जामवाल ने पूछा क्यों हारे: रमन सरकार की हार की वजह बताई संभाग-जिले प्रभारियों ने, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री ने जीत का फॉर्मूला बताया
क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल रायपुर पहुंचने के बाद लगातार बैठकें लेकर संगठन के नेताओं को टटोलने की कोशिश कर रहे हैं।
रायपुर। 2018 में भाजपा की हार क्यों हुई? यह सवाल था क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल का संभाग और जिले के प्रभारियों से। जवाब मिला कि सरकार भाजपा की थी, लेकिन कार्यकर्ताओं के बजाय सरकारी तंत्र हावी हो गया था। कैडर बेस्ड पार्टी में कार्यकर्ता ही उपेक्षित थे, इसलिए 15 साल बाद 15 सीटों के रूप में परिणाम आया। फिर क्या करना था? यह दूसरा सवाल था और जवाब था कि चेहरे बदल देने थे। नए लोगों को मौका देना था। इससे शायद जीत भले नहीं होती, लेकिन 15 के बजाय 30 से ज्यादा सीटों पर भाजपा होती।
कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में नए क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल कुछ इस तरह से संगठन की नब्ज टटोलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने सीधे तौर पर पदाधिकारियों से कहा कि वे यहां (कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में) उपलब्ध रहेंगे। जब भी किसी को मिलना हो तो वे आसानी से मिलेंगे। जिसे जो बात करनी है, वह बता सकता है। सारी बात उनके पास ही रहेगी। किसी और को पता नहीं चलेगा कि आपने किस विषय पर बात की है। जाहिर है कि सात साल तक नॉर्थ ईस्ट में भाजपा की पैठ मजबूत करने वाले जामवाल ने आने से पहले छत्तीसगढ़ की स्टडी की है। उन्हें यह पता था कि नीति निर्धारक आम कार्यकर्ताओं से दूर हो गए थे, इसलिए उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि वे आसानी से उपलब्ध होंगे।
दरअसल, भाजपा की 15 साल की सरकार के अंतिम कुछ साल भाजपाइयों के लिए भी अच्छे नहीं थे। यह दर्द आज नए क्षेत्रीय संगठन महामंत्री के सामने छलका। हालांकि करीब 6-8 लोगों को ही बोलने का मौका मिला और काफी लंबा वक्त हो गया, इसलिए बातचीत पूरी होने से पहले ही खत्म करनी पड़ी। भोजन का भी समय हो रहा था। इस बीच काफी ऐसी बातें सामने आ चुकी थीं, जिसकी वजह से 2018 में भाजपा को सबसे बुरी स्थिति का सामना करना पड़ा। इसके बाद लगातार हर उप चुनाव में यह स्थिति बनती गई। पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में भी राज्य सरकार हावी रही और नेतृत्वकर्ताओं की उदासीनता के कारण कार्यकर्ताओं ने एक तरह से हथियार डाल दिया था।
क्षेत्रीय संगठन मंत्री ने कुछ इस तरह बताया जीत का फॉर्मूला...
क्षेत्रीय संगठन मंत्री जामवाल ने सिर्फ समस्याएं नहीं पूछीं। उन्होंने पदाधिकारियों से ही हल भी जानने की कोशिश की। जो हल पदाधिकारियों ने बताया, उसमें सबसे अहम है, नए चेहरों को मौका देना। क्षेत्रीय संगठन मंत्री इससे सहमत नजर आए। उन्होंने सभी संभाग और जिले प्रभारियों से दो टूक कहा कि अब करेंगे, जाएंगे, देखेंगे से काम नहीं चलेगा, बल्कि करना ही है। सारे पदाधिकारी बूथ स्तर तक जाएंगे। बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को एक्टिव करेंगे। संभाग, जिले और विधानसभा के प्रभारियों को महीने में 10 दिन अपने-अपने क्षेत्र में कार्यकर्ताओं के साथ समय बिताना है। यानी एक बार गए तो कम से कम दो-तीन दिन तो रहना ही है। अब तक यह होता आया है कि किसी कार्यक्रम के लिए या बैठक करने प्रभारी जाते थे और शाम को लौट आते थे। क्षेत्रीय संगठन महामंत्री ने इशारे में यह भी कह दिया कि वे यहां रहेंगे और सारी चीजों की निगरानी करेंगे। वे खुद भी जिले, मंडल व बूथ स्तर का दौरा करेंगे। इस दौरान जो बातें सामने आएंगी, उससे बेहतर है कि सभी पहले ही सुधार कर लें।