राजभाषा दिवस पर सम्मान: सीएम भूपेश बघेल ने 13 साहित्यकारों को सम्मानित किया, 10 साहित्यकारों की रचना का विमोचन

Update: 2022-11-28 09:33 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर सीएम भूपेश बघेल ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के 13 साहित्यकारों को छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति उनकी सेवा के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा के 10 साहित्यकारों की रचनाओं का मुख्यमंत्री ने विमोचन भी किया।

मुख्यमंत्री बघेल ने प्रदेश वासियों को राजभाषा दिवस की बधाई दी है। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ी हमारी मातृ भाषा और हमारा अभिमान है, जिसको संवारने और आगे बढ़ाने का काम छत्तीसगढ़ सरकार लगातार कर रही है। सरकार ने अरपा पैरी के धार को राजगीत बनाया और सरकारी स्कूलों में छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई-लिखाई शुरू करवाई। हर छत्तीसगढ़िया की जिम्मेदारी है कि वो छत्तीसगढ़ी को आगे बढ़ाने का काम करे। छत्तीसगढ़ सरकार स्थानीय तीज त्यौहारों और खेलों को बढ़ावा देकर देश दुनिया में छत्तीसगढ़ी को पहचान दिलाने का काम कर रही है।


सीएम ने इन साहित्यकारों को सम्मानित किया

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने रायपुर से जागेश्वर प्रसाद, रामेश्वर शर्मा, दुर्गा प्रसाद पारकर, रामनाथ साहू, दुर्ग से डॉ. जेआर सोनी, सक्ती से पीसी लाल यादव, महासमुंद से सोरिन चंद्रसेन, खैरागढ़ से परमानंद वर्मा, बिलासपुर से बुधराम यादव, सरगुजा से रंजीत सारथी, धमतरी से डॉ. शैल चंद्रा, डुमन लाल ध्रुव और जगदलपुर से रुद्र नारायण पाणिग्राही को छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया।


मुख्यमंत्री ने राजभाषा दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन भी किया। मुख्यमंत्री ने महेत्तरू मधुकर की रचना गुरतुर भाखा, डॉ. सुरेश कुमार शर्मा की वाल्मिकी रामायण, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर की बंगस्य छन्द अंजोर, तेजपाल सोनी की श्रीमद भगवत गीता, सुमन लाल ध्रुव की गांव ल सिरजाबो, राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा की अमरईया हे मनभावन, कमलेश प्रसाद शरमा बाबू की कुटिस बंदरा जझरग-जझरग, डॉ. शिल्पी शुक्ला की छत्तीसगढ़ महिला लेखन और उर्मिला शुक्ल की रचनाएं व पीसी लाल यादव की कृतियों का विमोचन किया।

कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के सचिव अन्बलगन पी एवं संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य भी उपस्थित थे।

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