Chhattisgarh Assembly Election 2023 भरतपुर सोनहत : गोंड बहुल क्षेत्र में निर्णायक भी यही, दो बार भाजपा, एक बार कांग्रेस जीती पर गोंगपा की ताकत बढ़ी

Update: 2023-05-12 05:00 GMT

Chhattisgarh Assembly Election 2023

रायपुर. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए अब 6 महीने का समय शेष है. इसके साथ ही कांग्रेस और भाजपा के साथ-साथ बाकी दलों ने चुनावी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने साढ़े चार साल का समय पूरा कर लिया है. छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 90 सीटें हैं, जिसमें 71 में कांग्रेस, 14 में भाजपा, 3 में जनता कांग्रेस और 2 सीटों पर बसपा के विधायक हैं. 2018 में जब विधानसभा चुनाव हुए थे, तब कांग्रेस के पास 68 सीटें थीं. इस बीच 5 उपचुनाव हो चुके हैं. इसमें दंतेवाड़ा, मरवाही और खैरागढ़ सीट कांग्रेस के खाते में जुड़ गई है. क्या कांग्रेस अपना रिकॉर्ड तोड़ पाएगी या भाजपा अपनी खोई हुई ताकत वापस हासिल कर पाएगी, छोटे दलों की क्या भूमिका होगी? इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए आपको हर दिन एक विधानसभा की कहानी बताएंगे. विधानसभा के गठन से लेकर अब तक हुए चुनावों में क्या रह... आज शुरुआत विधानसभा क्रमांक एक भरतपुर सोनहत से...

2008 में पहली बार हुआ चुनाव

छत्तीसगढ़ राज्य बनने से पहले मनेंद्रगढ़ सीट एसटी के लिए आरक्षित थी. परिसीमन के बाद मनेंद्रगढ़ सीट सामान्य हो गई और नई सीट के रूप में भरतपुर सोनहत का गठन हुआ. यह सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है. यह पहले नंबर की सीट है. साल 2002-03 में जब छत्तीसगढ़ में विधानसभा सीटों का नए सिरे से परिसीमन हुआ तो कोरिया जिले में नई सीट के रूप में भरतपुर-सोनहत विधानसभा सीट अस्तित्व में आया. इस तरह साल 2008 में यहां पहला चुनाव हुआ. इस सीट से अब तक केवल 3 विधानसभा चुनाव ही हुए हैं. इसमें भाजपा का पलड़ा भारी रहा. वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है और यहां के विधायक गुलाब कमरो हैं. गुलाब कमरो इससे पहले मनेंद्रगढ़ सीट से दो बार के विधायक रह चुके हैं.

भाजपा के फूलचंद पहले विधायक

साल 2008 में भरतपुर-सोनहत सीट पर पहला चुनाव हुआ. आदिवासियों के लिए आरक्षित मनेंद्रगढ़ सीट जब सामान्य हुई, तब गुलाब कमरो भरतपुर सोनहत से उतरे. उनके खिलाफ भाजपा के फूलचंद सिंह थे. पहले चुनाव में यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1 लाख 33 हजार 71 थी. इनमें से 89766 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस चुनाव में भाजपा के फूलचंद सिंह को 35443 वोट मिले. वहीं कांग्रेस के गुलाब कमरो को 28145 वोट मिले. इस तरह से भाजपा ने यहां हुए पहले चुनाव में 7298 वोट के अंतर से जीत दर्ज की.

2013 में जब दूसरी बार चुनाव हुए तब कांग्रेस से फिर गुलाब कमरो प्रत्याशी थे. भाजपा ने महिला उम्मीदवार चंपादेवी पावले को टिकट दिया. इस चुनाव में भाजपा को 42968 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के गुलाब कमरो के खाते में 38360 वोट आए और चंपादेवी पावले ने महज 4608 वोट से चुनाव जीत लिया. कमरो की यह लगातार दूसरी हार थी.

तीसरी बार में किया हिसाब बराबर

भरतपुर सोनहत सीट पर जब 2018 में तीसरी बार चुनाव होना था, तब मतदाताओं के सामने कांग्रेस से फिर गुलाब कमरो थे तो भाजपा से चंपादेवी पावले थीं. 15 साल की भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी का माहौल था. कमरो के लिए भी यह चुनौती थी, क्योंकि वे लगातार दो बार हार चुके थे. हालांकि इस बार कमरो ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया. कमरो ने 16533 वोट के मार्जिन से चुनाव जीता.

इस विधानसभा चुनाव में इस सीट से कुल 9 कैंडीडेट ने नामांकन दाखिल किया था. इनमें 6 पुरुष और 3 महिला शामिल थी. इस चुनाव में भरतपुर-सोनहत सीट से कुल मतदाताओं की संख्या 158709 थी. इनमें से 133212 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस चुनाव में कांग्रेस के गुलाब कमरो को 51732 वोट मिले. भाजपा उम्मीदवार चंपादेवी पावले को महज 35199 वोट मिले थे.

इन तीन चुनावों में एक और ध्यान देने वाली यह रही कि गोंड समाज में दखल रखने वाले हीरा सिंह मरकाम की पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने लगातार अपनी ताकत बढ़ाई है. 2008 में जब चुनाव हुए तब गोंगपा के उम्मीदवार यशवंत गोंड को 9114 वोट मिले थे. दूसरी बार में 2013 में कनस लाल उम्मीदवार थे. उन्हें 18166 वोट मिले थे. जबकि 2018 में श्याम सिंह मरकाम उम्मीदवार थे और 26632 वोट मिले थे.

तीन चुनावों का लेखा-जोखा

वर्ष - कौन जीता - पार्टी

2008 - फूलचंद सिंह - भाजपा

2013 - चंपादेवी पावले - भाजपा

2018 - गुलाब कमरो - कांग्रेस

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