नामांकन से शुरू होगा रण: सीएम थोड़ी देर में पहुंचेंगे कांकेर, नामांकन रैली में हिस्सा लेंगे, लोगों में उत्सुकता- क्या जिले का ऐलान करेंगे?

Update: 2022-11-17 06:58 GMT

कांकेर। भानुप्रतापपुर उपचुनाव के लिए आज कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के बड़े नेता जुटेंगे। कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी और भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम के नामांकन के साथ ही चुनावी रण शुरू हो जाएगा। इस बीच भानुप्रतापपुर से लेकर अंतागढ़ तक के लोगों के मन में यह उत्सुकता है कि क्या सीएम नए जिले का ऐलान कर सकते हैं। सबसे ज्यादा उम्मीद अंतागढ़ के लोगों में है, क्योंकि उनका दावा पुराना है।

विधानसभा के डिप्टी स्पीकर मनोज मंडावी के निधन के बाद खाली हुई सीट पर उनकी पत्नी सावित्री मंडावी कांग्रेस की प्रत्याशी बनाई गई हैं। सीएम भूपेश बघेल, पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम सहित मंत्री-विधायक उनकी नामांकन रैली में हिस्सा लेंगे। मंडावी तीन बार विधायक थे। जोगी शासन में वे सबसे ज्यादा विभागों वाले राज्यमंत्री थे। ऐसे में उनकी पत्नी की ओर सहानुभूति वोट रहेगा। हालांकि कांग्रेस उपचुनाव में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ेगी, क्योंकि एक तरह से यह 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मुकाबला होगा। यही वजह है कि खैरागढ़ उपचुनाव की तर्ज पर भानुप्रतापपुर उपचुनाव में भी नए जिले के ऐलान का सरकार मास्टरस्ट्रोक खेल सकती है।

कांग्रेस को सबक सिखाने का मन बना लिया लोगों ने

भानुप्रतापपुर में भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम के नॉमिनेशन में डॉ. रमन सिंह, धरमलाल कौशिक, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल सहित प्रमुख नेता शामिल होंगे। रायपुर से रवाना होने से पहले पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने कहा, इस बार के चुनाव में लोगों ने कांग्रेस को सबक सिखाने का मन बना लिया है। कांग्रेस जितना भी इधर-उधर कर ले भाजपा की जीत होगी। कांग्रेस ने सब वर्गों को परेशान करके रखा है। किसान, मजदूर, महिला, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग सबका बदला इस बार चुनाव में जनता लेगी।

इधर, सर्व आदिवासी समाज से भी नामांकन

सर्व आदिवासी समाज के नेता जीवन ठाकुर ने भी भानुप्रतापपुर उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया है। समाज के लोगों ने अब तक 48 नामांकन फॉर्म खरीदे हैं। जीवन ठाकुर का कहना है कि सर्व आदिवासी समाज चुनावी मैदान में कूद चुका है। समाज की ओर से और लोग नामांकन दाखिल करने पहुंच रहे हैं। आरक्षण में कटौती से नाराज समाज के लोगों के इस फैसले से कांग्रेस और भाजपा दोनों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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