहें, तब यह परिवारवाद का उदाहरण है. यह भूमिका उस बहस के लिए है, िजसे कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने फिर से हवा दे दी है.

बिलासपुर की सभा में प्रियंका गांधी ने कहा, उनकी दादी पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को गोलियों से भून दिया गया. पिता की हत्या कर दी गई. इसके बाद भी हमारी देशभक्ति कम नहीं हुई. जब हम अपनी बीती पीढ़ी की बात करते हैं, तब हमारे विरोधी परिवारवाद की बात उठाते हैं. यह परिवारवाद नहीं, देशभक्ति है. प्रियंका के इस बयान के परिप्रेक्ष्य में जब हम देखते हैं तो छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा संख्या कांग्रेस के नेताओं की है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीति में सक्रिय हैं. डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, अमितेश शुक्ला, अरुण वोरा इसके उदाहरण हैं. भाजपा में केदार कश्यप, अमर अग्रवाल जैसे कुछ नेता हैं, जो पिता के प्रभाव के कारण राजनीति में आए. आइए आगे जानते हैं, छत्तीसगढ़ की राजनीति में किन परिवारों का दबदबा...

शुक्ल परिवार

अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही शुक्ल परिवार का बड़ा वर्चस्व रहा है. पं. रविशंकर शुक्ल अविभाजित मध्यप्रदेश के पहले सीएम रहे. इसके बाद उनके बेटे पं. श्यामा चरण शुक्ल तीन बार सीएम रहे. विद्याचरण शुक्ल इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में सबसे ताकतवर मंत्री थे. अब श्यामा चरण शुक्ल के बेटे अमितेश शुक्ल राजनीति में हैं. वे पूर्व में मंत्री रह चुके हैं. इस बार भी राजिम सीट से प्रत्याशी हैं.

वोरा परिवार

मोतीलाल वोरा भी अविभाजित मध्यप्रदेश में दो बार सीएम रहे. केंद्र में मंत्री रहे. लंबे समय तक एआईसीसी के कोषाध्यक्ष रहे. गांधी परिवार के बेहद करीबियों में से एक रहे. उनके बाद उनके बेटे अरुण वोरा भी विधायक चुने जा रहे हैं. अब नई पौध भी यूथ कांग्रेस की राजनीति में आगे बढ़ रही है.

सिंहदेव परिवार

डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के दादा रामानुज शहण सिंहदेव विधायक रहे. टीएस के पिता आईएएस अधिकारी थे. वे एमपी के पूर्व चीफ सेक्रेटरी रहे और योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे. टीएस की मां देवेंद्र कुमारी विधायक बनीं. मंत्री भी रहीं. छत्तीसगढ़ में टीएस लगातार तीन बार से विधायक चुने गए हैं, जबकि उनकी बहन हिमाचल प्रदेश में विधायक रह चुकी हैं.

कर्मा परिवार

महेंद्र कर्मा बस्तर टाइगर के नाम से मशहूर थे. नक्सलियों द्वारा उनकी हत्या के बाद उनकी पत्नी देवती कर्मा विधायक बनीं. इसके अलावा परिवार के अन्य सदस्य भी राजनीति में सक्रिय हैं. इस बार कांग्रेस ने उनके बेटे को टिकट दिया है.

जोगी परिवार

छत्तीसगढ़ की राजनीति में जोगी परिवार का भूमिका हमेशा चर्चा में रहेगी. जोगी पहले सीएम बने थे. इसके बाद जब भाजपा की सरकार रही, तब भी वे सांसद-विधायक रहे. 2006 में उनकी पत्नी पहली बार कोटा से विधायक रहीं. जोगी के बेटे अमित जोगी भी विधायक बने. अमित की पत्नी ऋचा जोगी भी अकलतरा से चुनाव लड़ चुकी हैं. इस बार भी वे उम्मीदवार हैं.

कश्यप परिवार

बस्तर के बली दादा यानी स्व. बलिराम कश्यप ने दिल्ली तक प्रतिनिधित्व किया था. उनके बाद उनके बेटे दिनेश कश्यप सांसद बने, जबकि केदार कश्यप तीन बार मंत्री रहे. इस बार फिर नारायणपुर से चुनाव लड़ रहे हैं.

जूदेव परिवार

अपनी मूंछों पर ताव देने वाले दिलीप िसंह जूदेव को कौन नहीं जानता है. जूदेव सांसद और केंद्र में मंत्री भी रहे. उनके निधन के बाद पहली बार परिवार से दो सदस्य चुनाव मैदान में हैं. बेटे प्रबल प्रताप कोटा और बहू संयोगिता जूदेव चंद्रपुर से प्रत्याशी हैं. इससे पहले युद्धवीर सिंह जूदेव दो बार विधायक रहे, जबकि इसी परिवार से रणविजय सिंह जूदेव राज्यसभा सांसद और युवा आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

अग्रवाल परिवार

छत्तीसगढ़ और अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही पार्टी के लिए तन-मन से काम करने वाले पितृपुरुष लखीराम अग्रवाल की विरासत को उनके बेटे अमर अग्रवाल आगे बढ़ा रहे हैं. अमर चार बार के विधायक और तीन बार मंत्री रहे. बिलासपुर सीट से फिर उम्मीदवार बनाए गए हैं.

चौबे परिवार

कांग्रेस सरकार के कद्दावर मंत्री और कई बार के विधायक रविंद्र चौबे के पिता देवी प्रसाद चौक, उनकी मां कुमारी चौबे और बड़े भाई प्रदीप चौबे भी विधायक रहे हैं. इस बार फिर से साजा से प्रत्याशी चुने गए हैं.

इन सीटों पर भी परिवारों का कब्जा

सतनामी समाज के धर्मगुरु बाबा अगमदास व उनकी पत्नी मिनीमाता सांसद रहीं. अगमदास के बेटे विजय गुरु मंत्री रहे. उनके बेटे मंत्री बनाए गए थे. वे फिर से उम्मीदवार हैं.

अरविंद नेताम इंदिरा सरकार में मंत्री रहे. पत्नी छबीला भी सांसद रहीं. भाई शिव नेताम दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे. बेटी डाॅ. प्रीति नेताम राजनीति में आई, लेकिन असफल रही.

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