RSS के दिग्गज राजधानी में: आरएसएस की समन्वय बैठक में मोहन भागवत सहित राष्ट्रीय पदाधिकारी जुटेंगे, जेपी नड्‌डा रहेंगे तीन दिन

विश्व के सबसे बड़े संगठन की तीन अहम बैठकों में से एक अखिल भारतीय समन्वय बैठक पहली बार रायपुर में। आरएसएस की आगामी कार्ययोजना पर मंथन।

Update: 2022-08-26 08:21 GMT

रायपुर। विश्व के सबसे बड़े संगठन आरएसएस की अखिल भारतीय समन्वय बैठक पहली बार राजधानी में होगी। इसमें सर संघ चालक मोहन भागवत के साथ संघ परिवार के 37 आनुषांगिक संगठनों के 200 से ज्यादा अखिल भारतीय पदाधिकारी आगामी कार्ययोजना पर मंथन करेंगे। यह बैठक 10, 11 व 12 सितंबर को एयरपोर्ट के सामने स्थित जैनम मानस भवन में होगी। इसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी तीन दिन का समय बिताएंगे। सारे पदाधिकारी 9 सितंबर तक पहुंच जाएंगे। सभी के रहने की व्यवस्था जैनम में ही होगी। आरएसएस के स्थानीय स्वयंसेवक जो व्यवस्था में रहेंगे, उनके अलावा किसी को भी भीतर जाने की अनुमति नहीं होगी। आरएसएस के पदाधिकारियों के मुताबिक सभी आनुषांगिक संगठनों के प्रमुख सालभर के जो कार्य निर्धारित किए गए थे, उस पर अपनी रिपोर्ट देंगे। साथ ही, बाकी संगठनों से जो अपेक्षाएं थीं, उस पर भी अपनी बात रखेंगे। आरएसएस की यह बैठक हर साल होती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले बैठक तेलंगाना और राजस्थान में हुई थी।

क्या होगा समन्वय बैठक में

आरएसएस के 37 आनुषांगिक संगठन हैं। इनमें पॉलिटिकल फ्रंट बीजेपी है। सभी संगठनों के अपने अलग-अलग काम हैं। हर साल होने वाली समन्वय बैठक में सभी संगठनों के प्रमुख पिछली बैठक में तय किए गए कार्यों की रिपोर्ट पेश करेंगे। इसके बाद आगामी कार्ययोजना बताएंगे। इसमें सर संघ चालक मोहन भागवत अपनी ओर से मार्गदर्शन देंगे। जो कमियां रह गईं, उसके संबंध में बताएंगे।

दो दिन पहले विभागों की बैठक

आरएसएस की समन्वय बैठक से पहले अलग-अलग विभागों की बैठकें शुरू हो जाएंगी। इसमें सभी निचले स्तर की रिपोर्ट लेकर एक फाइनल रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिस समन्वय बैठक में पेश किया जाएगा। संभवत: बीजेपी अध्यक्ष नड्‌डा व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी भाजपा पदाधिकारियों की बैठक ले सकते हैं। इस संबंध में शनिवार को सुबह एक बैठक रखी गई है।

छत्तीसगढ़ के लिए क्यों अहम

आरएसएस के अंतर्गत वनवासी कल्याण आश्रम का मुख्यालय छत्तीसगढ़ के जशपुर में है। जशपुर के साथ-साथ सरगुजा और बस्तर के वनवासी क्षेत्रों में इस संगठन का काम है। छत्तीसगढ़ में वनवासी क्षेत्रों में भाजपा की जीत का श्रेय वनवासी कल्याण के कार्यों को दिया जाता था, लेकिन 2018 के चुनाव में बस्तर, सरगुजा ही नहीं, बल्कि जशपुर से भाजपा पूरी तरह साफ हो गई थी। आरएसएस के सभी संगठनों की अपनी अलग कार्ययोजना होती है, लेकिन यह माना जाता है कि इन कार्यों का लाभ भाजपा को मिलता है। इसके विपरीत 2018 के चुनाव में आरएसएस की नाराजगी की बात सामने आई थी, जिसकी वजह से भाजपा को तगड़ी हार का सामना करना पड़ा। समन्वय बैठक में इन बिंदुओं पर बात होगी कि आरएसएस ने क्या सुझाव दिए थे और भाजपा ने क्या किया?

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