धनखड़ 14वें उप राष्ट्रपति: राजस्थान के छोटे से गांव किठाना के जगदीप धनखड़ बने उप राष्ट्रपति...

Update: 2022-08-06 14:33 GMT

NPG ब्यूरो। राजस्थान के एक छोटे से गांव किठाना के जगदीप धनखड़ देश के 14वें उप राष्ट्रपति चुने गए हैं। शनिवार को सुबह 10 बजे से उप राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन की शुरुआत हुई, जो 5 बजे तक चली। इसमें लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 245 मिलाकर 780 सांसदों को हिस्सा लेना था, लेकिन ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के 39 सांसदों ने हिस्सा नहीं लिया। जीत के लिए भाजपा के पास ही लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर 394 सांसद हैं, इसलिए पहले ही उनकी जीत तय हो गई थी। हालांकि जितने सांसदों ने चुनाव में हिस्सा लिया उनमें धनखड़ को 528 और विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले। पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा सहित नेताओं ने उन्हें बधाई दी है।


देश के प्रतिष्ठित वकील से उप राष्ट्रपति 

धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक छोटे से गांठ 'किठाना' में हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा किठाना के स्कूल में हुई। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से पूरी की और फिर राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। स्कूली शिक्षा के बाद जगदीप धनखड़ ने राजस्थान के प्रतिष्ठित महाराज कॉलेज जयपुर में ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया। यहां से उन्होंने फिजिक्स में बीएससी की डिग्री ली। 1978 में उन्होंने जयपुर विश्वविद्यालय में एलएलबी में एडमिशन लिया। कानून की डिग्री लेने के लेने बाद धनखड़ ने वकालत की शुरुआत की थी। 1990 में उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट का ओहदा मिला। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश के कई हाईकोर्ट में वकालत की थी। 1988 तक वे देश के प्रतिष्ठित वकीलों में शुमार हो गए।


89-91 में झुंझनू सीट से लोकसभा तक पहुंचे

जगदीप धनखड़ 1989-91 के दौरान झुंझुनू सीट से 9वीं लोकसभा में जनता दल का प्रतिनिधित्व करते हुए संसद सदस्य थे। वे 1993-98 के दौरान राजस्थान में किशनगढ़ से विधान सभा के सदस्य और राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। उनका राजनीतिक करियर करीब 30 सालों का है। वे चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य मंत्री की भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। लोकसभा और विधानसभा दोनों में अहम समितियों में शामिल रहे हैं। उन्होंने राजस्थान में जाट बिरादरी को आरक्षण दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई है। 20 जुलाई 2019 को उनको पश्चिम बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया गया था।

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